खबर दृष्टिकोण
महमूदाबाद/सीतापुर।
शत्रु संपत्तियों का लेखा-जोखा रखने से लेकर उसकी निगरानी तक में तहसील प्रशासन विफल साबित हो रहा है। तहसील प्रशासन की इसी शिथिल कार्यप्रणाली के चलते ही अवैध कब्जे में फंसी शत्रु संपत्तियों पर अतिक्रमण के साथ ही खेती किसानी का कार्य भी बेखौफ तरीके से चल रहा है।
महमूदाबाद तहसील क्षेत्र के वार्ड शहजानी में करीब डेढ़ साल पूर्व शत्रु संपत्ति पर मकान बना लेने की शिकायत पर ढहाने की कार्रवाई भी हुई थी। महमूदाबाद तहसील क्षेत्र में आने वाली बरदही बाज़ार, लखपेड़ा बाग समेत तहसील क्षेत्र के विभिन्न जगहों में तमाम भू संपत्ति व खाली ज़मीन शत्रु संपत्तियों में दर्ज है। उनकी देखभाल व निगरानी में बढ़ती जा रही उदासीनता व उपेक्षा के चलते गांव क्षेत्र की इन कृषि योग्य जमीनों पर कब्जा कर लोगों ने अवैध अतिक्रमण के साथ ही खेती किसानी करना भी शुरू कर दिया है। लखपेड़ा बाग और नगर की बरदाही बाज़ार जो कि अभिलेखों में दर्ज शत्रु संपत्ति है। इस पर काफी अतिक्रमण है। हैरत कि बात तो यह है कि बेखौफ लोग यहां मवेशियों की ख़रीद फिरोक्त करते हैं। ऐसे कई अन्य स्थानों पर खाली पड़ी शत्रु संपत्ति की जमीन पर भी बीते कई सालों से खेती की जा रही है। जबकि शहजानी मोहल्ले में खाली जमीनों पर कब्जे के बाद इनकी प्लाटिंग कर मोटी कीमत पर बेचने का धंधा भी तेजी से पनप रहा है। हालांकि कुछ मा पूर्व तत्कालीन एसडीएम महमूदाबाद मिथिलेश त्रिपाठी ने बताया था कि शत्रु संपत्ति में दर्ज भू संपत्तियों व जमीनों का सर्वे कार्य चल रहा है। इसके पूरा होते ही विस्तृत जानकारी के साथ ही अवैध कबजेदारों पर कड़ी दंडात्मक कार्रवाई तय होगी।
सीबीआई ने भी मांगे थे अभिलेख
पुलिस निरीक्षक सीबीआई एसीबी लखनऊ अमित कुमार की ओर से शत्रु संपत्ति के ऐसे खाता संख्या का विवरण भी प्रशासन से तलब किया गया था, जिन्हें पट्टे पर दिया गया है। सूचना में ऐसी संपत्ति को पट्टे पर देने के लिए वार्षिक किराए के निर्धारण के नियम व प्रावधान के साथ ही शत्रु संपत्तियों से प्राप्त आय का भी लेखा-जोखा मांगा गया था। जिला प्रशासन ने इसे लेकर शत्रु संपत्ति मामले की सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रहे अधिवक्ता अजीत चंद्रा से भी राय मांगी थी।
डेढ़ वर्ष पूर्व केंद्र से जारी निर्देश, अनुपालन अब तक नहीं
जिले में शत्रु संपत्ति के संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय की सीईपीआई (भारत के लिए शत्रु संपत्ति का संरक्षक- कस्टोडियन ऑफ इनेमी प्रॉपर्टी फॉर इंडिया ) 10 मई 2022 को निर्देश दिए थे कि कृषि योग्य एवं खाली जमीनों को कब्जा मुक्त करें। पुलिस या अन्य किसी सरकारी विभाग के प्रयोग में लाई जाने वाली शत्रु संपत्ति के संबंध में प्रस्ताव भेजें।
जिम्मेदारों के नहीं उठते फोन
मामले को लेकर जब एसडीएम शिखा शुक्ला को फोन किया गया तो उनका सीयूजी नंबर नहीं उठा। जिसके बाद तहसीलदार सुरभि रॉय के सीयूजी नंबर पर फोन किया गया तो उनका भी फोन नहीं उठा। हालांकि तहसीलदार का फोन तो यादाकदा उठता है। मगर एसडीएम तो फोन उठाना भी मुनासिब नहीं समझती। इससे पहले भी बंजर की भूमि पर कब्जा कर फसल काटने को लेकर रिकवरी के लिए उपजिलाधिकारी को फोन किया गया था। उस वक्त भी उनका फोन नहीं उठा था।