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विश्व हेपटाइटिस जागरूकता दिवस : 28 जुलाई

 

संवाददाता रघुनाथ सिंह ख़बर दृष्टिकोण लखनऊ

 

हेपेटाइटिस से डरने की नहीं, जागरूकता की आवश्यकता

 

हेपेटाइटिस ऐसा रोग है, जिससे डरने की आवश्यकता नहीं है,सिर्फ इसके प्रति जागरूक रहना जरूरी है। एसजीपीजीआई के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ आकाश माथुर बताते हैं कि हेपेटाइटिस के प्रति जागरूकता के अभाव में अनेक गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। हाल ही उनके पास नगमा (पहचान छुपाने के लिए नाम बदल दिया गया है) नाम की रोगी आई, जिसे हेपेटाइटिस था और उनके पति व ससुराल वालों ने इसे अति गंभीर रोग समझकर न केवल घर से निकाल दिया वरन तलाक की धमकी दे दी।

डॉ आकाश ने न केवल नगमा का इलाज किया वरन् उनके परिवार के सदस्यों से टेलीफोन पर बात कर उन्हें समझाया कि यह साधारण रोग है और उपचार से ठीक हो जाएगा। अब नगमा स्वस्थ है और अपने ससुराल में आराम से रह रही है।

डॉ आकाश बताते हैं कि इसी प्रकार एक गर्भवती महिला के हैपेटाइटिस से ग्रस्त होने पर उनके पति और वह खुद, दोनों डिप्रेशन में आ गए। उन्हें लगा कि उनका पैदा होने वाला शिशु उम्र भर किसी रोग या विकार से ग्रस्त रहेगा। इस दंपत्ति को समझाया गया कि वे परेशान ना हों, उचित चिकित्सा और शिशु के जन्म के बाद उसे हेपेटाइटिस का टीका लगने से सब कुछ सामान्य हो रहेगा। इस काउंसलिंग के बाद यह दंपत्ति निश्चिंत हो गया ।अब मां व शिशु दोनों स्वस्थ हैं और परिवार आनंदपूर्वक जीवनयापन कर रहा है।

डॉ आकाश बताते हैं कि हेपेटाइटिस एक लिवर संक्रमण है जो हेपेटाइटिस  वायरस के कारण होता है। इस रोग से बचाव और उपचार दोनों संभव हैं,लेकिन लापरवाही बरतने की स्थिति में ये रोग जानलेवा हो सकता है।

यह रोग सामान्य उपचार से भी ठीक हो जाता है लेकिन कभी ‘सिरोसिस’ या कैंसर जैसे गंभीर लिवर रोगों में भी परिवर्तित हो जाता है। हेपेटाइटिस वायरस दुनिया में हेपेटाइटिस का सबसे आम कारण है, लेकिन अन्य संक्रमण, विषाक्त पदार्थ (जैसे शराब, कुछ दवाएं), और ऑटोइम्यून रोग भी हेपेटाइटिस का कारण बन सकते हैं।

पांच मुख्य हेपेटाइटिस वायरस हैं, जिन्हें ए, बी, सी, डी और ई प्रकार के रूप में जाना जाता है।

हेपेटाइटिस बी और सी करोड़ों लोगों में रोग का कारण बनते हैं और एक साथ ये लिवर सिरोसिस और कैंसर का सबसे आम कारण हैं।

डॉ आकाश ने बताया कि हेपेटाइटिस ए और ई आमतौर पर दूषित भोजन या पानी पीने के कारण होते हैं। ये वायरस दूषित रक्त व दूषित इंजेक्शन लगाने जैसी चिकित्सा प्रक्रिया से भी शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। जन्म के समय मां से बच्चे में हेपेटाइटिस तथा संक्रमित व्यक्ति से यौन संपर्क द्वारा भी यह संक्रमण होता है।

हेपेटाइटिस बी के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक होते हैं। वे आमतौर पर संक्रमित होने के लगभग एक से चार महीने बाद दिखाई देते हैं, हालांकि ये लक्षण जल्दी से जल्दी दो सप्ताह के संक्रमण के बाद देखे जा सकते हैं। कुछ लोगों में , आमतौर पर छोटे बच्चों में, कोई लक्षण नजर नहीं आते।

हेपेटाइटिस के कुछ लक्षण हैं : पेट दर्द,पीला मूत्र,बुखार,जोड़ों का दर्द,भूख न लगना,मतली व उल्टी,कमजोरी और थकान और

त्वचा का पीला पड़ना और आँखों का सफेद होना (पीलिया)

हेपेटाइटिस बी संक्रमण हेपेटाइटिस बी वायरस  के कारण होता है। वायरस रक्त, वीर्य या शरीर के अन्य तरल पदार्थों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को चला जाता है। यह छींकने या खांसने से नहीं फैलता है।

संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध रखने पर हेपेटाइटिस बी हो सकता है। यदि संक्रमित व्यक्ति का रक्त, लार, वीर्य या योनि स्राव किसी अन्य व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है, तो वायरस उसके पास जा सकता है।

यह रोग संक्रमित रक्त से दूषित सुइयों और सीरिंज के माध्यम से फैलता है।

डॉ माथुर के अनुसार हेपेटाइटिस रोग के उपचार के लिए अनेक एंटीवायरल दवाइयां उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त रोगी के आराम करने,उल्टी के उचित चिकित्सा प्रबंधन और हाई कैलोरी भोजन व तरल पेय पदार्थ के सेवन तथा शराब व कुछ विशिष्ट दवाइयों के सेवन से बचने से भी हेपेटाइटिस के रोगी को राहत मिलती है।

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