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बस हादसे में 12 लोगों के शव पहुंचे गांव,पूरे गांव में पसरा सन्नाटा 

 

सांसद कौशल किशोर, विधायक मनीष रावत सहित जिले के आलाधिकारी मौके पर पहुंचकर बंधाया ढांढस

एक साथ चिता पर जले पिता-पुत्री व मां-बेटे के शव, सिसक उठे लोग

खबर दृष्टिकोण

सिधौली/सीतापुर। बस हादसे में मृतकों के शव रविवार दोपहर करीब तीन बजे शव वाहन से बड़ा जटहा गांव पहुंचे। वाहनों के सायरन की आवाज ने गांव के सन्नाटे को चीर दिया। जैसे ही वाहनों से शव उतरना शुरू हुए मृतकों के परिजन दहाड़ मारकर चीख पड़े। कुछ बेसुध हो गए तो कुछ शव को संभालने में जुट गए।

इस दौरान अपर जिलाधिकारी नीतीश कुमार सिंह मौके पर मुस्तैद रहे। शवों का अंतिम संस्कार कराने के लिए प्रशासन ने लकड़ियों का इंतजाम करवाया। पहले से ही मजदूरों को भेजकर लकड़ियां मंगवा ली गईं थीं, जिससे किसी के अंतिम संस्कार में कोई व्यवधान न आने पाए।

ग्रामीणों ने बुझे मन से अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू कीं। 85 वर्षीय मुन्नूलाल ने जब एक ही चिता पर अपने पुत्र रामगोपाल और पोती रोहिणी को देखा तो वह सिसक उठे। वह खुद को रोक नहीं पाए और दहाड़े मारकर रोते-रोते बेहोश हो गए।

पिता-पुत्री के शवों को एक साथ चिता पर देख ग्रामीणों का गला भी रुंध गया। वहीं, लखनऊ ट्राॅमा सेंटर में जिंदगी और मौत से जूझ रहे रामदास की पत्नी सीमा और पुत्र सुधांशु को भी एक साथ मुखाग्नि दी गई।

दोनों सदा के लिए अपाहिज पिता को छोड़कर इस दुनिया से विदा हो गए। रामदास का नसीब भी ऐसा रहा कि आखिरी समय वह अपनी पत्नी और पुत्र का चेहरा भी न देख सके। रामदास ने इस हादसे में अपने दोनों पैर गवां दिए हैं। उधर, लोगों की धार्मिक यात्रा का इंतजाम करने वाले रूपेश ने बुझे मन से अपने पुत्र अजीत को दफन किया। अंतिम संस्कार के बाद गांव में सन्नाटा पसर गया।

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