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Shailaja और Hooda हरियाणा में चुनावों से पहले कांग्रेस में विभाजित हो रहे , खुद को सीएम पेश करने की कोशिश कर रहे हैं

 

विधानसभा चुनाव के तारीखों की हरियाणा में घोषणा हो गई है। जिसको लेकर पूरे प्रदेश में राजनीतिक हलचल काफी बढ़ गई है। कांग्रेस जहां राज्य में 10 सालों का अपना वनवास खत्म करके सत्ता में आने की कोशिश में लगी हुई है। तो वहीं, दूसरी ओर भाजपा लगातार तीसरी बार यह चुनाव जीतकर हरियाणा की कुर्सी अपने पास ही रखना चाहती है। इस बीच हरियाणा समेत पूरे देश की जनता की नजरें कुछ खास नेताओं पर टिकी हैं। जैसे, हरियाणा कांग्रेस की दिग्गज नेताओं में शुमार और पांच बार की लोकसभा सांसद कुमारी शैलजा हरियाणा कांग्रेस की दिग्गज नेताओं में शुमार हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि शैलजा लोकसभा छोड़कर विधानसभा की ओर जाना चाहती हैं। ऐसा अगर होता है तो इसमें भाजपा से अधिक चिंता राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को होने वाली है। फिलहाल कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में किसी भी चेहरे को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है। लेकिन, भूपेंद्र हुड्डा जिस प्रकार से कांग्रेस के चुनावी अभियान को लीड कर रहे हैं, उसके चलते उन्हें ही सीएम पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। किरण चौधरी के बीजेपी का दामन थामने, रणदीप सुरजेवाला के केंद्रीय राजनीति और कुमारी शैलजा के सिरसा सीट से लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद भूपेंद्र हुड्डा खुद को कांग्रेस में सीएम पद की रेस में आगे मान रहे थे।
ऐसे में अब कुमारी शैलजा ने विधानसभा चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर करके भूपेंद्र हुड्डा के लिए जरूर परेशानी खड़ी कर दी है। राज्य में संगठन पर अपना प्रभुत्व जमाकर रखने वाले भूपेंद्र हुड्डा ही हरियाणा कांग्रेस के सर्वेसर्वा हैं। उन्हें इस दौरान हमेशा दिल्ली का भरपूर समर्थन भी मिलता रहा है। शैलजा के बयान से साफ है कि अगर वे विधानसभा का चुनाव लड़ती हैं तो सीएम पद की रेस में एक और चेहरा सामने आ जाएगा। भूपेंद्र सिंह हुड्डा जाट समुदाय से आते हैं तो वहीं कुमारी शैलजा दलित समुदाय से संबंध रखती हैं।
कांग्रेस की सियासत पूरे हरियाणा में जाट और दलित वोटों पर ही टिकी हुई है। कांग्रेस ने हुड्डा और शैलजा की जोड़ी के दम पर 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी। उस दौरान, शैलजा पीसीसी अध्यक्ष और भूपेंद्र हुड्डा सीएलपी की कमान संभाल रही थीं, लेकिन अब दोनों के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। राज्य की पार्टी इकाई में हुड्डा और शैलजा का अपना अलग-अलग खेमा है और वे एक-दूसरे को चुनौती देते हुए नजर आ रहे हैं। हुड्डा ने प्रदेश अध्यक्ष उदय भान की केमिस्ट्री बना रखी है। तो वहीं शैलजा का पार्टी में रणदीप सुरजेवाला के साथ बेहतर तालमेल है। हरियाणा में जिस तरह के सियासी माहौल है उसके चलते कांग्रेस की वापसी की उम्मीद मानी जा रही। ऐसे में कांग्रेस के लिए शैलजा और हुड्डा के बीच सियासी संतुलन बनाए रखने की चुनौती खड़ी हो रही हैं।

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