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मां के अंतिम संस्कार बाद काम पर लौटे पीएम – कर्तव्यनिष्ठता तपस्या और त्याग को प्रणाम 

मेरा प्रधानमंत्री – मेरा गौरव

 

 

देश को परम राष्ट्रभक्त देने वाली यशस्वी मां हीराबा पंचतत्व में विलीन – मातृ देवो भव: मातृभूमे भव: – एडवोकेट किशन भावनानी

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर दिनांक 30 दिसंबर 2022 को दुनिया की नज़रें भारत पर टिकी रही शोक संदेशों संवेदनाओंं का आना शुरू रहा, क्योंकि तड़के 3:30 को वैश्विक नेता के अप्रूवल रेटिंग में सबसे अधिक लोकप्रिय भारतीय नेता की मां का परमपिता परमेश्वर ईश्वरीय चरणों में गमन हुआ था। जिनको कफ और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद अमदाबाद के अस्पताल में भर्ती किया गया था और हमारे पीएम मां के बारे में सुन तुरंत दिल्ली से अहमदाबाद आए थे। डेढ़ घंटा मां के साथ बिता कर हाल चाल पूछकर डॉक्टरों से बातचीत कर वापस काम पर लौट गए थे। आज फ़िर मां के ईश्वर चरणों में गमन पर आए गांधीनगर में अपने भाइयों के साथ मुखाग्नि दी और बेटे का फ़र्ज निभाया और श्मशान घाट से सीधे राजभवन के लिए रवाना हुए और यहीं से वह पश्चिम बंगाल में पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए। अंतिम संस्कार बहुत ही साधारण तरीके से पूरा किया गया। राज्यों के मुख्यमंत्री को गांधीनगर आने से मना किया गया था तथा परिवार के लोगों ने सबसे अपने तय कार्यक्रमों को जारी रखने का अनुरोध किया और कहा यही सच्चे मायने में श्रद्धांजलि होगी, ऐसे कर्तव्यनिष्ठाता तपस्या और त्याग को रेखांकित करने वाली बात है, जिसको सारा देश प्रणाम करता है और यह उम्मीद रखता है कि हर शासकीय प्रशासकीय व्यक्ति कर्तव्यनिष्ठा अपनी कुर्सी और पद के प्रति ईमानदारी ज़वाबदारी तपस्या और त्याग कर भारत माता के प्रति समर्पण भाव का निर्वहन करें। चूंकि आज सारे विश्व में कर्तव्य की पराकाष्ठा को सजीवता के साथ देखे हैं, इसलिए आज हम चर्चा करेंगे, देश को परम राष्ट्रभक्त देने वाली यशस्वी मां हीरा बा को सच्ची श्रद्धांजलि के रूप में कर्तव्यनिष्ठा तपस्या और त्याग के सजीव रूप को प्रणाम।

साथियों बात अगर हम यशस्वी मां हीरा बा और उनके राष्ट्रभक्त पुत्र के संबंधों की करें तो यह सर्वविदित है कि पूरे विश्व ने कई बार देखा जब भी वे गुजरात अहमदाबाद आते तो अधिकतम बार अपनी मां से मिलने, उनके हाथ से खाना खाने, उनके चरण धोने से लेकर हर अमृत ममतामई मां का प्यार उन्होंने पाया जिसे हमने टीवी चैनलों मीडिया सोशल मीडिया के माध्यम से कई बार देखा, और आज जब हमने मीडिया में उनके पार्थिव देह के साथ उनके कर्तव्यनिष्ठ पुत्र पीएम को देखा तो सारे विश्व की आंखें नम हो गई, क्योंकि करीब विश्व के सबसे बड़े नेता पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था, फिर भी वह संयम था कर्तव्यनिष्ठा से अंतिम संस्कार की पूरी प्रक्रिया में शामिल थे। मां को कंधा से लेकर अंतिम मुखाग्नि क्रिया तक हम सबने देखें और फ़िर सीधे अपने कर्तव्यों की ओर चल पड़े याने मातृ देवो भव: मातृभूमि भव: पीएम ने कहा शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम, मां में मैंने हमेशा उस रिश्ते की अनुभूति की है जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्म योगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहता है।

