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बंगाल चुनाव का दूसरा चरण, मुस्लिमों से ‘दूर’, पूजा में समृद्ध, लाभ या ममता बनर्जी को गोत्र से

मेदिनीपुर
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में, दूसरे चरण की 30 विधानसभा सीटों पर गुरुवार को मतदान होना है। इससे पहले, ममता बनर्जी (लेटेस्ट न्यूज़) के ‘गोत्र कार्ड’ की हर जगह चर्चा हो रही है। सवाल उठता है कि जय श्री राम की घोषणा से नाराज ममता बनर्जी की राजनीति (नंदीग्राम चुनाव) इस बार हिंदुत्व की ओर क्यों झुकी है। दरअसल, जिन 30 सीटों पर दूसरे चरण का मतदान होना है, उनमें पश्चिम मेदिनीपुर में नौ, दक्षिण 24 परगना में चार, बांकुरा में आठ और पूर्व मेदिनीपुर में नौ सीटें शामिल हैं।

ममता बनर्जी की एक और चूक बीजेपी के लिए एक मौका हो सकती है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में नंदीग्राम क्षेत्र से भाजपा नेता प्रालय पाल को फोन किया। इसके साथ ही उन्होंने टीएमसी को समर्थन देने की बात कही थी। माना जा रहा है कि इसके साथ ही टीएमसी के साथ देखे गए वोट बैंक में भी सेंध लग सकती है।इसका कारण यह है कि ममता बनर्जी अपने मतदाताओं के प्रति आश्वस्त नहीं हैं।

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जब मैं मंदिर गया, तो पुजारी ने पूछा कि मेरा गोत्र क्या है। मुझे याद आया कि मैंने त्रिपुरेश्वरी मंदिर में अपने गोत्र माँ माटी मानुष को बताया था, लेकिन आज जब मुझसे पूछा गया तो मैंने कहा कि मेरा व्यक्तिगत गोत्र शांडिल्य है, लेकिन मैं समझता हूँ कि मेरा सार्वजनिक गौत्र माँ मति-मानुष है।

ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल

 

 

 

नंदीग्राम सीट पर राजनीतिक समीकरण क्या है

बंगाल में, बंगाल में दूसरे चरण की विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं का प्रतिशत सिर्फ 13 प्रतिशत है। वहीं, इन सीटों पर अनुसूचित जाति के सर्वाधिक 24 फीसदी मतदाता हैं। इनके अलावा अनुसूचित जनजाति के पांच प्रतिशत मतदाता हैं। इन स्थितियों के बीच नंदीग्राम का समीकरण काफी अलग है। यहां मुस्लिम आबादी लगभग 23.1 प्रतिशत है।

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फुरफुरा शरीफ के ‘पीरज़ादा’ अब्बास सिद्दीकी ने नंदीग्राम सीट पर टीएमसी का कहर बढ़ाया है। अब्बास ने 26 मार्च को इस सीट पर एक सार्वजनिक बैठक की। ऐसे में अगर मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण हुआ तो भाजपा की जीत की उम्मीदें कायम हैं।

 

इस समीकरण को भी समझना जरूरी है

नंदीग्राम सीट पर क्या है समीकरण?
पश्चिम बंगाल के एक स्थानीय पत्रकार वीके शर्मा कहते हैं, ‘इस बार मुकाबला मुख्य रूप से ममता बनर्जी और सुवेंदु अधिकारी के बीच है। हां, वाम उम्मीदवार मीनाक्षी मुखर्जी इसमें जज होंगी। वास्तव में, नंदीग्राम में, ममता सोचती हैं कि मुस्लिम वोट बैंक उनके साथ सुरक्षित है। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए, यह कहना जल्दबाजी होगी। दलित, शोषित, वंचितों के वोट के साथ-साथ मुस्लिम वोट भी इस बार नंदीग्राम की कुर्सी तय करने वाले हैं। अगर मुस्लिम वोटबैंक टीएमसी और लेफ्ट पार्टियों के बीच बंटता है, तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा।

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