Breaking News

सीएमओ ने किया राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का शुभारंभ

 

 

 

संवाददाता अमरेन्द्र यादव

 

966312 लाख को कृमि मुक्ति की दवा खिलाने का अभियान शुरू

 

आंगनबाड़ी केंद्रों व स्कूलों पर मना राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस

 

सीएमओ व अन्य अधिकारियों कर्मचारियों ने दवा खाकर शुरू कराया कृमि मुक्ति अभियान।

 

 

 

रायबरेली, – जिले में बुधवार को नगर पालिका परिषद इंटर कॉलेज पुलिस लाइन में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कृमि मुक्ति की दवा खाकर अभियान का शुभारंभ किया। यह दवा 1 वर्ष से 19 वर्ष उम्र तक के सभी लोगों को खानी है।मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वीरेंद्र सिंह ने बताया कि जिले में 966312 लाख बच्चों और किशोरों को कृमि मुक्ति की दवा यानि पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाने के उद्देश्य से यह अभियान शुरू हुआ है। इस अभियान के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों, स्वास्थ्य केन्द्रों और पंजीकृत स्कूलों, ईंट भट्ठों पर कार्य करने वाले श्रमिकों और घुमन्तू लोगों को दवा खिलाई जा रही है। उन्होंने बताया कि किसी कारण आज जो बच्चे दवा नहीं खा पाए हैं उनको मॉपअप राउंड में खिलाई जाएगी। जनपद में मॉपअप राउंड 25 जुलाई से 27 जुलाई तक चलेगा। शिक्षक, आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को यह दवा अपने सामने ही खिलाने के निर्देश हैं।अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद डॉ आशीष कुमार सिंह ने बताया कि कुछ खाकर ही यह दवा खानी है। 3 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यह दवा पीसकर पिलानी है जबकि 3 वर्ष से ऊपर के बच्चों को यह दवा चबाकर खानी है। उन्होंने बताया कि पेट से कीड़े निकलने की दवा एल्बेन्डाजॉल बहुत ही स्वादिष्ट बनाने की कोशिश की जाती है। इससे बच्चे आसानी से खा लेते हैं। पहले यह दवा वनीला और मैंगो फ्लेवर में उपलब्ध थी जबकि इस बार यह स्ट्राबेरी फ्लेवर में मिल रही है।विद्यालय की प्रधानाचार्य सीमा श्रीवास्तव ने बताया कि प्रशिक्षित लोगों के द्वारा ही यह दवा खिलाई जा रही है। जो लोग दवा नहीं खा सके हैं, उनको मॉपअप राउंड में दवा खिलाने का प्रयास करेंगे।विनय पांडे शहरी स्वास्थ्य समन्वयक ने बताया कि मेरे बच्चे को आज उसके स्कूल में कृमि मुक्ति की दवा खिलाई गई है। दवा सेवन के दौरान और उसके बाद भी कोई दिक्कत नहीं होती है यह दवा पूर्णतया प्रमाणित एवं सुरक्षित है अभी आपके सामने हम लोगों ने भी दवा का सेवन किया है ताकि लोगों को विश्वास हो सके इस दवा का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।क्यों खाएं दवा। डी एस अस्थाना जिला स्वस्थ्य शिक्षा आधिकारी ने बताया कि बच्चे अक्सर कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं या फिर नंगे पांव ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े विकसित हो जाते हैं। इसलिए एल्बेन्डाजॉल खाने से यह कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं। अगर यह कीड़े पेट में मौजूद हैं तो बच्चे के आहार का पूरा पोषण कृमि हजम कर जाते हैं। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। बच्चा धीरे-धीरे खून की कमी (एनीमिया) समेत अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। कृमि से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए यह दवा एक बेहतर उपाय है। जिन बच्चों के पेट में पहले से कृमि होते हैं उन्हें कई बार कुछ हल्के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। जैसे हल्का चक्कर, थोड़ी घबराहट, सिर दर्द, दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, मितली, उल्टी या भूख लगना। इससे घबराना नहीं है। दो से चार घंटे में स्वतः ही समाप्त हो जाती है। आवश्यकता पड़ने पर आशा या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से चिकित्सक से संपर्क करें। उन्होंने बताया कि कृमि मुक्ति दवा बच्चे को कुपोषण, खून की कमी समेत कई प्रकार की दिक्कतों से बचाती है। इस कार्यक्रम में शहरी स्वास्थ्य समन्वयक विनय पांडे,आभा सोनकर,कृष्णावती यादव,अनिल पांडे स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी नितेश जयसवाल डी आई सी मैनेजर एवं समस्त अध्यापक व कर्मचारी उपस्थित रहे।

About Author@kd

Check Also

चोरी के दो मोबाईल फोन संग शातिर चोर गिरफ्तार |

खबर दृष्टिकोण लखनऊ | रायबरेली जनपद जीआरपी पुलिस द्वारा गुरुवार को स्टेशन परिक्षेत्र से एक …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!