बड़े घोटाले पर अधिकारी मौन क्यों?बड़ा सवाल
अजय सिंह/पवन कुमार सिंह
सीतापुर।जिस तरीके से स्वच्छता मिशन अभियान की धज्जियां उड़ाई जा रही कहने का तात्पर्य है, कि स्वच्छता मिशन के नाम पर बड़े घोटाले सामने आ रहे हैं। यह भी सोचने वाली बात है आखिर यह घोटाले बाजी कब तक होती रहेगी। क्या इसको देखने वाला कोई नहीं?क्योंकि स्वच्छता मिशन पर लाखों के घोटाले निकल कर सामने आ रहे हैं और उसके नाम पर लाखों रुपया ग्राम पंचायत अधिकारी और प्रधानों की जेब में जा रहा है काम महज खानापूर्ति ही नजर आ रहा है ।यह बातें जो हो रही वह इसी ओर इशारा कर रही हैं लहरपुर विकासखंड की ग्राम पंचायत दारानगर की बात की जाए तो घोटाले का अंबार लगा हुआ है यहां पर जानकारी मिल रही है कि विकास कार्यों में जो दिखाया जा रहा है और जो हो रहा है वह बिल्कुल अलग साबित हो रहा है। बताते चलें कि यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की पहल और मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार योगी आदित्यनाथ का कुशल नेतृत्व व विकास कार्यों के प्रति सख्त दिशानिर्देश भी फीके पड़ते नजर आ रहे हैं ।बताते चलें कि दारानगर ग्राम पंचायत में अगर स्वच्छता मिशन की ओर नजर दौड़ाई जाए तो स्वच्छता पर 15वें वित्त के अन्तर्गत बड़ा खर्च हुआ है वर्ष 2022-23में 1,83,850 ₹ का दर्शाया गया है। जो बड़ा अमाउंट है लेकिन धरातल पर जो दिखाई पड़ा उस पर जो बातें भी हो रही हैं वह यह साथ इंगित करता है कि दारानगर मामले में ग्राम पंचायत में स्वच्छता घोटाला किया गया है जिसमें ग्राम विकास अधिकारी बृजेश कुमार सिंह वह प्रधान की मिलीभगत शामिल है लेकिन इस मामले में अधिकारी मौन क्यों हैं यह भी बड़ा सवाल है? कि शासन के सख्त दिशानिर्देश उसके बावजूद भी जांच के नाम पर शून्य? जब घोटाला हुआ है तो जांच भी होनी चाहिए क्योंकि जांच हुई तो यह तय है कि ग्राम विकास अधिकारी बृजेश कुमार सिंह की तो कुर्सी जाएगी ही साथ में प्रधान के भी ऊपर बड़ी कार्यवाही होगी अब देखना यह है इस मामले में क्या कोई पहल होगी। या फिर अधिकारियों का मौन जारी रहेगा।
