मिशन वात्सल्य एवं मिशन शक्ति के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु डिप्टी चीफ प्रोबेशन अधिकारियों एवं ज़िला प्रोबेशन अधिकारियों की दो दिवसीय कार्यशाला बुधवार को सम्पन्न हुई। कार्यशाला का आयोजन लखनऊ में महिला एवं बाल कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश एवं यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
कार्यशाला का उद्देश्य महिला कल्याण विभाग द्वारा संचालित मिशन शक्ति और मिशन वात्सल्य योजनाओं के नए बिन्दुओं एवं दिशानिर्देशों से अधिकारियों को अवगत कराना एवं योजनाओं का प्रभावी संचालन सुनिश्चित करना था। कार्यशाला में बेटी बचाओ बेटी पढाओ, मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना एवं वन स्टॉप सेंटर जैसी योजनाओं के कवरेज एवं प्रचार को बढ़ावा देने पर भी चर्चा की गई।
कार्यशाला का उदघाटन माननीय मंत्री महिला एवं बाल कल्याण, बेबी रानी मौर्या द्वारा मंगलवार को किया गया एवं कार्यशाला के समापन सत्र में माननीय राज्य मंत्री महिला एवं बाल कल्याण प्रतिभा शुक्ला ने अधिकारियों को संबोधित किया।
कार्यशाला के प्रथम दिन मौर्य ने अधिकारियों में संवेदनशीलता विकसित करने पर ज़ोर दिया। उन्होने कहा, “ हमे प्रदेश की प्रत्येक महिला एवं बच्चे को यह विश्वास दिलाना होगा की हमारा विभाग उन्हें हर प्रकार की सुरक्षा एवं सहायता देने के लिए सदैव तत्पर है।“ उन्होने महिलाओं एवं बच्चों के कौशल विकास पर ध्यान देने पर बल दिया एवं राजकीय बाल गृह एवं संप्रेक्षण गृह के बच्चों को भी उनकी रुचि के अनुसार अपनी क्षमताएँ विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करने को कहा।
कार्यशाला के दूसरे दिन समापन अवसर पर शुक्ला ने अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, “राजकीय गृहों में रहने वाले बच्चों के अभिभावक बनें। हम कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चों के जीवन को बदल सकते हैं और उन्हें अच्छे नागरिक बना सकते हैं। बच्चों के साथ बैठने और उनकी समस्याओं और आकांक्षाओं के बारे में बात करने के लिए समय निकालें। बच्चों में बहुत क्षमता है और यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन्हें आत्मविश्वास दें ताकि वे भी जीवन में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकें और आत्मनिर्भर भारत हेतु योगदान दे सकें।” उन्होंने यूनिसेफ के प्रयासों की सराहना की और अधिकारियों को महिलाओं और बच्चों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए स्थानीय स्तर पर विधायकों का सहयोग लेने का सुझाव दिया।
महिला एवं बाल कल्याण विभाग की सचिव l अनामिका सिंह ने कहा, “मिशन वात्सल्य बाल संरक्षण की एक व्यापक योजना है जो कि बच्चों की संस्थागत देखभाल प्रणाली को मजबूत बनाने, परिवार आधारित वैकल्पिक देखभाल को बढ़ावा देने एवं टोल-फ्री हेल्पलाइन जैसे कार्यक्रमों को विकसित करने पर ज़ोर देती है। मिशन शक्ति महिलाओं एवं बच्चियों के सशक्तीकरण का व्यापक कार्यक्रम है जो संबल एवं समर्थ बिन्दुओं के अंतर्गत महिलाओं एवं बच्चियों की सुरक्षा, देखभाल एवं सशक्तिकरण पर केन्द्रित है।“
योजनाओं के नए नियमों के अंतर्गत, चाइल्डलाइन का संचालन अब महिला एवं बाल कल्याण विभाग द्वारा स्वयं ही किया जाएगा। इसके साथ ही महिला कल्याण विभाग अब कौशल विकास विभाग के साथ मिल कर राजकीय गृहों में रहने वाली महिलाओं एवं बच्चों के कौशल विकास पर भी कार्य करेगा।
मिशन वात्सल्य के अंतर्गत एक डिस्ट्रिक्ट हब फॉर एमपावरमेंट ऑफ वुमेन की भी शुरुआत की जाएगी ताकि महिलाओं एवं बच्चियों के सशक्तिकरण हेतु सभी संबन्धित विभाग एक साथ मिल कर कार्य कर सकें।
कार्यशाला में बच्चों के अधिकारों पर चर्चा करते हुए, यूनिसेफ के प्रोग्राम मैनेजर डॉ अमित महरोत्रा ने कहा,“हमे सर्वप्रथम यही प्रयास करना चाहिए कि प्रत्येक बच्चा एवं बच्ची हर प्रकार से दुर्व्यवहार, उपेक्षा एवं शोषण से सुरक्षित हो । हर बच्चे को पारिवारिक माहौल में बड़े होने का अधिकार है। किसी भी बच्चे के लिए राजकीय बाल गृह जैसी व्यवस्था में रहना एक अंतिम विकल्प होना चाहिए और यदि किसी भी बच्चे को बाल गृह में रहना पड़े तो वहाँ उसे गुणवत्तापूर्ण देखभाल मिलनी चाहिए।“ डॉ महरोत्रा ने कहा की ब्लॉक एवं ग्राम स्तर पर कार्य कर रही महिलाओं को भी महिला एवं बाल कल्याण द्वारा अपने कार्यक्रमों के प्रसार/ क्रियान्वयन हेतु शामिल किए जाने की सलाह दी।
कार्यशाला में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के चेयरमैन डॉ देवेंद्र शर्मा ने बताया कि आयोग द्वारा पूरे राज्य के बाल एवं महिला संप्रेक्षण गृहों की वास्तविक स्थिति की एक रिपोर्ट तैयार की जा रही है जो की प्रदेश सरकार द्वारा शीघ्र ही साझा की जाएगी। डॉ शर्मा ने जिलों में महिलाओं एवं बच्चों के लिए कार्य कर रहे स्वयं सेवी संस्थानों के रेजिस्ट्रेशन पर ज़ोर दिया ताकि उनकी जवाबदेही तय की जा सके।
महिला एवं बाल कल्याण विभाग की निदेशक, सुश्री सरनीत कौर ने जॉब प्लेसमेंट के प्रावधान के साथ राज्य भर में 48 गृहों में प्रशिक्षण केंद्र चलाने के लिए स्किलिंग मिशन के साथ साझेदारी के गठन की बात की।
दो दिवसीय कार्यशाला में पी.ओ.सी.एस.ओ.अधिनियम, बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के प्रमुख संशोधनों के साथ-साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास आदि योजनाओं के मुख्य बिन्दुओं पर भी चर्चा की गई। कार्यशाला में स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास, श्रम विभागएवं पुलिस आदि संबन्धित विभागों एवं नागरिक समाज संगठन के प्रतिनिधियों के साथ भी मिल कर चर्चा की गई।
कार्यशाला में प्रदेश के 30 जिलों के अधिकारियों ने प्रतिभाग किया। कार्यशाला में महिला एवं बाल कल्याण विभाग के उप निदेशक श्री पुनीत मिश्रा, बी एस निरंजन, प्रभात रंजन, अनु सिंह एवम आशुतोष सिंह उपस्थित रहे।
