खबर दृष्टिकोण
ब्यूरो रिपोर्ट
सीतापुर। पहाड़ों पर बारिश से जिले में घाघरा व शारदा नदी का जलस्तर बढ़ने लगा है। घाघरा का जलस्तर रविवार को 117.50 मीटर दर्ज किया गया। हालांकि, अभी बाढ़ जैसे कोई हालात नहीं हैं। लेकिन नदी के तटवर्ती इलाके में बसे गांवों के लोग पानी बढ़ने से सहमे दिखाई दे रहे हैं। उधर, बैराजों से रविवार को 2 लाख 46 हजार 595 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है।
घाघरा नदी का जलस्तर बीते सप्ताह से 117.20 मीटर के आसपास बना हुआ था। इससे बाढ़ का खतरा टल गया था। रविवार को जलस्तर 117.50 मीटर दर्ज किया गया। हांलाकि, अभी पानी नदी के दायरे में है। लेकिन जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती अंगरौरा, कनरखी, धांधीरेती, केवड़ा, अखरी, श्रीचंद पुरवा, बलेसर पुरवा, केवड़ा, सोती पुरवा, निरंजन पुरवा, बाबाकुटी, मिश्रण पुरवा, अटौरा, बगस्ती, बंगालीघाट समेत कई गांवों के लोग बाढ़ के संभावित खतरे को लेकर भयभीत हैं। ग्रामीण पुजारी, कुर्बान, जय प्रकाश, खेलावन, पवन कुमार व रमेश ने बताया कि नदी के जलस्तर में थोड़ी वृद्धि हुई है। यदि जलस्तर इसी बढ़ता रहा तो फिर से हालात बिगड़ सकते हैं।
कटान पीड़ितों को डरा रहे बादल
दो दिनों से रुक-रुककर होने वाली बारिश के साथ चलने वाली तेज हवा कटान पीडितों की मुसीबतें बढ़ा दीं। रविवार को बारिश तो नहीं हुई, लेकिन आसमान पर छाए बादल कटान पीड़ितों को डराते रहे। जगदीश ने बताया कि बाढ़ में घर व खेत दोनों छिन गए। अब थोड़ी गृहस्थी बची है। किंतु बरसात में उसे भी बचाना दुश्वार है। फूलचंद्र ने बताया कि एक तिरपाल के नीचे मुश्किल से परिवार ही किसी तरह रह पाता है। गृहस्थी बचाएं तो परिवार खुले में आ जाएगा। बिंदु ने बताया कि बारिश होने पर पूरी रात जागकर बिताना पड़ता है।
