अधिशासी अभियंता मलखान सिंह आखिरकार क्यों बोला झूठ या पता नहीं था शासनादेश या फिर किया जा रहा अवर अभियंता का बचाव,बड़ा सवाल
13 मई 2022को विभाग को समूह(ग) कर्मचारियों का पटल परिवर्तन और क्षेत्र परिवर्तन(फील्ड) नीति संबंधी आदेश हो चुका जारी फिर भी अधिशासी अभियंता अनभिज्ञ कैसे?
पवन कुमार सिंह
सीतापुर। प्रदेश की योगी सरकार जहां भ्रष्टाचार को नस्त नाबूत करने के लिए निरंतर प्रत्यनशील है।जिसमें अधिकारियों को सख्त निर्देश हैं की कोई कोताही न बरती जाए बल्कि सख्त से सख्त कार्यवाही हो। एक ही स्थान पर जमे कर्मचारियों के ऊपर भी तत्काल उन्हें इधर से उधर करने में भी गुरेज नहीं किया जा रहा है बल्कि निर्देश जारी किए जा चुके हैं कि ऐसे अधिकारियों को तुरंत फेरबदल किया जाए। मामला प्रकाश में आ रहा है लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड का जहां पर पिछले 18 वर्षों से एक ही जिले में तथा 3 वर्षों से अधिक समय बिता चुके एक ही कार्य क्षेत्र में कार्य कर रहे अवर अभियंता डी एन सिंह का जोकि अभी ना तो दूसरे जनपद को स्थानांतरित हुए हैं, न ही एक ही क्षेत्र (फील्ड)में तीन वर्ष से अधिक का समय बिता चुके क्षेत्र (फील्ड) परिवर्तन हुआ है इस मामले में जब उच्च अधिकारी प्रांतीय खंड लोक निर्माण विभाग के सर्वे सर्वा अधिशासी अभियंता मलखान सिंह से बात की गई,तो उन्होंने दो टूक दूरभाष पर बताया की अवर अभियंता का स्थानांतरण गैर जनपद करने की पावर प्रमुख अभियंता महोदय के पास है न ही क्षेत्र परिवर्तन किया जा सकता है।जबकि क्षेत्र(फील्ड)परिवर्तन के संबंध में जो अधिशासी अभियंता के द्वारा कहा गया वह झूठ साबित हुआ क्योंकि उनके द्वारा क्षेत्र(फील्ड)परिवर्तन किया जा सकता है। बल्कि इस संबंध में निर्गत आदेश संख्या-8/2022/सा0 -119/सैतालीस-4-2022-(1/3/96) जारी 13 मई 2022,दुर्गा प्रसाद मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन की ओर से जारी किया गया है। जिसमें समस्त अपर मुख्य सचिव,प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन व प्रदेश के समस्त विभागाध्यक्ष तथा कार्यालयध्यक्षों को इस बात के निर्देश दिए गए कि ऐसे कर्मचारी जो समूह (ग) के अंतर्गत आते हैं ऐसे कार्मिकों को जो 3 वर्ष का समय एक पटल पर अथवा क्षेत्र(फील्ड) में कार्य कर चुके हैं उनको परिवर्तित किया जाए,कहने का तात्पर्य है इधर से उधर जारी किया जा चुका है।लेकिन जब इस बाबत अधिशासी अभियंता से पूछा गया तो उन्होंने इसे नकार दिया,क्षेत्र (फील्ड) परिवर्तन नहीं हो सकता यह साफ कर दिया,आखिर क्यों झूठ बोल गए,अधिशासी अभियंता यह बड़ा सवाल है? बताते चलें कि उपरोक्त शासनादेश का कड़ाई से पालन करने के निर्देश है। 30 जून 2022 तक इसके संबंध में शासन को सूचना प्रेषित करने को भी विभागाध्यक्ष को लिखा गया है। लेकिन जब शासनादेश भी अधिशासी अभियंता भूल गए,तो क्या स्थानांतरण अर्थात क्षेत्र(फील्ड) परिवर्तन उनको याद रहेगा यह भी एक सवाल पैदा होता है। बाकी तो बातें बहुत ही हो रही है,की अवर अभियंता डी एन सिंह की मजबूत पकड़ है तो क्या यह मजबूत पकड़ अधिशासी अभियंता को रोक पाएगी।फिलहाल तो झूठा बयान तो मीडिया को देकर गुमराह करने की नाकाम कोशिश अधीशाषी अभियंता द्वारा करके देख ली गई।अब देखना यह है क्या अब चेतेंगे और शासनादेश का संज्ञान लेंगे अधिशासी अभियंता मलखान सिंह साहब, फिलहाल इस बात पर कुछ कहा नहीं जा सकता शायद जानकारी देते वक्त अधिशासी अभियंता महोदय के मुख से निकल गया होगा,उनको क्या पता था की प्रकाशित हो जाएगा।फिलहाल तो अवर अभियंता डीएन सिंह का फील्ड परिवर्तन तो होना ही चाहिए।…आगे
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अधिशासी अभियंता प्रांतीय खंड की कार्यशैली से मंत्री जितिन प्रसाद हो सकते हैं नाराज!
सीतापुर। एक तरफ जहां शासनादेश की बात हो,तो अधीशाषी अभियंता प्रांतीय खंड लोनिवि मलखान सिंह के द्वारा दी गई जानकारी जो झूठी साबित हुई इससे यह पता चलता है की किस तरीके की कार्यशैली अधिशासी अभियंता महोदय रखते हैं कि उनको शासनादेशों का ज्ञान नहीं है।जबकि शासनादेश विभागाध्यक्षों के लिए महत्वपूर्ण विषय होता है।तो सवाल उठता है,अधीशाषी अभिंयता की कार्यशैली कैसी होगी।इससे विभागाध्यक्ष प्रान्तीय खंड को तो शायद फर्क नहीं पड़ता,परंतु जिनके कंधों पर प्रदेश के मंत्रालय का जिम्मा सौपा गया है उनकी बेहतर और जबरजस्त कार्यशैली के चलते मंत्री जितिन प्रसाद को इससे फर्क पड़ता है की ऐसे गलत बयान बाजी करने वाले अधिकारियों पर कब कार्यवाही होगी?हालांकि अगर इस तरह की जानकारी मंत्री जितिन प्रसाद तक पहुंची तो अधीशाषी अभिंयता प्रांतीय खंड लोनिवि मलखान सिंह को नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।