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कटान पीड़ित खुद ही अपने आशियानों पर चला रहे हथौड़ा

 

खबर दृष्टिकोण

महमूदाबाद/सीतापुर। शारदा नदी में आए सैलाब के कारण रतनगंज के कई घर नदी के मुहाने पर हैं। दहशत में आए लोग खुद ही अपने आशियाने तोड़ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि लहरें कभी भी घरों को अपनी चपेट में ले सकती हैं। ऐसे में जो मिल जाए, वही काफी है। लोग अपने घरों पर खुद ही हथौड़ा चलाने को विवश हैं। मकान तोड़ने के बाद निकले ईंट, सरिया आदि ट्रॉलियों में भरकर गांव से सुरक्षित स्थान पर जा रहे हैं।

रतनगंज गांव के रामलखन, सोहन, हनीफ, अख्तर, सोहराब आदि ने बताया कि बड़ी मेहनत से आशियाना बनाया था। अब लहरें हमारे सपनों को लीलने में लगी हैं। ऐसे में घरों को अपने हाथों तोड़ना मजबूरी है।

गांजर इलाके में शारदा व सरयू नदियों का जलस्तर घटने के बाद भी बाढ़ पीड़ितों की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं। शारदा की कटान ने सबसे ज्यादा बिसवां तहसील क्षेत्र के रतनगंज में तबाही मचाई है। पिछले तीन दिनों में रतनगंज के 34 मकान कटकर शारदा में समा चुके हैं। करीब 100 बीघा कृषि योग्य भूमि भी कटान की भेंट चढ़ चुकी है।

शनिवार को कटान धीमी होने से कोई घर नदी में तो नहीं समाया पर लोग खुद ही सुरक्षित स्थान पर जा रहे हैं। शरीफ व लल्लन ने बताया कि कब कटान तेज हो जाए और उनके आशियाने नदी में बह जाएं, कहा नहीं जा सकता। इसलिए मजबूरन अपना मकान तोड़ना पड़ रहा है। ऐसे में ईंट, सरिया व अन्य कुछ सामग्री तो बचा ही सकते हैं।

रतनगंज में शनिवार को भी अफरातफरी का माहौल रहा। ग्रामीण अपनी गृहस्थी समेटकर सुरक्षित ठिकानों की ओर पलायन करते नजर आए। उधर, कटान धीमी पड़ने से सिंचाई विभाग बांस की बाड़ व पिलर डालकर नदी की धारा मोड़ने की कवायद में जुट गया है।

प्रदर्शन के बाद बांटा गया मुआवजा

रतनगंज में बाढ़ पीड़ितों ने शुक्रवार को प्रदर्शन किया था। इसके बाद हरकत में आए प्रशासन ने मुआवजा व राहत सामग्री का वितरण शुरू किया। बिसवां एसडीएम, तहसीलदार की मौजूदगी में शनिवार को लंच पैकेट तथा केला व 80 राहत किटें बाढ़ पीड़ितों को बांटे गए। राहत किट में लाई चना, बिस्कुट, माचिस, चावल-दाल, मोमबत्ती, आलू व तिरपाल शामिल है। कटान की भेंट चढ़े 24 मकानों के मुखिया को प्रति मकान 1 लाख 20 हजार रुपये की सहायता राशि स्वीकृत की गई है। इन्हें प्रमाण पत्र दिए गए हैं। जल्द ही खाते में धनराशि पहुंचने का आश्वासन दिया गया है। वहीं बाढ़ प्रभावितों के लिए गोविंदापुर में भूमि चिह्नित गई है।

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