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माटीकला बोर्ड के गठन बाद हस्तशिल्पियों के जीवन में आया बदलाव

 

लखनऊ खबर दृष्टिकोण | उ प्र खादी एवं ग्रामोद्योग, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, रेशम तथा वस्त्र उद्योग मंत्री राकेश सचान ने कहा कि प्रदेश में माटीकला बोर्ड के गठन के बाद से हस्तशिल्पियों के जीवन में आशातीत बदलाव आया है। मिट्टी के उत्पादों का उत्पादन बढ़ा, कारीगरों की आमदनी बढ़ी और लोगों को रोजगार भी मिला है।

सचान ने यह विचार मंगलवार को गाँधी भवन प्रेक्षागृह में उ0प्र0 माटी कला बोर्ड द्वारा आयोजित टूल-किट्स वितरण कार्यक्रम में व्यक्त किये। इस अवसर पर जनपद लखनऊ के विभिन्न क्षेत्रों से आये हुए शिल्पकारों एवं कारीगरों को निःशुल्क टूल-किट्स वितरित किये गये। सचान ने कहा कि उ0प्र0 खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड एवं उ0प्र0 माटी कला बोर्ड के माध्यम से अनेक जन कल्याणकारी योजनाएं चलायी जा रही है, जिसका लाभ उद्यमियों, शिल्पकारों एवं कारीगरों को मिल रहा है। इसके अतिरिक्त माटीकला बोर्ड द्वारा परम्परागत कुम्हारी कला को बढ़ावा देने के लिये समय-समय पर निःशुल्क इलेक्ट्रिक चाक, मूर्तियों की डाई, दिया मेकिंग मशीन, पगमिल एवं फर्नेश आदि टूल-किट्स का वितरण किया जा रहा है।इस अवसर पर मंत्री जी द्वारा माटीकला के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 03 कारीगरों को मण्डल स्तरीय माटीकला पुरस्कार भी प्रदान किया गया, जिसमें प्रथम स्थान पर लखीमपुर-खीरी के कौशल किशोर को 15000 रुपये, द्वितीय स्थान पर हरदोई के राम प्रकाश प्रजापति को 12000 रुपये एवं तृतीय स्थान पर रायबरेली के मुन्ना प्रजापति को पुरस्कार स्वरूप 10000 रुपये का चेक देकर सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त लखीमपुर-खीरी, हरदोई एवं लखनऊ के 03 कारीगरों को दीया मेकिंग मशीन वितरित किया तथा सीतापुर के 06 कारीगरों को पॉपकार्न मशीन वितरित की गई। साथ ही कुम्हारी कला से जुड़े उन्नाव के 40, बाराबंकी के 15 तथा लखनऊ के 35 कारीगरों को इलेक्ट्रिक चाक एवं प्रमाण पत्र का वितरण किया गया। इनके अलावा लखनऊ के 10-10 कारीगरों को पॉपकार्न एवं दोना-पत्तल मशीनें भी निःशुल्क दी गईं।

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