रोहितसोनी जिला संवाददाता जालौन उरई
थाना प्रभारी की क्या मजाल जो 112 नं डायल का सिपाही अखिलेश राजपूत कर सकता है वो काम जो नही कर सकते थाना प्रभारी
थाने में प्रभारी निरीक्षक की नही बल्कि डायल 112 के रंगबाज सिपाही अखिलेश राजपूत की है चलती
जहां एक ओर सूबे के मुखिया योगी जी पत्रकारों के सम्मान की बात करते है
तो वहीं दूसरी तरह थाने में डायल 112 की 1590 में तैनात सिपाही पत्रकारों के कार्ड चैक करके पत्रकारों को दबाव में लेता है
बड़ा सवाल-आखिर पत्रकारों के कार्ड चैक करने का अधिकार डायल 112 के सिपाहियो को किसने दिया?
रंगबाज सिपाही खुद वर्दी तो पहनते है पर बिना नेमप्लेट की
जब सर पर हो अपने लाडले पर प्रभारी निरीक्षक का हांथ तो क्या करेंगे जिले में बैठे बड़े वाले साहब*
पत्रकार के भाई का ही कर डाला खाकी वालों ने 151 में चालान
लड़ जाना, पिट जाना लेकिन किसी भी थाने मत जाना, क्योकि पीड़ित हो या मुजरिम दौनो मे एक समान होती हैं कार्य वाही
चुर्खी थाने मे आना है पत्रकारो को तो 112नं डायल सिपाही को दिखाना होगा अपना प्रेस कार्ड*
अब सवाल ये उठता है आखिर ऐसे बिना नेमप्लेट वाले अपने लापरवाह लाडले पर क्या करते है पुलिस अधीक्षक महोदय कार्यवाही?*
या
थाना प्रभारी के संरक्षण में चलती रहेगी ऐसे ही मौज में नौकरी
जनपद जालौन के चुर्खी थाना का मामला*