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यूपी में वन विभाग में फर्जी भर्ती निकालकर करोड़ों की ठगी,

 

एसटीएफ ने लखनऊ में तीन को दबोचा

लखनऊ, । वन विभाग में फर्जी भर्ती निकालकर करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह का एसटीएफ ने राजफाश किया है। एसटीएफ व हजरतगंज की संयुक्त टीम ने सेक्टर सी इंदिरानगर से तीन जालसाजों को गिरफ्तार करने में सफलता पाई है। आरोपितों के पास से वन विभाग में वन दारोगा, वन रक्षक और वनपाल के 56 फर्जी नियुिक्त पत्र, जाली पहचान पत्र, मुहर, माेनोग्राम लगे लिफाफे, फर्जी आदेशों की प्रतियां व परिचय पत्र समेत बड़ी मात्रा में कूटरचित दस्तावेज बरामद किए गए हैं।आरोपितों ने सीतापुर के राम गोपाल तिवारी से उनके बेटे व रिश्तेदारों को नौकरी दिलाने के नाम 36 लाख रुपये लिए थे। ठगी का एहसास होने पर पीड़ित ने हजरतगंज कोतवाली में एफआइआर दर्ज कराई थी। एसटीएफ ने मामले की पड़ताल शुरू की। इसके बाद सीतापुर के शिवम मेहरोत्रा, बाराबंकी के आनंद कुमार और अंबेडकरनगर के परीक्षित पांडेय को दबोच लिया। छानबीन में पता चला कि शिवम मेहरोत्रा वर्ष 2017 में पलिया रेंज वन विभाग आफिस में संविदा पर कंप्यूटर आपरेटर के पद पर कार्यरत था। उसी साल पलिया में फारेस्ट गार्ड की भर्ती हुई थी और उसके नियुक्ति पत्र जारी हुए थे।शिवम ने नियुक्ति पत्र की एक प्रति अपने पास रख ली थी। वर्ष 2018 में शिवम को नौकरी से हटा दिया गया। आराेपित नौकरी की तलाश में लखनऊ आ गया। पूछताछ में शिवम ने बताया कि कैसरबाग स्थित क्वीक मैनपावर कंसल्टेंसी के आफिस में उसकी मुलाकात अरबिंद यादव से हुई थी। दोनों साथ में नौकरी की तलाश करने लगे, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद शिवम ने अरबिंद को बताया कि उसके पास वन विभाग का एक नियुक्ति पत्र और कुछ आदेशों की कापी है, जिसके जरिए वह फर्जी भर्ती निकाल कर लोगों से मोटी रकम हड़प सकते हैं।साजिश के तहत आरोपिताें ने पद के हिसाब से रेट तय किए। इसके अनुसार वन दारोगा के लिए तीन लाख और वनपाल के लिए डेढ़ लाख रुपये की बात फाइनल हुई। इसके बाद अरबिंद ने शिवम की मुलाकात आनंद सिंह, परीक्षित पांडेय, देवेंद्र पांडेय और विजय सिंह से कराई। सभी गिरोह बनाकर तीन साल से फर्जी नौकरी निकाल कर लोगों की गाढ़ी कमाई लूट रहे थे। आरोपितों ने अब तक 40 से अधिक लोगों से नौकरी दिलाने के नाम पर रुपये वसूलने की बात कबूल की है।शिवम नियुक्ति पत्र व परिचय पत्र बनाता था। इसपर अलग अलग रेंज के अनुसार अरबिंद यादव, आनंद सिंह, परीक्षित, देवेंद्र और विजय हस्ताक्षर कर अभ्यर्थियों से पद के हिसाब से रुपये ले लेते थे। नौकरी दिलाने के लिए युवकों को लाने वाले व्यक्ति को भी शिवम आधा कमीशन देता था। मुकदमा दर्ज होने के बाद आरोपित फरार हो गए थे और फर्जी भर्ती से संबंधित दस्तावेज जलाने की फिराक में थे। इसी बीच पुलिस टीम ने तीनों को दबोच लिया, जबकि अन्य अभी फरार हैं।

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