_नोटिस के दौरान मिलने वाली मोहलत का भी नहीं किया इंतजार_
खबर दृष्टिकोण, जिला संवाददाता अतुल कुमार श्रीवास्तव
बाराबंकी। लेखपाल को किसी मजिस्ट्रेट के आदेश की भी जरूरत नहीं मौके पर ही हस्तलिखित नोटिस तैयार कर चस्पा कर दिया जाता है और आनन-फानन में बुलडोजर चलवा दिया जाता है। सूबे की सरकार लोगों को आशियाना देने की बात करती है और यदि बुलडोजर चला भी है तो दबंगों, गुंडों या फिर भ्रष्टाचारियों पर। लेकिन बाराबंकी जनपद की फतेहपुर तहसील में तैनात लेखपाल पूजा सिंह को लोगों की मेहनत की गाढ़ी कमाई को बर्बाद करने में अपनी बहादुरी और जिम्मेदारी समझ आती है। बाराबंकी जनपद की तहसील फतेहपुर का है जहां पर तैनात लेखपाल पूजा सिंह जो कि महानपुर, टेरवा पंचायत की लेखपाल हैं के लिए कहावत “खाता न बही, लेखपाल पूजा सिंह जो करे वही सही” अक्षरश: चरित्रार्थ साबित होती है। लेखपाल पूजा सिंह अपने दल बल के साथ 5 सितंबर 2024 को ग्राम महानपुर टेरवा पहुंचती है पहुंचते ही आनंद फानन में हस्तलिखित नोटिस कंचन उम्र लगभग 78 वर्ष की दीवार पर चस्पा कर बुलडोजर की जोर आजमाइश करती हैं, पुलिस बल भी साथ में था लेकिन किसी भी अधिकारी व कर्मचारियों ने मजिस्ट्रेट स्तर पर आदेश जानने व देखने की हिमाकत नहीं की और रक्षक रूपी पुलिस लेखपाल पूजा सिंह के साथ भक्षक बन बुजुर्ग महिला के आशियाने को उजड़ने में अपनी बहादुरी समझती रही। तहसील प्रशासन फतेहपुर में तैनात लेखपाल पूजा सिंह की मठाधीशी से बुजुर्ग महिला, छप्पर के नीचे बंधे गौवंशीय चोटिल हुए। सवाल यह नहीं कि आदेश किसका था? सवाल यह है कि किसी भी नोटिस के चस्पा होने के बाद एक सप्ताह का समय कम से कम होता है तो फिर किसकी शह पर पूजा सिंह के हौसले इतने बुलंद हैं? यदि कब्जा अवैध था तो अभी तक इतनी मेहरबानी क्यों की गयी? कब्जेदारी को लेकर मामला न्यायालय में विचाराधीन है तो क्या लेखपाल की शक्ति न्याययिक प्रक्रिया से ऊपर है? इन सवालों के जवाब जानने के लिए लेखपाल पूजा सिंह को कम से कम दस फोन किए गये परन्तु मनबढ़ लेखपाल ने हमारे संवाददाता का फोन रिसीव करना मुनासिब नहीं समझा। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि क्षेत्र की जनता के प्रति इनका रवैया क्या होगा? आखिर क्यों प्रशासन स्तर पर लोगों की आंखों का पानी बेसहारों के लिए ही मर जाता है?