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संदना /सीतापुर। नैमिष हरिहरानंद आश्रम में 42 वीं राम कथा आयोजित हुई। आयोजन से पहले नैमिष परिषद में शोभायात्रा निकाली गई ।
इस दौरान ब्रह्म विज्ञान पीठ संस्थान के ब्रह्म विद स्वामी हरिहरानंद सरस्वती ने कहा कि सत्संग और रामकथा बड़े भाग्य से मिलती है। हर व्यक्ति अपने ही कर्मों को भोगता है। किसी के कर्मों का फल दूसरों को नहीं मिलता है। श्री सरस्वती ने अपने प्रवचनों में यह भी कहा रामकथा का सुनने का अवसर बड़े भाग्य से मनुष्य को प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह विषपान करने का असर संबंधित जीव पर होता है, दूसरे पर नहीं होता है।इसी तरह अच्छे कर्मों का फल करने वाले को ही मिलता है, दूसरे को नहीं मिलता है।अच्छाई का रिजल्ट हमेशा अच्छा ही होता है। इसलिए किसी भी व्यक्ति की ओर किए गए अच्छे कर्मों से मानवता पर कुछ ना कुछ सकारात्मक असर जरूर पड़ता है। वहीं आश्रम के उत्तराधिकारी महंत सदाशिवेंद्र सरस्वती ने अपने प्रवचनों में कहा की कोयले की खान में प्रवेश करने से कालिक लगना स्वाभाविक है। ऐसे ही गलत संगति का होता है। इस नाते सत्य का सत्संग करते हुए जीवन यापन करना है। कथा व्यास पीठाधीश कुमारी विजयानंद ने कहां की अलौकिक जगत में कार्य की प्रधानता है। इसके बिना कुछ नहीं मिलता इसलिए शरीर का साधन धाम पाकर अपने प्रभु को पाना चाहिए ।
वक्त के अनुसार साधना करते हुए आत्मा को अपने प्रभु से मिलकर अपनी आत्मा का कल्याण करें।
इस दौरान आयोजित कार्यक्रम में आश्रम की अध्यक्ष कुमारी विश्वभारती
उत्तराधिकारी सदाशिवेंद्र सरस्वती,
संचालक स्वामी वागिशानंद ,
सहयोगी ब्रह्म मीमांसा सरस्वती, सेविका कुमारी नैन्सी आदि मौजूद रहे।
