खबर दृष्टिकोण, अतुल कुमार श्रीवास्तव
बाराबंकी। वैसे तो सरकार की नजर में सब जंगा सी, और हो क्यूं न। अधिकारी जो बताएंगे सरकार वही जानेगी। ऐसे में अधिकारियों की मनमानी आम जनता पर भारी पड़ रही है। केन्द्र अधीक्षक व चिकित्सक कक्ष में ताला लटक रहा है। कक्ष के बाहर फर्श पर कुत्ते आराम फरमा रहे थे। मरीज बरामदे में बैठकर डॉक्टर के आने का इंतजार कर रहे थे। दवा कक्ष में मरीजों की भीड़ लगी हुई थी। फार्मासिस्ट द्वारा मरीजों को दवाएं वितरित की जा रही थी। दूर दराज के गांवों से दवा लेने आये गंभीर रोगियों को घंटो डॉक्टर का इंतेज़ार कर निराश होकर निजी अस्पताल और झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानों का रुख करना पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति हैदरगढ़ क्षेत्र के सुबेहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कुछ ऐसी नज़र आयी। जानकारी करने पर दवा लेने के लिए आए मरीजों ने बताया की आज कोई डॉक्टर नहीं आया है। फार्मासिस्ट द्वारा कुछ दवाएं देकर अगले दिन आने की बात कहकर वापस किया जा रहा है। परेशान मरीज़ों ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर तैनात चिकित्सकों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है। तमाम शिकायत के बावजूद भी उनकी कार्यशैली में कोई सुधार नहीं हो रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया की सिर्फ नाम मात्र की सीएचसी है यहां पर कोई भी सुविधा नहीं है। अस्पताल में न तो जांच की कोई मशीन है और ना ही नियमित रूप से कोई चिकित्सक ही मौजूद रहते है। सिर्फ फार्मासिस्ट ही मिलते हैं वही दवा इलाज करते हैं। अकेले उन्हीं के भरोसे अस्पताल चल रहा है। चिकित्सक कभी कभार आते हैं। शिकायत के बावजूद भी कोई अधिकारी नहीं सुनता है।
इस संबंध में चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर ओम प्रकाश कुरील ने बताया की सीएमओ ने मेरी ड्यूटी ट्रेनिंग में लगा दी है, इसलिए एक माह अस्पताल नही पहुंच सकेगे। जयशंकर पांडेय जी को आना था शायद किसी कारण वश वह भी नहीं आ सके। एक चिकित्सक को सीएमओ ने बाराबंकी अपने आफिस में अटैच कर रखा है जिसके चलते वह कभी नहीं आते है। वहीं बाराबंकी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने वही ढाक के तीन पात वाला दो टूक सा जवाब देते हुए कहा कि मामला संज्ञान में आया है, ज़रूरी कार्यवाही की जाएगी।
