कोंच- गल्ला व्यापारियों की संस्था धर्मादा रक्षिणी सभा द्वारा संचालित विश्व विख्यात कोंच की सांस्कृतिक विरासत रामलीला के 170वें महोत्सव में शुक्रवार रात हास्य व्यंग और वीर रस से सराबोर ताड़का बध लीला का शानदार मंचन किया गया जिसमें सभी पात्रों ने अपनी भूमिकाओं के साथ पूरा न्याय किया और किरदारों में जान फूंकने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी। इस लीला में खास बात यह रही कि मुख्य भूमिकाओं में तपे तपाए बुजुर्ग रंगकर्मी अभिनय करते नजर आए।
दर्शाए गए प्रसंग के अनुसार ताड़क वन में राक्षसी ताड़का अपने परिवार और अनुचरों के साथ निवास करती है। अपने पुत्र मारीच और सुबाहु को राज्य संचालन के लिए आदेशित कर वह विश्राम अवस्था में चली जाती है। सभी राक्षस खूब हुड़दंग मचाते हैं। दूसरे दृश्य में गाधितनय महर्षि विश्वामित्र सिद्धाश्रम में यज्ञ करते हैं। हवन की सुगंध से विचलित मारीच और सुबाहु राक्षसों के साथ आकर यज्ञ का ध्वंस कर देते हैं। इससे दुखी विश्वामित्र राक्षसों का विनाश करने का निश्चय कर अयोध्या नरेश महाराज दशरथ के पुत्रों राम और लक्ष्मण को यज्ञ रक्षार्थ मांग लाते हैं। ताड़क वन से गुजरते हुए उनकी भेंट राक्षसी ताड़का से होती है और गुरु विश्वामित्र का आदेश पाकर राम ताड़का का बध कर उस जनस्थान को निर्भय कर देते हैं। इसके बाद महर्षि विश्वामित्र सिद्धाश्रम पहुंच कर फिर से यज्ञ आरंभ करते हैं और मारीच सुबाहु यज्ञ ध्वंस के लिए वहां पहुंचते हैं। यज्ञ रक्षा में तत्पर राम लक्ष्मण राक्षसों का संहार करते हैं। राम सुबाहु का बध कर देते हैं जबकि बिना फर का वाण चला कर मारीच को सौ योजन दूर फेंक देते हैं। लीला के मध्य गुदगुदाते गीत दर्शकों का खूब मनोरंजन कराते हैं। मौसम साफ हो जाने से रामलीला मैदान दर्शकों से खचाखच भरा था। विश्वामित्र की भूमिका बुजुर्ग रंगकर्मी प्रियाशरण नगाइच, दशरथ की रमेश तिवारी, ताड़का की अभिषेक रिछारिया ‘पुन्नी’, मारीच की 71 वर्षीय रिटायर्ड शिक्षक नंदराम स्वर्णकार, सुबाहु श्यामजी लोहिया, बशिष्ठ संतोष त्रिपाठी, सुमंत्र प्रमोद सोनी के अलावा अन्य किरदारों में बप्पी लहरी, नीरज अग्रवाल, हेमू प्रजापति, गब्बर आदि नजर आए। सांकेतिक की जिम्मेदारी दिनेश मानव व नीरज द्विवेदी ने संभाली। पार्श्व गायन में बप्पी लहरी, छोटे स्वर्णकार, आकाश राठौर, लखन सोनी, लकी दुवे, अतुल चतुर्वेदी रहे।