वनाधिकार अधिनियम-2006 के अंतर्गत अनुसूचित जनजाति और परंपरागत वन निवासियों को मिल रहा अधिकार
23042 वन निवासियों को मिले वन अधिकार
ख़बर दृष्टिकोण लखनऊ।
बयान- “वनाधिकार अधिनियम-2006 के अंतर्गत निवास व आजीविका हेतु वनोत्पादों पर निर्भर प्रदेश के अनुसूचित जनजाति एवं परंपरागत वन निवासियों को उनके अधिकार दिलाए जायेंगे, साथ ही सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचाकर विकास की मुख्यधारा में शामिल किया जाएगा।“
–असीम अरुण, राज्य मंत्री(स्व.प्र.), समाज कल्याण, उ0प्र0।
मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में परंपरागत वन निवासियों को भूमि अधिकार संबंधी प्रमाण पत्र वितरित करने के साथ ही वन अधिकार के प्रस्तावों पर तेज़ी से कार्यवाही किये जाने के संबंध में मंगलवार को समाज कल्याण विभाग व वन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से डॉ. अरुण कुमार सक्सेना, राज्य मंत्री(स्व.प्र.) वन एवं पर्यावरण, असीम अरुण, राज्य मंत्री (स्व.प्र.), समाज कल्याण की उपस्थिति में जनपद सोनभद्र, चंदौली व मिर्ज़ापुर के ज़िलाधिकारियों के साथ समाज कल्याण निदेशालय सभाकक्ष में वीसी के माध्यम से समीक्षा बैठक की गई।
इस अवसर पर वन मंत्री ने कहा कि वनवासियों के प्रकरण पर सहानुभूतिपूर्वक विचार एवं अन्य विभागों से समन्वय स्थापित कर उचित निर्णय लिया जाए, जिससे कोई भी वन निवासी अपने अधिकारों से वंचित न रहे। बैठक में वनाधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत वन अधिकार दिलाए जाने के संबध में निर्णय लिया गया कि वन निवासियों के प्रस्तावों पर जनपदों द्वारा प्राप्त समस्त दावों का अवलोकन कर सम्यक निर्णय किए जाएं। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि दिनांक 13 दिसम्बर 2005 से पूर्व तीन पीढ़ियों अथवा 75 वर्ष तक प्राथमिक रूप से वन, वनभूमि या वनोत्पादों पर निर्भर पात्र व्यक्तियों को उनके व्यक्तिगत एवं सामुदायिक अधिकार प्राप्त हो सकें।
बैठक में वन एवं पर्यावरण मंत्री, डॉ. अरुण कुमार सक्सेना, राज्य मंत्री ( स्व. प्र.) समाज कल्याण, असीम अरुण, प्रमुख सचिव, समाज कल्याण, डॉ. हरिओम, सदस्य, राज्यस्तरीय समिति श्री आनन्द व संबंधित जनपदों के ज़िलाधिकारी, डीएफ़ओ एवं ज़िला समाज कल्याण अधिकारी उपस्थित रहें।