खबर दृष्टिकोण
संवाददाता
कोंच- सरकार ने भले ही कुम्हारी कला को बड़ावा देकर मिट्टी के धंधे से जुड़े परिवारों का जीवन स्तर सुधारने का काम किया है लेकिन उनकी परेशानी अभी भी खत्म नही हो पा रही है उन्हें मिट्टी से मूर्तियां बनाने के लिए मिट्टी को मंहगे दामो में खरीदना पड़ रहा है जबकि प्रशासन ने मिट्टी लेने के लिए जमीन आरक्षित कर रखी है।
नवरात्र महोत्सव 26 सितंबर से प्रारंभ होने जा रहा है कुम्हारी कला से जुड़े मिट्टी के कारीगर मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे है कोई माँ दुर्गा की मूर्ति बना रहा है तो कोई माँ शेरावाली तो कोई काली मां,गायत्री,माँ, अनपूर्णा माँ,गौरी माँ की प्रतिमा को अपनी कारीगरी से सबारने में जुटा है पूरे परिवार के साथ मूर्ति बनाने में जुटे यह कारीगर शासन की योजनाओ से महरूम है मूर्ति बनाने में उन्हें जिस मिट्टी की आवश्यकता होती है वह मिट्टी उन्हें मंहगे दामो में खरीदनी पड़ रही है जबकि सरकार में अधिकतर जगहों पर कुम्हारी कला के लिए भूमि के पट्टे आबंटित कर रखे है नगर में भी यह पट्टे आरक्षित है सरकार का कहना भी क़ी कुम्हारी कला से जुड़े लोग इन पट्टो से जितनी मिट्टी चाहे अपनी जरूरत के हिसाब से ले सकते हैं लेकिन इन कारीगरों को इन पट्टो से मिट्टी नही मिल पा रही है चूँकि दबंग उनजे आरक्षित पट्टे पर अतिक्रमण किये हुए है यही कारण है कि कारीगरों को मूर्तियां बनाने में या फिर मिट्टी के अन्य सामान बनाने के लिए मिट्टी को खरीदना पड़ रहा है नगर के मोहल्ला मालवीय नगर निवासी, गंगा राम एवँ रामकृष्ण तथा गोबर्धन,सुरेन्द्र,अनुज ने बताया कि नवरात्र महोत्सव के लिए उन्हें प्रतिमाओं को बनाने के लिए ऑडर मिले है पूरे परिवार के साथ वह तेजी से प्रतिमा बनाने में जुटे है इन प्रतिमा की बिक्री से उनजे परिवार को आर्थिक लाभ होगा लेकिन दुख इस बात का है कि उन्हें मिट्टी नही मिल पा रही है एक ट्रॉली मिट्टी के उन्हें 800 से 1000 हजार रुपये देने पड़ रहे है वही एसडीएम कृष्णकुमा र में बताया कुम्हारी कला के लिए भूमि आवंटित है यदि कोई उस पर कब्जा किये है तो वह उसे पता लगाकर मुक्त करवाएंगे।