राजनैतिक गलियारों में शोक की लहर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने तीन दिन के राजकीय शोक का किया एलान
खबर दृष्टिकोण/लखनऊ !
मुलायम सिंह यादव, एक ऐसा नाम जिसे सहज, सरल व्यक्तित्व के साथ साथ उनके कठोर निर्णयों के लिए भी जाना जाता था. मुलायम नहीं रहे, लेकिन उनसे जुड़ी कुछ यादें और कुछ बातें हमेशा चर्चा में रहेंगी.
इतना ही नहीं उनके यहां तक पहुंचने का सफरनामा भी कईयों को प्रेरित करता रहेगा. लोगों को यह प्रेरणा देता रहेगा कुछ भी असंभव नहीं, गर ठान लीजिए. अगर ऐसा नहीं होता तो शायद एक सामान्य शिक्षक से देश के एक बड़े नेता तक का सफर वह तय नहीं कर पाते. मुलायम तमाम शिक्षकों के लिए एक मिसाल थे.
*शिक्षक हुआ करते थे मुलायम*
राजनीति में आने से पूर्व मुलायम सिंह यादव बतौर शिक्षक अध्यापन का कार्य करते थे. उन्होंने अपना शैक्षणिक करियर करहल क्षेत्र के जैन इंटर कॉलेज से शुरू किया था. दरअसल 1955 में मुलायम सिंह यादव ने जैन इंटर कॉलेज में कक्षा नौ में प्रवेश लिया था. यहां से 1959 में इंटर करने के बाद 1963 में यही सहायक अध्यापक के तौर पर अध्यापन का कार्य शुरू कर दिया था. जानकार बताते हैं कि उस दौर में उन्हें 120 रुपए मासिक वेतन मिलता था. उन्होंने हाई स्कूल में हिंदी और इंटर में सामाजिक विज्ञान पढ़ाया.
*10 अक्टूबर 2022 की सुबह निधन*
बता दें कि गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में सोमवार, 10 अक्टूबर की सुबह मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया. बताया जा रहा है कि सुबह 8 से 8:30 बजे के बीच उन्होंने अंतिम सांस ली. 22 अगस्त को नेता जी को मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 1 अक्टूबर की रात को आइसीयू में शिफ्ट किया गया था. मेदांता के एक डॉक्टरों का पैनल उनका इलाज कर रहा था. नेताजी का पार्थिव शरीर लखनऊ ले जाया जाएगा. वहां पार्टी ऑफिस और विधानसभा में उनका पार्थिव शरीर रखा जाएगा. लखनऊ के बाद सैफई ले जाया जाएगा और सैफई में अंतिम संस्कार होगा।
