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पेपर आउट कराने की साजिश में नीलेश था शामिल

 

वाराणसी। स्पेशल टास्क फोर्स ने साल 2016 में सारनाथ थाना क्षेत्र के लेढ़ूपुर स्थित एक स्कूल में इलेक्ट्रानिक डिवाइस के जरिए प्री मेडिकल टेस्ट का पेपर लीक करने की साजिश को उजागर किया था। इस संबंध में एक महिला अभ्यर्थी समेत आठ लोग गिरफ्तार किए गए थे। इनके पास से इलेक्ट्रानिक डिवाइस ब्लूटूथ, सिम कार्ड, मोबाइल फोन आदि बरामद किए गए थे। उस समय आरोपितों ने अपने बयान में एसटीएफ की स्थानीय इकाई के अधिकारियों को पटना, बिहार के नीलेश का नाम गिरोह के सदस्य के तौर पर बताया था। यह वही नीलेश है जो अब पीके नाम से गिरोह का संचालन कर रहा है, लेकिन एसटीएफ उस तक नहीं पहुंच सकी थी। इस संबंध में सारनाथ थाने में मुकदमा दर्ज किया था। एफआइआर में भी नीलेश का जिक्र था।पेपर आउट कराने के एवज में मोटी रकम वसूलने की बात भी सामने आई थी। एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक पेपर आउट कराने के लिए आरोपित प्रियंका ठाकुर को इलेक्ट्रानिक डिवाइस देकर परीक्षा केंद्र में प्रवेश कराना था। डिवाइस के जरिए पेपर आउट कराने के बाद उसका हल मंगा कर सेट किए गए अभ्यर्थियों तक उसे पहुंचा कर बड़ी रकम उगाही करने की साजिश थी। इसके लिए गिरोह के सभी सदस्यों को अलग- अलग जिम्मेदारी दी गई थी। अभ्यर्थियों से 25 – 25 लाख रुपये वसूले जाने थे।बता दें कि गत 12 सितंबर को नीट में सेंध मारी करने के मामले में जो गिरोह पकड़ा गया है, उसका सरगना भी पीके उर्फ नीलेश है। ऐसे में देखना यह है कि कमिश्नरेट पुलिस उस तक पहुंच पाती है या नहीं। इस प्रकरण में कुल छह आरोपित जेल में हैं। गिरोह के सरगना, मूल अभ्यथी हिना विश्वास व उसके पिता गोपाल विश्वास समेत अन्य आरोपितों की पुलिस को तलाश है। पुलिस की एक टीम त्रिपुरा भी पहुंच चुकी है। त्रिपुरा की पुलिस से समन्वय कर पिता-पुत्री की तलाश की जा रही है। एक टीम अब भी बिहार में छापेमारी कर रही है। वहीं सरगना पीके की कोलकाता भागने की खबर है। पुलिस को उसके साथ बेंगलुरु में रहने वाले अंशु, बबलू व त्रिपुरा के देबू की भी तलाश है।

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