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वाह नेता जी अपनी विधायक निधि पांच करोड़ फिर भी गौवन्सों के चारा के लिये दरदर को ठोकरें

 

 

रिपोर्ट मो०अहमद चुनई

 

पुरवा-उन्नाव:- सूबे की योगी सरकार ने जहां एक ओर विधायक निधि को बढ़ाकर पांच करोड़ वार्षिक कर दिया है तो वहीं दूसरी ओर गौशालाओं में भूषा दान देने के लिए कर्मचारियों एवं आम नागरिकों के आगे हाथ फैला रही है। नगर पंचायत प्रशासन से लेकर तहसील प्रशासन गौवंशों हेतु भूषा दान ले रही है। जबकि नगर पंचायत में कोई भी गौसाला नही जबकि बीती सरकार के द्वारा शुरू में ही नगर पंचायत पुरवा में पुरवा पाटन मार्ग पर एक कान्हा गौशाला का करोड़ों रुपया लागत से र्निमाण कराया गया था आज भी वह अपूर्ण है बीते चार वर्षों में एक भी गौवसं नही रखा गया किशान परेसान है गौसाला के नाम पर एक भी गौसाला नही फिर चारा के लिये आम आदमी व किसानों के आगे ही हाथ क्यों फैलाया जारहा है।

 

उत्तर प्रदेश सरकार के विधान मण्डल की बैठक में विधानसभा के सदस्यों की निधि का कोटा अब पांच करोड़ वार्षिक कर दिया गया है। उक्त जानकारी समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के द्वारा मिली। जबकि कोरोना काल से पहले यह विधायक निधि एक करोड़ वार्षिक हुआ करती थी लेकिन कोरोना काल में एक वर्ष के लिए निधि को फ्रीज किया गया और तत्पश्चात उक्त निधि की धनराशि तीन करोड़ वार्षिक की गई। लेकिन भाजपा की योगी सरकार २.० के बनते ही विधायक निधि में बेतहाशा वृद्धि आम नागरिकों के गले नहीं उतर रही है। कारण कि धरातल पर महंगाई व भ्रष्टाचार चरम पर है। कोरोना काल में जहां एक ओर शिक्षकों व कर्मचारियों के डीए को भी फ्रीज कर दिया गया था और अब तक उसका भुगतान प्रदेश सरकार द्वारा नहीं किया गया जबकि केंद्र सरकार ने उक्त समयावधि के डीए भुगतान का आदेश भी जारी कर दिया था। विडम्बना यह है कि जहां एक ओर समाज व देश सेवा के नाम पर जनप्रतिनिधियों की सुख-सुविधाओं को आंख मूंदकर बढ़ाया जा रहा है तो वहीं योगी सरकार की अतिमहत्वाकांक्षी गौशाला योजना में बेजुबान भूखे-प्यासे तड़प रहे हैं। उनके चारे-पानी की समुचित व्यवस्था के लिए प्रदेश सरकार अपने मातहतों से जबरदस्ती भूषा दान वसूली अभियान चलाया है। नगर पंचायत प्रशासन से लेकर ब्लाक व तहसील प्रशासन को भूषा जमा कराने का बाकायदा लक्ष्य दिया गया है। बड़ी आश्चर्यजनक बात है कि नगर पंचायत के ईओ समेत तहसील कर्मियों को भी भूषा दान कराने की जिम्मेदारी दी गई है। आखिर प्रदेश के जिम्मेदार क्या हाथ खड़े कर चुके हैं? एक ऐसे तुगलकी फरमान का विरोध बीते दिवस सदन में किया गया था जब एक जनपद के बीएसए ने शिक्षकों से भूषा वसूली का आदेश जारी किया था।

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