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गुमसेना ग्राम प्रधान रामकुमार की दलित लड़की के अपहरण के बाद रही अहम भूमिका

 

 

पीड़ित का आरोप लड़के वालो ने हमें मारने की एक लाख रुपए की दी है सुपारी

 

माल पुलिस आखिर क्यों नहीं लिख रही है दलित पीड़िता का मुकदमा, क्या कोई बड़ी घटना का है इंतजार

 

ख़बर दृष्टिकोण लखनऊ

 

आशीष कुमार सिंह विशेष संवाददाता

 

लखनऊ/माल दलित युवती के साथ हुए गैगंरेप व जबरदस्ती घर से गांव के ही रिस्तेदार राजकुमार व मंजू ने युवती को कोल्ड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाकर बेहोशी की हालत में नाबालिक लड़की का बलत्कार करने के बाद अपने रिश्तेदार सीतापुर जिले के रजनीश के हांथो एक लाख रुपए का बेचने का आरोप पीड़िता के पिता प्रकाश ने लगाया है।

फोन द्वारा पीड़ित पिता ने बताया हमारे गांव का ही एक व्यक्ति है जो कह रहा है लड़के वालो ने अभी कुछ जमीन बेची है जिसमें से एक लाख रुपया आपको और आपकी बेटी को जान से मारने की सुपारी दी है।

 

प्रधान रामकुमार आखिर क्यों बचाने में लगा है आरोपियो कों बड़ा सवाल!

 

दलित पीड़िता के पिता प्रकाश रो रोकर बता रहे है की हमारे गांव के प्रधान चाहते तो मेरी बिटिया उन दरिंदों से कब का छुटकारा पा चुकी होती और आज अगर हमारी बिटिया के साथ इतनी बड़ी घटना घटित हुई है तो उसके जिम्मेदार हमारे गांव के प्रधान रामकुमार भी उतने ही हैं जितने उन आरोपियों पर आरोप लग रहे हैं। पीड़िता की मां ने बताया है कि एक बार प्रधान द्वारा आरोपियों को अपने दरवाजे पर सुलह समझौते के लिए बुलवाया था और जब बात बनते नहीं देखा तो जब तक हम लोग मौके पर पहुंचे तब तक वह लोग जा चुके थे।

 

माल पुलिस को है किसी बड़ी घटना का इंतजार

माल थाने के ऊपर भी सवाल उठ रहे हैं आखिर इस घटना को अभी तक मुकदमा लिखकर जांच करके आरोपियों को जेल की सलाखों के पीछे अभी तक क्यों नहीं भेजा गया। हैरान कर देने वाली बात तो यह है की उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जहां हर जगह अपने भाषणो में कहते हैं की अगर पुलिस जरा भी हीलाहवाली करती है खासतौर से अपहरण और गैंगरेप के मामलों में तो त्वरित कार्यवाही की जाएगी थानेदार के ऊपर और उसके बावजूद बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा विफल होता दिखाई दे रहा है।

 

भाजपा सरकार में कब बंद होगें दलितों के ऊपर हो रहे बलत्कार

 

भाजपा की सरकार में दलितों के ऊपर हो रहे बलत्कार जैसी जघन्य अपराधों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। जबकि सरकार का नारा है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ इस नारे को भी माल थाने की पुलिस गंभीरता से नहीं लेते हुए नजर आ रही है।

 

न्याय ना मिलने पर दलित पीड़िता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है

 

सूत्र बताते हैं ग्राम प्रधान से लेकर अन्य चार से पांच लोगों का हांथ है नाबालिक दलित महिला के साथ बलत्कार व अपहरण करके नशीला पदार्थ खिलाकर उसके साथ कई लोगों ने रेप की घटना को अंजाम दिया है। पीड़िता नें माल थाने की पुलिस पर भी पैसे लेकर आरोपियों को थाने से छोड़ देने के आरोप लगाए हैं। और जब वह कानून का हर दरवाजे पर जाकर न्याय की गुहार लगाते लगाते जब थक गई तब जाकर आज वह कोर्ट के दरवाजे खटखटाए हैं दलित पीड़िता और उसके मां बाप के साथ साथ उसके भाई बहन पूरा परिवार का कहना है अगर अब भी मुझे न्याय नहीं मिला तो पूरे परिवार के साथ भरी कोर्ट में आत्मदाह करके अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेगें। अब देखने वाली बात यह होगी की कोर्ट दलित युवती को न्याय दिलाने के लिए कौन सा कदम उठाएगी।

 

जिम्मेदारों के सीयूजी नंबर स्वीच आफ

 

गैगंरेप प्रकरण में जब एसीपी मलिहाबाद को फोन किया गया तो उनका नंबर 12 बजे से लेकर शाम पांच बजे तक स्वीच आफ ही जाता रहा। वहीं इंस्पेक्टर थाना माल को जानकारी लेनी चाही तो उनका भी सीयूजी नंबर पहुंच से बाहर ही बताता रहता है। बताइए जब पुलिस को मित्र कहा जाता है जो की 24 घंटे जनता के बीच में रहकर सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी रहती है जबकि हर अधिकारी को सीयूजी नंबर दिया जाता है कि पब्लिक का कोई भी आदमी 24 घंटे में कभी भी संपर्क कर सकता है और अपनी समस्या फोन द्वारा भी बता सकता है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है जब पुलिस विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ही सीयूजी नंबर स्वीच आफ करके बैठेगें तो अपराध की बढ़ोत्तरी होगी ही।

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