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बिजली विभाग की उदासीनता के चलते क्षेत्र के हजारों उपभोक्ता परेशान हैं।

 

उन्नाव पुरवा।

विद्युत आपूर्ति में असमय कटौती तथा संसाधनों के अभाव का खामियाजा बिजली उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है।

स्थानीय ग्रामसभा टीकरकला के मर्दनखेडा (काछिन खेडा) की जनता बिजली व बिजली विभाग के कर्मचारियों से बहुत परेशान है। आए दिन टीकरकला के आगे से लाईन काट दी जाती है और कई दिनों तक सही नहीं की जाती है। प्रधान प्रतिनिधि नीरज यादव का आरोप है कि उनके द्वारा जेई अशोक पाल को फोन किया जाता है तो वे फोन ही नहीं उठाते हैं और गलती से उठ भी गया तो आज तक कोई भी शिकायत का समाधान नहीं हुआ है। बीते कई दिनों से बिजली के कई खम्भों में अर्थिंग के तारो में करंट उतर रही है, जिसकी सूचना प्रधान प्रतिनिधि नीरज यादव के द्वारा जेई अशोक पाल को व उनके अधिनस्थ कार्य कर रहे कर्मचारियों को दी गयी लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गयी। एक 11000 खम्भे में भी अर्थिंग है। क्या बिजली विभाग तभी जागेगा जब अप्रिय घटना घटित हो जायेगी? वैसे भी कस्बा समेत कई क्षेत्रों की विद्युत आपूर्ति प्रभावित है। बरसात में बिजली विभाग की पोल खुल गई है। वहीं विभागीय कर्मचारियों का कहना है कि संसाधनों के अभाव में और जर्जर तारों के कारण प्राय: फाल्ट आ जाती है और उपभोक्ताओं का गुस्सा कर्मचारियों पर निकलता है इतना ही नही पुरवा पावरहाऊस से ग्राम चमियानी व मियागंज तक जाने वाली बिद्युत लाईन जो कटरा नहर के पुल से चमियानी जाने वाले नहर के पुल जिसे झन्डा वाला पुल भी कहा जाता है दोनों ही पुलों के बीच जो लाईन पावरहाऊस से आई नहर के किनारे बिजलीं के पोल टूटे हुए है उस 11000 हजार विद्युत लाईन के तार इतने नीचे है कि उसके नीचे से इन्सान तो इन्सान अगर जानवर भी निकलते है तो 11 हजार बिद्युत लाईन की चपेट में आने से नही बचते अभी पिछले वर्ष उसी जगह उन्ही तारों के नीचे निकलने वाली लग भग एक र्दजन गाय मर चुकी है यह बात बिद्युत विभाग के अधिकारी व कर्मचारी ठीक से जानतें भी है कई बार स्थानीय किसानें ने तहसील समाधान दिक्सों में लिखित सिकायती पत्र भी दिये गये मौके पर जाकर स्थलीय निरीच्क्षण भी हुआ और जेई अशोक पाल के द्वारा अस्वासन भी दिया गया पर नतीजा सून्य रहा और 24 जुलाई को कटरा निवासी प्रकाश कुरील एक भैस उन्ही तारों की चपेट में आगयी और 80 हजार रूपया कीमत की भैस देखते ही देखते मर गयी तो बिजली विभाग की नींद खुली तो मात्र एक पोल लगाकर अपना पल्लू झाड़ लिया जबकि अभी भी 11 हजार बिद्युत लाईन के तार जमीन से मात्र चार फुट की ऊचाई पर है किसान अपने खेतों की जोताई नही करापारहे है आखिरवै कैसे ट्रैक्टर उसके नीचे से निकले जब आदमी जानवर नही निकल सकता तो ट्रैक्टर कैसे निकलेगा अब किसान धान की रोपाई करारहे है स्वाभाविक है कि अब गाय एवं बैलों का आवागमन होगा किसी भी वक्त किसी भी दिन किसी बड़ी घटना घटने ने इनकार नही किया जा सकता मजेदार बात तो यह कि तहसील समाधान का क्या मतलब केवल कागज पर समाधान होता है 90 प्रतिषत समाधान दिवसों पर आने वाला र्खच का खुले आम र्दुप्योग होरहा है सरकार की आखों में केवल धूल झोकने का कार्यकिया जाता है जिसमें बिद्युत विभाग जान बूझ कर अन्जान बना है।

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