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जनपद में पराली जलाने पर जिलाधिकारी की सख्ती

 

 

 

 

कुशीनगर में गठित हुआ सचल दस्ता,उल्लंघन पर लगेगा जुर्माना

जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने दिए कड़े निर्देश, हर न्याय पंचायत पर कर्मचारी तैनात

खबर दृष्टिकोण 

आफताब आलम अंसारी

कुशीनगर।

जिले में पराली (फसल अवशेष) जलाने से उत्पन्न प्रदूषण को नियंत्रित करने और वातावरण को स्वच्छ बनाए रखने हेतु जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर के निर्देश पर जिला एवं तहसील स्तर पर सचल दस्तों का गठन कर दिया गया है। यह कदम धान की कटाई के बाद किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने की प्रवृत्ति को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है, जो कि न केवल वायु प्रदूषण का कारण बनती है, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता और मानव स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव डालती है।

जिलाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक न्याय पंचायत स्तर पर कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है, जो अपने- अपने क्षेत्र के सभी राजस्व ग्रामों में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए जिम्मेदार होंगे। साथ ही, किसानों को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेशों की जानकारी देते हुए पराली जलाने से होने वाले दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करने का निर्देश भी दिया गया है।

फसल अवशेष जलाए जाने की पुष्टि होने पर संबंधित किसान पर राजस्व अनुभाग-10 के अंतर्गत जुर्माना लगाया जाएगा। यह जुर्माना कृषि भूमि के क्षेत्रफल के अनुसार निम्नानुसार निर्धारित किया गया है:

2 एकड़ से कम भूमि: ₹5,000 प्रति घटना,

2 से 5 एकड़ तक: ₹10,000 प्रति घटना,

5 एकड़ से अधिक: ₹30,000 प्रति घटना।

तहसील एवं विकास खंड स्तर पर लेखपालों और ग्राम प्रधानों को जोड़ते हुए विशेष व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है। किसी भी क्षेत्र में पराली जलाए जाने की सूचना तुरंत इस ग्रुप और दूरभाष के माध्यम से तहसील स्तरीय सचल दस्ते को दी जाएगी, जिससे त्वरित कार्रवाई संभव हो सके।

सचल दस्ते में संबंधित क्षेत्र के लेखपाल,पुलिस विभाग के थानाध्यक्ष, कृषि विभाग के अधिकारी तथा सहायक विकास अधिकारी (कृषि) को नामित किया गया है। तहसीलों में दुदही,फाज़िलनगर, हाटा,कप्तानगंज, कसया,खड्डा,मोतीचक, नेबुआ नौरंगिया, पडरौना,रामकोला, सेवरही,सुकरौली, तमकुहीराज और विशुनपुरा क्षेत्र के लिए सेक्टर अधिकारियों की नियुक्ति की गई है।

जिलाधिकारी ने इन- सीटू फसल प्रबंधन के तहत किसानों को अनुमन्य कृषि यंत्रों के उपयोग के लिए प्रेरित करने और इसके प्रचार- प्रसार की जिम्मेदारी सहायक विकास अधिकारियों को दी है। यह यंत्र पराली को जलाए बिना खेत में ही मिलाने में सहायक होते हैं।

जिलाधिकारी ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे हर कार्य दिवस की रिपोर्ट जिला स्तर पर गठित सचल दस्ते के साथ-साथ अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) और उप कृषि निदेशक को अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराएं।

पराली जलाने की रोकथाम को लेकर प्रशासन की यह सख्ती जिले में स्वच्छ पर्यावरण की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।

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