रिपोर्ट मो०अहमद चुनई
पुरवा उन्नाव बृहस्पतिवार को जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया है कि खरीफ में उगाई जाने वाली खाद्यान फसलों में धान का प्रमुख स्थान है जिसमें कीट/रोगों के प्रकोप के फलस्वरूप उत्पादन प्रभावित होता है। उनकी रोकथाम के उपाय निम्नवत् है।
धान की फसल में लगने वाले रोगो में से भूरा फुदका, दीमक एवंज ड़ की सुंडी, पत्ती लपेट कीट, खैरा रोग एवं जीवाणु झुलसा प्रमुख है। जिसमें भूरा फुदका रोग की पहचान की जा सकती है इस रोग में कीट पत्तियों एवं बालियों का रस चूस कर पौधों को नुकसान पहुँचाते है। यह कीट 3-4 दिन में पूरी फसल नष्ट कर देता है। इस कीट के प्रौढ़ भूरे रंग के पंख युक्त तथा शिशु भूरे रंग के पंख विहीन होते है। इसकी रोकथाम के लिये बुप्रोफंजिन 25 प्रतिशत ई0सी0 की 0.8 से 1 ली0 मात्रा अथवा बाइफेन्थ्रिन 10 प्रतिशत ई0सी0 की 0.8 से 1 ली0 मात्रा अथवा थायामेथोक्साम 25 प्रतिशत एस0जी0 की 200 से 225 ग्राम मात्रा 400 से 500 ली0 पानी के साथ घोल बना कर स्प्रे करे। 3 से 4 दिन बाद दुबारा स्प्रे करे।
दीमक एवं जड़ की सुंडी-के नियंत्रण हेतु क्लोरपाइरीफाॅस 20 प्रतिशत ई0सी0 की 2.5 ली0 मात्रा सिचाई के पानी के साथ प्रयोग करें। पत्ती लपेटक कीट में सुंडियां पत्तियों के दोनों किनारों कोे जोडकर नलीनुमा रचना बनाती हैं तथा उसी के अन्दर रहकर पत्ती को खुरचकर खाती है। इसके नियंत्रण हेतु क्यूनालफाॅस 25 प्रतिशत ई0सी0 की 1.25 ली0 मात्रा को 500-600 ली0 पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। खैरा रोग जिंक की कमी के कारण होता है इस रोग में पत्तियाँ पीली पड़ जाती है जिस पर बाद में कत्थई रंग के धब्बे पड़ जाते है। खैरा रोग के नियंत्रण हेतु जिंक सल्फेट 21 प्रतिशत की 5 कि0ग्रा0 मात्रा को 20 कि0ग्रा0 यूरिया के साथ 800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर छिड़काव करें तथा जीवाणु झुलसा रोग में पत्तियाँ नोक अथवा किनारे से सूखने लगती है सूखे हुए किनारे अनियमित एवं टेढे मेढे हो जाते है इसके नियंत्रण हेतु 500 ग्राम काॅपर आॅक्सीक्लोराइड 50 डब्लू0पी0 को प्रति हे0 500-600 ली0 पानी में घोल बनाकर स्प्रे करें।
उन्होंने बताया कि फसल में किसी भी कीट/रोग की समस्या होने पर कृषि विभाग में तकनीकी अधिकारियो से तत्काल विकास खण्ड स्तर पर सहायता ले या निःशुल्क व्हाटसएप नं0 9452247111, 9452257111 पर कीट/रोग कें फोटोग्राफ खींचकर अपना नाम, पता, और जनपद का नाम लिखकर घर बैठे ही तकनीकी सलाह ली जा सकती है।