रोहितसोनी उरई
खबर दृष्टिकोण
*उरई (जालौन*) जिलाधिकारी चांदनी सिंह ने बताया कि
जनपद के विभिन्न अंचलों से निरन्तर छुट्टा गोवंश छोड़े जाने के कारण फसलों एवं जनमानस को नुकसान पहुंचाने की शिकायतें लगातार बड़ी संख्या में प्राप्त हो रही है। छुट्टा गोवंश छोड़ने पर रोक लगाने संबन्धी शासनादेश के प्रस्तर सं. 7 में प्राविधान है कि नगर पालिका अधिनियम-1916 की धारा-255 के अन्तर्गत कार्यवाही करते हुये उ. प्र. पंचायतराज मैनुअल के अध्याय-4 के अन्तर्गत धारा-15 “छुट्टा पशु और पशुधन” के विरूद्ध निवारक कार्यवाही की जाए। उ. प्र. पंचायतराज अधिनियम की धारा-37 की उपधारा (1) सपठित उ. प्र. पंचायतराज मैनुअल नियम 220 एवं 224 के अन्तर्गत एवं शासनादेश के प्रस्तर सं-3 पशु अतिचार अधिनियम 1871 (संशोधित 21 अगतस्त, 1996) में दिये गये प्राविधानों व पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम-1960 की धारा-4 के अधीन स्थापित भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड पर्यावरण बन और जलवायु मंत्रालय भारत सरकार द्वारा निर्गत दिशा निर्देश पत्रांक-9-3 / 2018-19 / पीसीए 12 जुलाई तथा पशु क्रूरता निवारण अधिनियम-1960 की धारा 10 (1) के अनुसार गोवंश छुट्टा / लावारिस छोड़ जाने पर आईपीसी की धारा 428 एवं 429 के अन्तर्गत किसी भी जानवर को छोड़ने पर 03 माह तक का दंड भुगतना पड़ सकता है। जनपद के समस्त पशुपालकों से अपील है कि कोई भी व्यक्ति अपना पालतू गोवंश किसी भी दशा में छुट्टा न छोड़े, यदि कोई पशुपालक गोवंश छोडता पाया जाता है तो उस व्यक्ति के विरूद्ध उक्त सुंसगत धाराओं में संबंधित क्षेत्र के थाने में थानाध्यक्ष द्वारा अभियोग पंजीकृत करते हुए कार्यवाही अमल में लायी जायेगी।