प्रयागराज, जीवन ज्योति ग्रुप आफ हास्पिटल के निदेशक रहे नामचीन लेप्रोस्कोपिक सर्जन डाक्टर एके बंसल के सनसनीखेज हत्याकांड का मास्टर माइंड आलोक सिन्हा आखिरकार कानूनी शिकंजे में आ गया है। घटना के तकरीबन साढ़े चार साल बाद 50 हजार रुपये का इनामी आलोक एसटीएफ प्रयागराज के हत्थे चढ़ा। उसे फारच्यूनर कार में जाते वक्त प्रयागराज के ही कीडगंज इलाके में बुधवार दोपहर गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में उसने कुबूला कि वह डाक्टर बंसल के बेटे का DM (nephrology) में दाखिला नहीं करा सका तो उन्होंने धोखाधड़ी का मुकदमा लिखाकर उसे जेल भिजवा दिया। इसी खुन्नस में उसने दिलीप मिश्रा की मदद से शूटरों को सुपारी देकर डाक्टर का कत्ल कराया था।रामबाग स्थित जीवन ज्योति अस्पताल के निदेशक डा. एके बंसल को 12 जनवरी 2017 की शाम सात बजे उनके चैंबर के भीतर गोलियों से शूट कर दिया गया था। दो शूटर गोलियां मारने के बाद पिछले रास्ते से फरार हो गए थे। यह घटना प्रदेश भर में कई दिन तक सुर्खियों में रही। पुलिस और क्राइम ब्रांच के साथ ही एसटीएफ भी घटना वाली रात से ही वारदात की तहकीकात में जुट गई थी। लखनऊ से एसपी एसटीएफ और एएसपी ने आकर यहां कैंप कर कई दिन तक छानबीन की। पुलिस और एसटीएफ की टीमों ने डाक्टर के तमाम विवादों को खंगाला, जमीन से लेकर आपसी खुन्नस तक के मामलों में खूब माथापच्ची की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका था। हालांकि घटना के बाद ही एसटीएफ के सामने एडमीशन माफिया आलोक सिन्हा का नाम आया था लेकिन वह दिल्ली से लेकर पटना तक कई बार छापेमारी के बावजूद पकड़ में नहीं आ सका था। इस तरह से डा.बंसल हत्याकांड चार साल से ज्यादा वक्त तक रहस्य के साए में बना रहा। डाक्टर की पत्नी डा. वंदना बंसल ने घटना की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की थी जिसकी प्रक्रिया भी शुरू थी।लग रहा था कि यह हत्याकांड राज ही रह जाएगा तभी इसी साल पांच अप्रैल को एसटीएफ की प्रयागराज यूनिट ने प्रतापगढ़ में मांधाता इलाके के अपराधी शोएब को गिरफ्तार कर दावा किया कि डाक्टर को शूट करने में वह शामिल था जबकि दूसरे शूटर को पैसों के लिए हुए झगड़े की वजह से मार दिया गया है। उसने ही आलोक सिन्हा, दिलीप मिश्रा और अख्तर कटरा का नाम एसटीएफ को बताया। तब से एसटीएफ आलोक की तलाश में जोर-शोर से जुटी थी जिसकी गिरफ्तारी पर 50 हजार रुपये का इनाम भी रखा गया था।