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मनरेगा योजना बनी ग्राम प्रधान के लिए संजीवनी बूटी

 

घर में दो-दो शस्त्र लाइसेंस फिर भी बहुएं जातीं हैं मजदूरी करने

रिपोर्ट मेहेरवान सिंह कुशवाहा

खबर दृष्टिकोण (जालौन)

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंण्टी योजना (मनरेगा) सरकार के द्वारा गरीब मजदूरों के लिए चलाई गई थी ।इसमें यह नियम रखा गया है कि प्रत्येक जॉब कार्ड धारक मजदूर को साल में कम से कम 100 दिन काम अवश्य मिलना है ।लेकिन इस योजना का पूरे प्रदेश में जमकर के भ्रष्टाचार हो रहा है । इस योजना के अंन्तर्गत जॉब कार्ड धारक मजदूरों का काम दिखा करके ग्राम प्रधान , ग्राम पंचायत सचिव,पंचायत मित्र और तकनीकी सहायक करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार कर रहे हैं जो कि किसी से छिपा नहीं है ।लेकिन सब कुछ जानबूझकर के भी अधिकारी अनजान बने हुए हैं ,इसका मुख्य कारण समझ में नहीं आ रहा है। इस संम्बंन्ध में हम आपको बता दें कि जालौन जिले की कालपी तहसील के महेबा विकासखंण्ड की ग्राम पंचायत सरसई में जॉब कार्ड धारक मजदूरों की यदि गहराई से जांच की जाए तो करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार सामने आ सकता है। जिस घर में दो-दो शस्त्र लाइसेंस बने हुए हैं ,उस घर की बहुयैं भी मनरेगा में मजदूरी करने जा रहीं हैं। उनके भी जॉब कार्ड बने हुए हैं ।जो गांव की लड़कियां जिनकी उम्र पढ़ने लिखने की है वह मजदूरी करने जा रहीं हैं , उनके भी जॉब कार्ड बने हुए हैं ।गांव की कुछ बहुएं जो अपने खुद के घर के खेत तक नहीं जानतीं हैं,पर्दा चलतीं हैं ,वह भी मजदूरी करने जा रहीं हैं , उनके भी जाब कार्ड बने हुए हैं।।जिन घरों में दो-दो चार पहिया वाहन हैं,उनके पुरुष भी मजदूरी करने जा रहे हैं ।यदि इन सब चीजों की गहराई से जांच की जाए तो यह बात खुलकर के सामने आ जाएगी और जिन-जिन जॉब कार्ड धारक मजदूरों ने काम किया है उनसे यह पूंछा जाए कि आपने किस-किस जगह पर काम किया है ।कहां-कहां साइट पर काम किया है, जरा चलकर के वह साइड तो बता दो ,तो शायद एक भी जॉब कार्ड धारक मजदूर यह नहीं बता पाएगा कि मैंने काम कहां किया है ।इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि जॉब कार्ड धारक मजदूर और ग्राम प्रधान ,ग्राम पंचायत मित्र ,ग्राम पंचायत सचिव और संम्बन्धित ब्लाक के तकनीकी सहायक के द्वारा मिलकर के लाखों रुपए की धनराशि का बंन्दरबांट किया जा रहा है ।इस संम्बंन्ध में ग्राम पंचायत सरस‌ई के एक जॉब कार्ड धारक मजदूर ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनके जॉब कार्ड में जो ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत सचिव द्वारा पैसा डाले जाते हैं उनमें से प्रधानजी दो हज़ार रुपए वापस ले लेते हैं ।जब हमारे रिपोर्टर ने उस व्यक्ति से यह पूंछा कि आपने और आपकी पत्नी ने कहां-कहां पर काम किया है और कितने दिन काम किया है।तो उन्होंने बताया कि ना तो मैंने कहीं पर काम किया है और ना ही मेरी पत्नी ने काम किया है ।लेकिन प्रधान जी मेरे जॉब कार्ड में और मेरी पत्नी के जॉब कार्ड में पैसा डाल देते हैं और फिर दो -दो हजार रुपए वापस ले लेते हैं ।बकाया का पैसा वह मेरे लिए छोड़ देते हैं ।अब यहां गौर करने वाली बात यह है कि गांव की जो लड़कियां जाब कार्ड में मजदूरी करने जातीं हैं, उनके मां-बाप से यह पूंछा जाए कि तुम्हारी लड़की ने कहां कहां मजदूरी की है तो वह बता नहीं पाएंगे और ना ही वह लड़की बता पाएगी कि मैंने कहां कहां मजदूरी की है ,कहां कहां काम किया है ।लेकिन यदि उसका बैंक खाता चेक किया जाए कि जॉब कार्ड धारक मजदूरों को भुगतान किया गया है मजदूरी का ,उनकी लिस्ट चेक की जाए तो उसे लिस्ट में जरूर उन लड़कियों के नाम सामने आ जाएंगे ।यह है मनरेगा की हकीकत ।

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