लखनऊ खबर दृष्टिकोण |गन्ने की खेती को उद्यमिता से जोड़ने तथा युवाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराने हेतु गन्ना विकास विभाग द्वारा “युवा गन्ना किसान संवाद कार्यक्रम का आयोजन कराया जा रहा है। इसी कड़ी में प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग श्री संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा देवीपाटन एवं गोरखपुर परिक्षेत्र के युवा पुरूष एवं महिला गन्ना किसानों के साथ ऑनलाईन संवाद किया गया।अपर मुख्य सचिव ने कहा कि युवा गन्ना किसानों को गन्ने की प्राकृतिक खेती तथा उद्यमिता से जोड़ने हेतु गन्ना विकास विभाग द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है, जिससे युवा किसान न केवल कम लागत से अधिक उत्पादन करके खेती को लाभकारी बना सके चरन् वैज्ञानिक एवं प्राकृतिक विधि से गुणवत्तापूर्ण उत्पादन करके मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के संरक्षण में अपनी महती भूमिका निभा सकें।उन्होंने कहा कि गन्ना विभाग के प्रयासों से प्रदेश के गन्ना किसानों एवं गन्ने की खेती को तकनीकी से जोड़ना संभव हो सका है। गन्ने की खेती करने वाले 46 लाख से अधिक पंजीकृत किसानों द्वारा ई-गन्ना ऐप को डाउनलोड करना यह प्रदर्शित करता है कि प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में रहकर कृषि कार्य करने वाले लोग भी अब डिजिटल क्रांति का हिस्सा बन रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि गन्ना विकास विभाग द्वारा संचालित जिला, परिक्षेत्र एव राज्य स्तरीय गन्ना प्रतियोगिता एवं उत्कृष्ट कार्य योजना से जुड़कर युवा गन्ना किसान राज्य स्तर पर अपनी पहचान स्थापित कर सकते हैं। उन्होंने गन्ना नर्सरी के क्षेत्र में कार्य करने वाले महिला स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों से भी पौध उत्पादन के लक्ष्य में बढ़ोत्तरी करने के लिये अपील की।
संवाद कार्यक्रम में बहराइच के एमए कर चुके किसान मालिक सिंह ने बताया कि उनके द्वारा पंचामृत विधि से खेती की जाती है। उन्होंने “ई- गन्ना ऐप” को गन्ने की खेती का ब्रह्मास्त्र बताया और कहा कि यदि किसानों द्वारा मिट्टी को मां कहा जाता है तो हमें अपनी फसलों के साथ मां जैसा व्यवहार भी करना होगा। बहराइच जिले के ही एक अन्य किसान श्री जिआउलहक द्वारा बताया गया कि वह 20 एकड़ भूमि पर सहफसली विधि द्वारा गन्ने की नवीन प्रजातियों के माध्यम से खेती करते हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त लाभ प्राप्त हो रहा है। उन्होंने बताया कि स्मार्ट गन्ना किसान प्रणाली के लागू होने के बाद से सभी किसानों को समय पर पर्चियां प्राप्त हो रही हैं। हॉयल पर्चियों की समस्या भी समाप्त हो गयी हैं तथा किसानों को गन्ना समितियों के चक्कर काटने से मुक्ति मिली है। बहराइच से जुड़े श्री अमित ने कहा कि वह वर्ष 2011 में एम.एस.सी कर विगत 03 वर्षों से गन्ने की खेती से जुड़े हुए हैं तथा प्रत्येक सीजन 6 हजार कुन्टल गन्ने का उत्पादन करते हैं।बलरामपुर जिले से जुड़ी महिला गन्ना कृषक श्रीमती परवीन बानों एक पोस्ट ग्रेज्युएट महिला किसान है। वह वर्ष 2019 से महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुयी है। गन्ना विभाग द्वारा पौध उत्पादन हेतु उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था की गयी, जिसके फलस्वरूप वह लगभग 01 लाख पौध का उत्पादन कर उनकी बिक्री से आय अर्जित कर रही हैं। बलरामपुर जिले की ही एक अन्य महिला किसान श्रीमती साध्वी ने बताया कि कोविड संक्रमणकाल के दौरान गन्ना विकास विभाग की पौध उत्पादन योजना के माध्यम से उन्हें बहुत मदद मिली, जिससे वह अपने क्षेत्र की जनजातीय संवर्ग की महिलाओं की आर्थिक सहायता कर सकी। बलरामपुर क्षेत्र की श्रीमती अंजू देवी ने भी बताया कि कोरोना काल में गन्ने की नर्सरी ही उनका एकमात्र सहारा थी।गोरखपुर परिक्षेत्र की सरदारनगर परिषद क्षेत्र के किसान गिरजेश सिंह द्वारा बताया गया कि वह गन्ने के साथ गेंद की सहफसली कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। वहीं पिपराइच के श्री आदित्य पटेल भी गन्ने की खेती से जुड़े अपने अनुभव साझा किये सिद्धार्थनगर जिले में बढ़नी गन्ना विकास परिषद क्षेत्र के किसान श्री दिनेश यादव द्वारा बताया गया कि वह गन्ने के साथ लाही की सहफसली खेती कर अच्छा लाभ कमाते हैं। सिद्धार्थनगर की एक अन्य महिला किसान शर्मिला यादव ने बताया कि उनके पिता गन्ने की खेती कर अन्य लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।संवाद कार्यक्रम के समापन के समय अपर मुख्य सचिव ने देवीपाटन एवं गोरखपुर परिक्षेत्र के अन्तर्गत विभागीय गन्ना सुपरवाईजरों ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षकों एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिये कि बसन्तकालीन गन्ना बुवाई विगत 15 फरवरी से शुरू हो गई है। ऐसी स्थिति में बसन्तकालीन बुवाई के लक्ष्यों की शत-प्रतिशत पूर्ति कराना सुनिश्चित करें जिससे आगामी सर्वेक्षण के समय देवीपाटन एवं गोरखपुर परिक्षेत्र के अन्तर्गत गन्ने के रकबे में वृद्धि हो सके। अपर गन्ना आयुक्त (विकास) वी के शुक्ल द्वारा युवा गन्ना किसान कार्यक्रम का समन्वय एवं संचालन किया गया।