हाल_ए_वन_विभाग
“रेंजर व वनकर्मियों की मिलीभगत से फर्जी वाउचर बनाकर करोड़ों की हेराफेरी!
आला अफसरों की नजर न पड़ते देख लगातार वन विभाग को लगा रहे लाखों का चूना!”
लखिमपुर खीरी -।जहां एक तरफ भ्रष्टाचार को लेकर अपनी जीरो टॉलरेंस की नीति को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री 02 योगी आदित्यनाथ ने घोटालों,आर्थिक अपराधों, पेपर लीक जैसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सीबीआई की तर्ज पर ‘यूपी स्पेशल पुलिस स्टेबिलिशमेंट एक्ट’ तैयार कराने के निर्देश दिए हैं वहीं दूसरी ओर उनके ही कर्मचारी उनकी कोशिशों को नाकाम करने में लगे हुए हैं।एक ओर जहां रिश्वतखोरों के खिलाफ इन दिनों विजिलेंस टीम एक्टिव नजर आ रही है तो वहीं दूसरी ओर घूसखोर अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे शासन-प्रशासन में अराजकता और भ्रष्टाचार का बोलबाला है।ऐसे में यदि वन विभाग में जंगलराज चल रहा है तो यह आश्चर्य का विषय नहीं है, क्योंकि जंगलराज हमारी प्रशासनिक संस्कृति की विशेषता बन चुका है।वन विभाग में फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार के और भी ढेरों मामले हैं।इस विभाग में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि जिधर भी नजर डालो, उधर भ्रष्टाचार सामने आ जाता है।वन विभाग संभवत : एक मात्र ऐसा सरकारी विभाग है, जिसके आला अफसरान कोई काम नहीं करना चाहते हैं।अलबत्ता सरकारी योजनाओं को पलीता लगाकर दोनो हाथों से अपना घर भरने में जुटे दिखाई पड़ते हैं।भ्रष्टाचार करने के लिए इस विभाग के अफसरान किस हद तक जालसाजी कर सकते हैं, इसका एक सनसनीखेज मामला सामने आया है नाम न छापने की शर्त पर विभागीय अधिकारी ने दबी जुबान में बताया कि पैसों के लालच में दक्षिण निघासन रेंज में तैनात रेंजर राम मिलन व उनके स्टाफ द्वारा मिलकर भ्रष्टाचार किया गया है। विशेष सूत्रों से जानकारी अनुसार विगत वर्ष राम मिलन रेंजर ने अपने बेटे अजय कुमार तथा उनके कार्यालय बाबू अंबुज मिश्रा द्वारा अपने भाई दिव्यांश के नाम बृजेश शुक्ला वनरक्षक द्वारा अपने भाई दुर्गेश कुमार शुक्ला के नाम तथा ऋषभ प्रताप सिंह वन दरोगा द्वारा अपने भाई चेतन सिंह के नाम प्रोजेक्ट टाइगर योजना तथा अन्य योजनाओं में प्राप्त धनराशि से संबंधित फर्जी वाउचर बनाकर धनराशि का आहरण कर सरकारी धन राशि का गबन किया है।भ्रष्टाचार की जांच रेंज एवं प्रभागीय कार्यालय में उपलब्ध अभिलेखों से की जा सकती है।उच्चाधिकारी अगर इस बाबत निष्पक्ष जांच कराए तो दक्षिण निघासन रेंज में हुए लाखों रुपए के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो सकता है तथा दोषी लोग दंडित हो सकते हैं।पैसे की लालच में खोया हुआ विश्वास प्रशासनिक पहुंच से और भी दूर* होता जा रहा है।वैसे इसकी उम्मीद ना के बराबर है क्योंकि यहां से लेकर राजधानी तक के अधिकारी इस रोज हो रहे घोटाले के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार और हिस्सेदार हैं। बारीकी व निष्पक्षता से उक्त मामले की जांच की जाए तो करोड़ों का घोटाला उजागर हो सकता है।अगर जिम्मेदार ईमानदारी से उक्त मामले की निष्पक्ष एजेंसी से कराएं जांच तो दर्जनों वन अधिकारी जेल की सलाखों के पीछे नजर आएंगे।
जिम्मेदार कहते हैं.. इस बाबत में जब *वन क्षेत्राधिकारी निघासन (दक्षिण) राम मिलन* से उक्त मामले में जानकारी चाही गई तो उन्होंने बताया कि अभी थोड़ी देर में इस मामले में बातचीत करते हैं और फोन काट दिया। इस सम्बन्ध में जब *वनरक्षक बृजेश शुक्ला* से उक्त मामले में जानकारी चाहने के लिए कई बार फोन मिलाया गया किन्तु उनका फोन न उठने के कारण बृजेश शुक्ला वनरक्षक का पक्ष न मिल सका।इस सम्बन्ध में जब *कार्यालय बाबू अम्बुज मिश्रा* से उक्त मामले में जानकारी चाही गई तो उन्होंने बताया कि हमारे भाई का नाम दिव्यांश है जो वाचर है हमारे भाई ने फरवरी माह में वनरक्षक बृजेश शुक्ला के साथ काम किया है उधर अप्रैल,मई और जून मे ताज मोहम्मद वनरक्षक के साथ काम किया है।इस बाबत में जब *ऋषभ प्रताप सिंह वन दरोगा* से उक्त मामले में जानकारी चाही गई तो उन्होंने बताया कि हमारे भाई का जो नाम है ये बहुत बड़ी बात नहीं है जो महीने का वेतन आता है एक आदमी का हम लोग प्राइवेट व्यक्ति के रुप में वाचर रख सकते हैं जंगलों में खतरा अक्सर बना रहता है दूसरों व्यक्ति पर भरोसा नहीं है इसलिए भाई को रखा है।जब हमारा भाई बेरोजगार हैं तो दूसरा व्यक्ति क्यो रखें।बाकी सारी बातें एक मात्र अफवाह है।
