खबर दृष्टिकोण
महमूदाबाद /सीतापुर।रविवार शाम मोहर्रम के चांद निकलने की धर्मगुरुओं द्वारा तस्दीक के बाद इमाम हुसैन अ.स के सोगवारों ने अपने घरों में इमामबाड़े सजाए। सोमवार को मोहर्रम माह की पहली तारीख को शिया समुदाय के लोगों ने अलम, ताबूत और ताजिए रखकर मजलिसें शुरू कर दीं हैं। नगर सहित बांसुरा गांव में मुन्ना मियां के अज़खाने में पहली मजलिस मौलाना हुसैन अली, मीर अतः हुसैन के इमामबाड़े में मौलाना फैज अब्बास ने पड़ी खुर्शीद हुसैन ने अपनी बेहतरीन मर्सिया ख्वानी हसन राजा के इमामबाड़ा साबिर हुसैन, जवाहर हुसैन, अब्बास हुसैन, आसिफ हुसैन, दिलशाद हुसैन, अफसर हुसैन के इमामबड़े में पढ़ा मौलाना ज़ुहैर आबदी ने जमील असगर और पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री डॉ. अम्मार रिजवी के यहां मजलिस को खीताब करते हुए कहा कि इमाम हुसैन ने अपने नाना मोहम्मद-ए-मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दीन को बचाने के लिए कर्बला में छ: महीने के बेटे अलीअसगर अ.स और 18 वर्ष के अली अकबर और जवान भाई हज़रत अब्बास अ.स को कुर्बान कर दिया। लेकिन दीन की हिफ़ाज़त कर के इन्सानियत को भी बचा लिया। करबला मे इमाम हुसैन अ.स और उनके बच्चों पर ज़ुल्म की इंतिहा हो गई। 3 दिन तक भूके प्यासे रह कर भी ज़ुल्म के आगे झुके नहीं मसाएब सुन कर सोगवार हुसैनियों की आँखों से अश्क निकल पड़े। वहीं, शाम चार बजे नगर के राजा किले से दुलदुल गाजे बाजे के साथ नगर के कई वार्डों से गश्त करते हुए करबला पहुंचा। इस मौके पर नक़ी हुसैन जमील, रिज़वी मसरूर महदी, मोहम्मद हैदर, अखलाक हुसैन, सज्जाद हुसैन, तालिब हुसैन, अरशद हुसैन, नज़ीर अब्बास और बड़ी संख्या में सोगवार हुसैनी मौजूद थे।
