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दोषी मिले नोएडा प्राधिकरण के 26 अफसर

 

 

लखनऊ । देशभर में नोएडा प्राधिकरण की छवि खराब कराने वाले सुपरटेक मामले में 26 अधिकारी दोषी पाए गए हैं। विशेष जांच दल (एसआइटी) की रिपोर्ट मिलने के अगले दिन ही उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई की है। संलिप्त पाए गए दो अधिकारियों की मृत्यु हो चुकी है। सेवारत चार अफसरों से एक का निलंबन पहले हो चुका है और तीन को अब कर दिया गया है। सेवानिवृत्त बीस अधिकारियों के खिलाफ भी नियमानुसार कार्रवाई के आदेश शासन ने दिए हैं। वहीं, दोषी प्राधिकरण अधिकारियों के साथ ही सुपरटेक के चार निदेशक और दो आर्किटेक्ट के खिलाफ विजिलेंस में मुकदमा दर्ज कराकर जांच सौंपी गई है।नोएडा प्राधिकरण द्वारा मै. सुपरटेक लिमिटेड को आवंटित ग्रुप हाउसिंग भूखंड संख्या जी एच-चार, सेक्टर 93 ए पर निर्मित चालीस मंजिला दो टावरों का मामले लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था। पिछले महीने न्यायालय ने टावरों के ध्वस्तीकरण और निवेशकों का पैसा ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया था। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एसआइटी गठित की थी। इसमें अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त संजीव मित्तल अध्यक्ष, अपर मुख्य सचिव ग्राम विकास एवं पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह, अपर पुलिस महानिदेशक मेरठ जोन राजीव सब्बरवाल और मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक अनूप कुमार श्रीवास्तव सदस्य के रूप में शामिल थे। एक महीने तक गहन जांच-पड़ताल के बाद एसआइटी ने अपनी रिपोर्ट औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना को सौंप दी। महाना ने रविवार को रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भेज दी। उनका निर्देश मिलते ही इस मामले में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई के आदेश भी जारी हो गए।अपर मुख्य सचिव औद्योगिक विकास अरविंद कुमार ने बताया कि समिति की रिपोर्ट में 26 अधिकारियों की संलिप्तता दर्शाई गई है, जिसमें दो की मृत्यु हो चुकी है। चार अधिकारी सेवारत हैं और बीस सेवानिवृत्त हो चुके हैं। सेवारत चार में से तत्कालीन नियोजन सहायक मुकेश गोयल को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। रिपोर्ट आने के बाद वर्तमान में यमुना प्राधिकरण में प्रभारी महाप्रबंधक के पद पर तैनात तत्कालीन सहयुक्त नगर नियोजक ऋतुराज व्यास, तत्कालीन प्लानिंग असिस्टेंट (वर्तमान में उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण में तैनात) अनीता और सहयुक्त नगर नियोजक विमला सिंह को भी निलंबित करते हुए विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है।सेवानिवृत्त अन्य अधिकारियों के विरुद्ध नियम अनुसार कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। इनके सहित मै. सुपरटेक के चार निदेशक और दो वास्तुविद के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराते हुए विजिलेंस को जांच सौंपी गई है। सक्षम स्तर से स्वीकृति लेकर इन सभी के खिलाफ न्यायालय में भी वाद दायर दिया जाएगा। इसी तरह दोनों आर्किटेक्ट और उनके संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मामला काउंसिल आफ आर्किटेक्चर को भी अविलंब भेजने का निर्देश दिया गया है। उल्लेखनीय है कि इस प्रकरण में 2004 से 2017 तक प्राधिकरण में तैनात रहे अधिकारियों की भूमिका की जांच की गई। कुल चालीस पन्ने की रिपोर्ट में लगभग 150 संलग्नक हैं।एसआइटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मै. सुपरटेक ने ले-आउट में आरक्षित ग्रीनबेल्ट की 7000 वर्गमीटर जमीन भी भूखंड में मिलाकर अतिक्रमण कर लिया। रिपोर्ट में उल्लेख है कि इस मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ प्राधिकरण स्तर पर कार्रवाई प्रक्रिया में है। शासन ने ग्रीनबेल्ट को अतिक्रमण मुक्त कराने और चिन्हित अधिकारियों के खिलाफ पंद्रह दिन में कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

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