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अमेरिकी केंद्रीय बैंक (फेडरल रिजर्व) के फैसले के बाद सेंसेक्स और निफ्टी नई ऊंचाइयां छू गया 

 

अमेरिकी केंद्रीय बैंक के फैसले से भारतीय शेयर बाजारों में तूफानी तेज़ी तेजी देखने को मिली

 

केंद्रीय मौद्रिक नीति उपकरणों व ब्याज दरों पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के फैसले वैश्विक वित्तीय बाजारों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

 

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर एक कहावत दिनांक 13 दिसंबर 2023 देर रात्रि को अमेरिकी केंद्रीय बैंक (फेडरल रिजर्व) ने पूरी तरह सच्चा साबित कर दियाकि अमेरिका शींक्ता भी है, तो पूरी दुनियां में सर्दी लग जाती है। हुआ यूं कि देर रात्रि को फेडरल रिजर्व ने एक बैठक में ब्याज दरों को स्थिर रखना, यानी कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया जिसपर पूरी दुनियां की नज़रें लगी हुई थी! बस फिर क्या था फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक का निर्णय आते ही पूरी दुनियां का शेयर बाजार जगत झूम उठा। शेयरों के भाव ऊंचाइयों तक चले गए भारतीय सेंसेक्स व निफ़्टी भी नई ऊंचाइयों को छूंनें लगा और तूफानी तेजी देखने को मिली जो कि अभी भी शुरू है इसीलिए ही आज भी कहा जाता है कि केंद्रीय मौद्रिक नीति उपकरण व ब्याज दरों पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के फसलों से वित्तीय बाजार पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है चूंकि एफओएमसी के फैसले से भारत का सेंसेक्स हजार से अधिक युवा उछल गया, रिकॉर्ड ऊंचाइयों तक पहुंच गया है इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के फैसले के बाद सेंसेक्स और निफ्टी नई ऊंचाइयों को छू गया है, यानी अमेरिकी केंद्रीय बैंक के फैसले से भारतीय शेयर बाजारों में तूफानी तेजी देखने को मिली।

साथियों बात अगर हम एफओएमसी के निर्णय के प्रभाव की करें तो, फेडरल रिजर्व ने एफओएमसी की बैठक में नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया और इनको 5.25-5.50 फीसदी पर स्थिर रखा है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक की ब्याज दरें निर्धारित करने वाली फेडरल ओपन मार्केट कमिटी के इस फैसले से दुनियाभर के बाजारों को राहत मिली है। फेड चेयरमैन ने ब्याज दरों को यथावत रखते हुए इन्हें 22 साल की ऊंचाई पर बरकरार रखा है। एफओएमसी की दो दिन चली बैठक के बाद यूएस फेडरल रिजर्व चेयरमैन ने साल 2023 की आखिरी रेट बैठक में बेंचमार्क इंटरेस्ट रेट को 5.25-5.50 फीसदी पर रखा है। ये बाजार के अनुमान के मुताबिक ही रहा और लगातार तीसरी बार बिना बदलाव का रुख एफओएमसी ने अपनाया है।फेडरल रिजर्व ने साल 2024 के लिए जरूर राहत का संकेत दिया है और फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने अगले साल ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की कटौती की बात कही है। इसके अलावा 2024 के लिए अमेरिका में बेरोजगारी दर के 4.1 फीसदी रहने का अनुमान बरकरार रखा गया है. वहीं अगले साल अमेरिका की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान में कटौती की गई है. इसको 1.5 फीसदी से घटाकर 1.4 फीसदी कर दिया गया है। महंगाई दर के लिए फेड कमिटी का कमेंट।फेड चेयरमैन ने कहा कि महंगाई दर में कमी आई है लेकिन ये अनुमान से ऊपर बनी हुई है. फेड चेयरमैन के मुताबिक साल 2024 के आखिर तक मुख्य महंगाई दर के घटकर 2.4 फीसदी रहने का अनुमान है जो सितंबर में दिए गए 2.6 फीसदी के पूर्वानुमान से कम है. कोर इंफ्लेशन को खाने-पीने के सामान और पावर की लागत को शामिल किया जाता है. इसे महंगाई दर के भविष्य के रास्ते का बेहतर माप माना जाता है। बाजार उछले कल एफओएमसी मीटिंग के फैसलों के बाद जाहिर तौर पर अमेरिकी बाजारों के लिए पॉजिटिव माहौल बना और बुधवार के ट्रेड में यूएस मार्केट में शानदार तेजी देखी गई।अमेरिकी बाजारों में जोश देखा गया और जनवरी 2022 के बाद डाओ जोंस रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद हुआ है। नैस्डेक और एसएंडी 500 में 1-1 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया।