साथियों बात अगर हम माननीय पीएम द्वारा जून 2022 में मां हीरा बा के 99 वें जन्मदिन पर अपने ब्लॉग में अपनी मां के बारे में लिखे की करें तो मीडिया में आई जानकारी के अनुसार, मां – शब्दकोष में कोई और शब्द नहीं है। इसमें भावनाओं की एक पूरी श्रृंखला शामिल है – प्यार, धैर्य, विश्वास और बहुत कुछ। दुनिया भर में, देश या क्षेत्र की परवाह किए बिना, बच्चों का अपनी माताओं के प्रति विशेष स्नेह होता है। एक मां न केवल अपने बच्चों को जन्म देती है बल्कि उनके दिमाग, उनके व्यक्तित्व और उनके आत्मविश्वास को भी आकार देती है और ऐसा करते हुए माताएं निःस्वार्थ रूप से अपनी निजी जरूरतों और आकांक्षाओं का त्याग कर देती हैं।आज, मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी और सौभाग्य की अनुभूति हो रही है कि मेरी मां श्रीमती हीराबा अपने सौवें वर्ष में प्रवेश कर रही हैं। यह उनका जन्म शताब्दी वर्ष होने जा रहा है। अगर मेरे पिता जिंदा होते तो वह भी पिछले हफ्ते अपना 100वां जन्मदिन मनाते। 2022 एक विशेष वर्ष है क्योंकि मेरी मां का शताब्दी वर्ष शुरू हो रहा है, और मेरे पिता अपना पूरा कर चुके होंगे। अभी पिछले हफ्ते ही मेरे भतीजे ने गांधीनगर से मां के कुछ वीडियो शेयर किए। समाज के कुछ नौजवान घर आ गए थे, एक कुर्सी पर मेरे पिता की तस्वीर रखी हुई थी, कीर्तन हो रहा था और माँ मंजीरा बजाते हुए भजन गा रही थी। वह अब भी वैसी ही है – भले ही शारीरिक रूप से उम्र का असर पड़ा हो, लेकिन वह मानसिक रूप से हमेशा की तरह सतर्क है। पहले हमारे परिवार में जन्मदिन मनाने का रिवाज नहीं था। हालाकि, युवा पीढ़ी के बच्चों ने मेरे पिता को उनके जन्मदिन पर याद करने के लिए 100 पेड़ लगाए। मुझे कोई संदेह नहीं है कि मेरे जीवन में जो कुछ भी अच्छा है, और मेरे चरित्र में जो कुछ भी अच्छा है, उसका श्रेय मेरे माता पिता को जाता है। आज जब मैं दिल्ली में बैठा हूं तो अतीत की यादों से भर गया हूं। मेरी माँ जितनी सरल है उतनी ही असाधारण भी। सभी माताओं की तरह! जब मैं अपनी माँ के बारे में लिख रहा हूँ, मुझे यकीन है कि आप में से कई लोग मेरे द्वारा उनके बारे में किए गए वर्णन से संबंधित होंगे। पढ़ते समय आप अपनी माँ की छवि भी देख सकते हैं। एक मां की तपस्या एक अच्छे इंसान का निर्माण करती है। उनका स्नेह एक बच्चे को मानवीय मूल्यों और सहानुभूति से भर देता है। मां कोई व्यक्ति या व्यक्तित्व नहीं है, मातृत्व एक गुण है। अक्सर कहा जाता है कि भगवान अपने भक्तों के स्वभाव के अनुसार बनते हैं। इसी प्रकार हम अपनी प्रकृति और मानसिकता के अनुसार अपनी माताओं और उनके मातृत्व का अनुभव करते हैं।मेरी माँ का जन्म गुजरात के मेहसाणा के विसनगर में हुआ था, जो मेरे गृहनगर वडनगर के काफी करीब है। उन्हें अपनी माँ का स्नेह नहीं मिला। छोटी सी उम्र में, उन्होंने मेरी नानी को स्पेनिश फ्लू महामारी के कारण खो दिया। उन्हें मेरी नानी का चेहरा या उनकी गोद का आराम भी याद नहीं है। उन्होंने अपना पूरा बचपन अपनी माँ के बिना बिताया। वह अपनी मां पर गुस्सा नहीं कर सकती थी, जैसा कि हम सब करते हैं। वह अपनी मां की गोद में हम सब की तरह आराम नहीं कर सकती थी। वह स्कूल भी नहीं जा सकती थी और पढ़ना-लिखना सीख सकती थी। उनका बचपन गरीबी और अभावों में बीता।आज की तुलना में माँ का बचपन अत्यंत कठिन था। शायद, सर्वशक्तिमान ने उनके लिए यही नियत किया था। मां का भी मानना है कि यह ईश्वर की इच्छा थी। लेकिन बचपन में ही मां को खो देना, मां का चेहरा तक नहीं देख पाने की बात उन्हें आज भी दर्द दे रही है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मेरा प्रधानमंत्री-मेरा गौरव, मां के अंतिम संस्कार बाद काम पर लौटे पीएम – कर्तव्यनिष्ठता तपस्या और त्याग को प्रणाम। देश को परम राष्ट्रभक्त देने वाली यशस्वी मां हीरा बा पंचतत्व में विलीन मातृ देवो भव: मातृ भूमे भवन:

 

*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

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