डीएम व एडीएम से शिकायत के 5 माह बीत जाने के बाद भी अब तक नहीं हुई कोई कार्यवाही
बाराबंकी। भ्रष्टाचार की बहती गंगा में क्षेत्रीय अधिकारी से लेकर जिला प्रशासन स्तर के अधिकारी किस कदर बेलगाम है। यह इसी बात से समझा जा सकता है कि आम आदमी की संपत्ति को दूर की कौड़ी है।वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर भी भूमाफिया राजस्व व पुलिस विभाग की मिलीभगत में अवैध कब्जा करने से नहीं कतरा रहे हैं। हालत इतनी खराब है वक्फ बोर्ड द्वारा तैनात मुतावल्ली के तमाम प्रार्थना पत्र व शिकायतें जिला स्तरीय अधिकारियों के निर्देश के बावजूद बेअसर साबित हो रहे हैं। सामने आए मामले में तहसील हैदरगढ़ के थाना असंद्रा अंतर्गत नगर पंचायत सिद्धौर के सुन्नी वक्फ बोर्ड में रजिस्टर्ड वक्फ इमामबाड़ा मीर पंजतन बख्श के नाम दर्ज मकान व खाली जमीन पर आधा दर्जन लोगों ने जबरन अवैध रूप से कब्जा कर दुकान बनवा रहे हैं। जिसमें नगर पंचायत सिद्धौर के मोहल्ला लंबौवा निवासी मुतावल्ली व शिकायतकर्ता बदरूजमा पुत्र अब्दुल हक ने अवैध कब्जे को लेकर डीएम, एसपी, उप जिलाधिकारी हैदरगढ़ के साथ-साथ सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जनता दरबार में परोक्ष रूप से मिलकर शिकायती पत्र देते हुए तमाम मामलों से अवगत कराया था। लेकिन हद है बावजूद इसके जिला प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारियों की पुलिस प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंगी। मुतावल्ली के बताए अनुसार वक्फ बोर्ड में 1533 नंबर पर रजिस्टर्ड जमीन व मकान पर अवैध कब्जेदारी की इसी वर्ष जनवरी में शिकायत करने पर आधा दर्जन अवैध कब्जेदारों ने अपने गुर्गों के साथ जानलेवा हमला कर मुतावल्ली को मारने का प्रयास किया था। इसके बाद भी जान से मारने की धमकी लगातार दे रहे हैं लेकिन तमाम दस्तावेजी प्रमाणों व कई लोगों की शिकायतों के बावजूद भू माफियाओं से मोटी मलाई काट रहे हैं। जिम्मेदार पुलिस व प्रशासन सहित राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारी कार्यवाही तो दूर मुतावल्ली को ही उल्टा वहां से हटने का दबाव बनाते है मुतावल्ली के बताए अनुसार, अब देखना यह होगा कि शासन-प्रशासन व मुख्यमंत्री तक से शिकायत के बाद अब अवैध कब्जे के मामले में सुनवाई कब और कौन करता है। लोगों की माने तो अगर यह जंगलराज ही रामराज है तो पहले वाला राज ठीक था जिसमें कम से कम दस्तावेजों और प्रमाणों के आधार पर लोगों को न्याय तो मिल जाता था। लेकिन वर्तमान व्यवस्था में स्वयंभू व पुलिस व बेअंदाज प्रशासन बिना भ्रष्टाचार के किसी मामले में कोई सुनवाई लोगों के बताए अनुसार नहीं कर रहा है।