साथियों बात अगर हम एफओएमसी के निर्णय से शेयर बाजारों में प्रभाव की करें तो, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नरम रुख से दुनिया भर के बाजारों में उत्साह देखा गया जिससे शेयरों की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। इस बीच निवेशक पहले के अनुमान की तुलना में दर में तीव्र कटौती की उम्मीद कर रहे हैं, जिससे जोखिम वहन का पैमाना माने जाने वाला 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल 4 फीसदी से नीचे आ गया।अमेरिका में ब्याज दरें 22 साल के उच्च स्तर हैं। फेड के चेयरमैन ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक 2024 से दरों में कटौती शुरू करेगा। केंद्रीय बैंक के कुछ अधिकारियों ने संकेत दिए कि अगले साल दर में 75 आधार अंक की कटौती हो सकती है, जो बाजार के अनुमान से ज्यादा है।बुधवार को अमेरिकी शेयर बाजारों में शानदार तेजी आई है जिसका असर आज देसी बाजार में भी दिखा औरसूचकांक बढ़त के साथ खुले। कारोबार की समाप्ति पर सेंसेक्स और निफ्टी दोनों नए शिखर पर पहुंच गए।बीते तीन हफ्तों के दौरान दो दिन को छोड़कर सभी सत्र में दोनों सूचकांक लाभ में रहे। दिसंबर में अभी तक सेंसेक्स 5.3 फीसदी चढ़ चुका है जो पिछले साल अक्टूबर के बाद किसी भी महीने में आई सबसे बड़ी तेजी है। बीएसई की सभी सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 3.8 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 355 लाख करोड़ रुपये (4.26 ट्रिलियन डॉलर) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।फेडरल रिजर्व के प्रमुख ने संकेत दिया कि मुद्रास्फीति के 2 फीसदी के लक्ष्य तक घटने पर अमेरिका के मौद्रिक नीति निर्माता दरों में कटौती पर विचार कर सकते हैंहालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जरूरत पड़ने पर फेड दरें बढ़ा भी सकता ह। अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक के ब्याज दरों को स्थिर रखने के फैसले के बाद अमेरिकी स्टॉक मार्क में जोरदार तेजी देखने को मिली। ऐसे में गुरुवार को शेयर बाजार में भी उछाल आया है। अमेरिकी बाजार में होने वाली किसी भी हलचल का असर भारत में भी दिखाई देता है ऐसे में गुरुवार को शेयर बाजार मेंउछाल आने है।

