भ्रष्टाचार उजागर करने वालों को ‘शिकायती गिरोह’ बताकर फंसाने की घिनौनी साजिश!
ख़बर दृष्टिकोण संवाददाता समीर खान
लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण ने अपनी सड़ी हुई करतूतों पर पर्दा डालने के लिए अब एक नया, घृणित खेल शुरू किया है। एलडीए ने 28 लोगों की एक काली सूची जारी कर उन पत्रकारों, समाजसेवियों और वकीलों को निशाना बनाया है, जिन्होंने प्राधिकरण के भीतर फैले भ्रष्टाचार के नापाक गठजोड़ को बेनकाब करने की हिम्मत की है। शर्मनाक बात यह है कि कुछ कथित पत्रकारों ने इस सूची का घटिया इस्तेमाल करते हुए इन साहसी व्यक्तियों को खुलेआम “भ्रष्टाचार, ब्लैकमेल और वसूली गिरोह” का सदस्य बताकर उनकी प्रतिष्ठा को तार-तार करने का कुत्सित प्रयास किया है। यह न केवल उन निर्दोष व्यक्तियों पर एक जघन्य हमला है, बल्कि पत्रकारिता के नाम पर एक काला धब्बा भी है।
इस निकृष्ट कृत्य के खिलाफ, पत्रकार मोहम्मद सैफ द्वारा मिली जानकारी के बाद, समाजसेवी, लेखक और भाजपा नेता शमशेर गाजीपुरी ने आर-पार की लड़ाई छेड़ दी है। उन्होंने सीधे मनानीय मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखकर एलडीए में पनप रहे भ्रष्टाचार के गहरे दलदल का खुलासा किया है और एलडीए उपाध्यक्ष के खिलाफ तत्काल, कठोरतम कार्रवाई की मांग की है।
शमशेर गाजीपुरी का दो टूक कहना है कि एलडीए द्वारा तैयार की गई यह सूची पूरी तरह से झूठी और दुर्भावनापूर्ण है। उनका तर्क है कि जनहित में शिकायत करना किसी भी सूरत में अपराध नहीं है। यदि शिकायतें फर्जी साबित होती हैं, तो दोषियों को बख्शा न जाए, लेकिन अगर शिकायतों के बाद के अवैध निर्माणों पर कार्रवाई नही हुई है, तो उन भ्रष्ट अधिकारियों की भी गर्दन नापी जाए जिन्होंने इन शिकायतों को दबाने की कोशिश की।
पत्रकारों ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की राजधानी में पत्रकारों के कथित संगठनों की दलाली और रीढ़विहीनता को भी उजागर किया है। उन्होंने तीखे शब्दों में आरोप लगाया कि ये संगठन केवल विज्ञापन और मोटी रकम ऐंठने के लिए सूचना निदेशक के दफ्तरों के चक्कर काटते रहते हैं। जब किसी पत्रकार पर कोई मुसीबत आती है, तो ये गिरगिट की तरह रंग बदलते हुए अपना पल्ला झाड़ लेते हैं और इसे “विभागीय जांच” कहकर टाल देते हैं।
शमशेर गाजीपुरी के इस साहसिक, निर्णायक कदम को पत्रकार समाज का पूरा समर्थन मिल रहा है। पत्रकारों ने एकजुट होकर कहा है कि वे ऐसे लोगों का हमेशा साथ देंगे जो सत्य के लिए लड़ते हैं, भले ही कीमत कुछ भी हो। उन्होंने बताया कि पत्रकार अपनी जान, माल और परिवार की परवाह किए बिना समाज में चल रही गलत गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठाते हैं। उनका कहना है कि यदि पत्रकार ही शिकायत दर्ज नहीं कराएगा तो कौन कराएगा, क्योंकि पत्रकार ही समाज में चल रही गलत गतिविधियों के बारे में मुख्यमंत्री और आला अधिकारियों को सूचित करता है।
गाजीपुरी ने यह भी स्पष्ट किया कि कुछ पत्रकार इसलिए भी सच नहीं बोलते क्योंकि उन्हें प्रशासनिक अधिकारियों से लगातार नाजायज लाभ मिलता रहता है। यदि वे निष्पक्ष खबरें लिखेंगे, तो उनका यह लाभ बंद हो जाएगा, इसलिए वे प्रशासनिक अधिकारियों की चाटुकारिता में लगे रहते हैं। अंत में, उन्होंने जोरदार शब्दों में कहा कि किसी की गोपनीय जानकारी सार्वजनिक करना एक अक्षम्य अपराध है, और यह अपराध सीधे एलडीए द्वारा किया गया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि एलडीए को इस गैरकानूनी और घटिया कृत्य का हिसाब देना ही पड़ेगा। यह घटना सिर्फ कुछ पत्रकारों का नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और पारदर्शिता की हत्या का प्रयास है, जिस पर सरकार को तुरंत कठोरतम संज्ञान लेना चाहिए।
