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मिलावटी तेल की आशंका फिर भी कर दिया व्यापारी को सुपुर्द

 

 

थाना पुलिस फूड इंस्पेक्टर नायब तहसीलदार की मौजूदगी में मिलावटी तेल प्रकरण में गजब की है कानून व्यवस्था

 

कौशाम्बी। मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री रोकने के नाम पर कानून व्यवस्था की आड़ में जमकर हेरा फेरी हो रही है व्यापारियों की मानें तो फूड इंस्पेक्टर जांच के नाम पर धना दोहन करते हैं और जब उनकी मांग नहीं पूरी होती है तो सैंपल भरकर जांच के नाम पर प्रताड़ित किया जाता है विभागीय लोगों की माने तो मिलावट खोरी का धंधा चरम पर चल रहा है दोनों के बीच हकीकत क्या है यह बड़े अधिकारियों के जांच का विषय है शुक्रवार को कौशांबी थाना क्षेत्र में एक वाहन से पुलिस ने 100 कनस्टर में लगभग 1500 लीटर सरसों का तेल पकड़ा जिसकी कीमत 2 लाख 23 हजार रुपए बताई जाती है सरसों के तेल के साथ-साथ थाना पुलिस ने व्यापारी विजय केसरवानी पुत्र अमृतलाल केसरवानी वाहन चालक शिव प्रकाश यादव और हेल्पर मल्लू यादव को पुलिस नवअपने कब्जे में ले लिया थाना पुलिस का कहना है कि उन्हें सूचना मिली थी कि व्यापारी मिलावटी तेल की बिक्री करता है पुलिस की सूचना पर मौके पर फूड इंस्पेक्टर और नायब तहसीलदार पहुँची उन्होंने भी मिलावट खोरी का आरोप लगाते हुए व्यापारी के दो कनस्तर तेल को सैंपल के लिए रख लिया है मामले में थाना पुलिस ने व्यापारी और चालक के खिलाफ मिलावट खोरी का मुकदमा दर्ज कर लिया है अधिकारी और पुलिस जिस तेल को मिलावट खोरी का कह रही थी उस तेल को देर शाम व्यापारी को जमानत पर वापस दे दिया गया है अब सवाल उठता है कि मिलावट खोरी का तेल व्यापारी तक फिर पहुंच गया है और व्यापारी ने यदि उसे खाने वालों को बेच लिया और मिलावटी तेल से फूड प्वाइजनिंग की समस्या बढ़ी तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी और यदि मिलावट खोरी का तेल नहीं था तो व्यापारियों का शोषण उत्पीड़न पुलिस और फूड इंस्पेक्टर ने क्यों किया है यह बड़ी जांच का विषय है लेकिन इस पर कोई भी अधिकारी उत्तर देने को तैयार नहीं है जमानत लेने के बाद व्यापारी को 100 कनस्तर तेल सुपुर्द कर दिया गया है इसके बाद सौदेबाजी शुरू है पकड़े गए तेल को व्यापारी को जमानत पर दिया गया है जिसे ले जाकर व्यापारी ने अपने घर पर रख दिया है जब सौदेबाजी नहीं तय हुई तो व्यापारी के घर पर भी ताला लगा दिया गया है मिलावट खोरी रोकने के नाम पर की जा रही कार्यवाही के मामले में व्यापारियों के उत्पीड़न के मामले को अधिकारियों की मनसा तमाम सवाल खड़ा कर रही हैं और अधिकारियों की मंशा पर यदि जांच हुई तो थाना पुलिस और फूड इंस्पेक्टर पर गाज गिरना तय है।

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