साथियों बात अगर हम एफओएमसी के निर्णय से भारत को प्रभाव पढ़ने की करें तो, फेडरल रिजर्व की बैठक का भारतीय शेयर बाजार पर काफी असर पड़ सकता है. फेड द्वारा लिए गए निर्णय, विशेष रूप से ब्याज दरों के संबंध में वैश्विक निवेशक भावना और पूंजी प्रवाह को प्रभावित करते हैं।फैड मीटिंग में ब्याज दर पर किसी बड़े निर्णय का असर भारतीय बाजारों पर हो सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर कैसे प्रभाव डालते हैं यूएस फेड के फैसले इसको समझने के लिए सबसे पहले यूएस फेड और भारतीय अर्थव्यवस्था के बीच संबंधों को जानना होगा। हमें यह जानना होगा कि यूएस फेड की समीक्षा बैठक में होने वाले फैसले भारत को कैसे प्रभावित करते हैं। भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया के बाजारों की गहराई से जुड़ी हुई। खासतौर से अमेरिका से। अमेरिकी केंद्रीय बैंक जिसे हम फेडरल रिजर्व के नाम से भी जानते हैं और आम बोलचाल में यूएस फेड कहते हैं यह ठीक उसी तरह काम करता है जैसे हमारे देश में भारतीय रिजर्व बैंक व्यापारी इस बात पर भारी दांव लगा रहे हैं कि फेड अगले कई महीनों तक अपनी रातोंरात बेंचमार्क ब्याज दर को 5.25 -5.50 फीसदी रेंज में स्थिर रखेगा। लेकिन उन्हें यह भी उम्मीद है कि मई में दरों में कटौती शुरू हो जाएगी, 2024 के अंत तक पॉलिसी को 4.00 -4.25 फीसदी रेंज में ले जाने के साथ और कटौती होगी.दर वृद्धि, भारतीय बाजार औरअर्थव्यवस्था फेड द्वारा दरों में बढ़ोतरी की अटकलों के कारण ही तेल और सोने की कीमत में गिरावट आई है। ये कहा जाता है कि यूएस छींकता है, तो हर किसी को सर्दी लग जाती है। इसलिए, दरों में बढ़ोतरी का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। यदि फेड दरें बढ़ाता है, तो अमेरिका और भारत में ब्याज दरों के बीच का अंतर कम हो जाता है, जो मुद्रा व्यापार को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है. अमेरिका में डॉलर और अमेरिकी ट्रेजरी उपज आकर्षक हो गई है और भारतीय बाजार में पूंजी का आउटफ्लो दिखना शुरू हो जाएगा। विदेशी निवेशक भारत में निवेश करते हैं क्योंकि हमारी ब्याज दरें अमेरिका की तुलना में अधिक हैं. हालांकि, जब अमेरिका दरें बढ़ाता है, तो विदेशी निवेशक अपना पैसा अमेरिका में स्थानांतरित कर देंगे क्योंकि उन्हें अधिक रिटर्न मिलेगा.जब विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकालते हैं, तो इससे रुपये का अवमूल्यन हो सकता है और आरबीआई को भारत में दरें बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। यदि रुपये में भारी गिरावट आती है, तो आरबीआई को घरेलू मुद्रा को बढ़ावा देने के लिए कुछ डॉलर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। जलवा होइससे विदेशी मुद्रा भंडार में जिस उद्योग को ब्याज दरों में वृद्धि से लाभ होता है वह बैंकिंग उद्योग है।जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो बैंक अपनी जमा दरों की तुलना में अपने ऋण पोर्टफोलियो का पुनर्मूल्यांकन बहुत तेजी से करेंगे, जिससे उन्हें अपना शुद्ध ब्याज मार्जिन बढ़ाने में मदद मिलेगी।दूसरी ओर, उच्च ब्याज दरें रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए नकारात्मक हैं क्योंकि संभावित खरीदार की ईएमआई बढ़ जाती है, जिससे मांग कम हो जाएगी.रुपये में गिरवाट से इनको होगा फायदारुपये में गिरावट के कारण दरें बढ़ने से आईटी और फार्मा सेक्टर को भी फायदा होता है, फिर भी, यदि दरें बहुत अधिक बढ़ जाती हैं, तो इससे मंदी आ जाती है, जिससे वहां के बिजनेस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इसलिए, टैकनोलजी खर्च के लिए अमेरिकी कंपनियों की भूख सीमित हो सकती है, जो भारत में आईटी सेवा कंपनियों की कमाई पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

साथियों बात अगर हम भारतीय शेयर बाजार पर प्रभाव पड़ने की करें तो, भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार को फिर से तूफानी तेजी देखने को मिल रही है। हरे निशान पर शुरुआत करने के बाद बाजार में दोनों इंडेक्स नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं. एक ओर जहां सेन्सेक्स 1000 अंक से ज्यादा उछलकर 70,602.89 के स्तर पर पहुंच गया, तो वहीं Nifty ने भी जोरदार तेजी के साथ 21,210.90 का नया हाई लेवल छुआ है. इससे पहले बीते कारोबारी दिन बुधवार को सेंसेक्स 69,584.60 के लेवल पर क्लोज हुआ था. निफ़्टी-50 255.40 अंक या 1.22 फीसदी की तेजी लेते हुए 21,181.70 पर ट्रेड कर रहा था।

अतः अच्छा अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक (फेडरल रिजर्व) के फैसले के बाद सेंसेक्स और निफ्टी नई ऊंचाइयां छू गया।अमेरिकी केंद्रीय बैंक के फैसले से भारतीय शेयर बाजारों में तूफानी तेज़ी तेजी देखने को मिली केंद्रीय मौद्रिक नीति उपकरणों व ब्याज दरों पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के फैसले वैश्विक वित्तीय बाजारों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं।

 

*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

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