उपर निदेशक डॉ एस के अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि अगर विभागीय जॉच में सत्यता पाई गई तो की जायेगी विभागीय कार्यवाही
लखनऊ,पशुपालन विभाग में तैनात फोर्थ क्लास के कर्मचारियों को सरकार द्वारा सरकारी आवास को रहने के लिए दिया जाता हैं ताकि वह अपने परिवार वालों के साथ रह कर विभाग में सेवा दे सकें और अपने परिवार के साथ भी रह सकें. लेकिन अगर यहीं कर्मचारी अपनें आवास को किराए पर उठाकर अवैध तरीके से किराया वसूल करें तो जिमेदार कौन होगा सवाल बड़ा है?
ऐसा हम नहीं कह रहे हैं ऐसा ही एक मामला सामने देखने को मिला हैं. जिसमें वीपी संस्थान में तैनात सरकारी कर्मचारी द्वारा संत बहादुर द्वारा आपने सरकारी आवास को किराए पर उठाकर खुद आपने निजी मकान में निवास कर रहे हैं और सरकारी आवास को आपने जानने वाले को आवास किराए पर दे दिया गया है . वहीं सूत्रों की जानकारी को माने तो कई वर्षों से सरकारी कर्मचारी द्वारा मकान को किराए पर उठाया गया है . इस सरकारी आवास में चाउमीन बनाने वाले लोगों को दे रखा था. सूत्रों की माने तो संत बहादुर कई सालों से वीपी संस्थान बादशाह बाग लखनऊ में कार्य कर रहा हैं जो की मूल रूप से नेपाल का रहने वाला है . इसके द्वारा कई महीनों से आपने सरकारी आवास को अपने जानने वाले लोगों को दे रखा हैं और जो की आईटी चौराहे के आस पास ही चाउमीन, फास्ट फूड का ठेला लगाया जाता हैं . इस प्रकरण में जब न्यूज वन इंडिया की टीम द्वारा ख़बर कर अधिकारियो को सूचित किया गया तो उपर निदेशक डॉ एस के अग्रवाल द्वारा त्वारित कार्यवाही करते हुई जॉच के आदेश कर दिया गया और उनके द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि अगर विभागीय जॉच में किराए पर सरकारी आवास किराए की बात सच हुईं तो विभागीय कार्यवाही की जायेगी।