Breaking News

तहसील प्रशासन व प्रदूषण विभाग चुप्पी,बिना एनओसी  ईट भट्ठा चलाने की मौन स्वीकृति है

 

 

 

एसडीएम लहरपुर की कार्यवाही के बाद भी संचालित हो रहे बिना एनओसी ईट  भट्टे साहब कैसे

 

 

अजय सिंह

 

सीतापुर।  बिना एनओसी की तादात जनपद में काफी है, तो इन्हें संचालित बनाए रखने के लिए भी प्रशासनिक तालमेल भी इन संचालन करने वाले ईंट भट्ठा मालिकान है,बताते चलें की चर्चा हो रही है कि ईट भट्ठा मालिक काफी जुगत लगा रहे हैं की यह ईंट भट्ठा संचालक मालिकान व प्रशासनिक अमले की जुगलबंदी जारी रहे।जुगलबंदी का मतलब समझना आसान है,की चुटकी फार्मूला शायद यूज हो रहा है जिसके दम पर बिना एनओसी ईंट भट्ठे सरकार के नियमों को दरकिनार कर संचालित हैं। जबकि बातें यह भी हो रही हैं अधिकारी आफिस में बैठकर कई पत्र बिना एनओसी ईंट भट्ठे नहीं चलने दिया जायेगा के लिए जारी करते हैं, लेकिन अमल कितना होता है जगजाहिर है,तो क्या यह अधिकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश पर अमल न करके आदेशों की जो नाफरमानी करते हैं, उसका वरिष्ठ अधिकारी संज्ञान आखिरकार क्यों नहीं लेते या फिर आदेश सिर्फ अपने बचाव के लिए सरकारी स्टेशनरी के कागज का उपयोग होता है? देखा जाए तो बातें हो रही हैं बिना एनओसी ईंट भट्ठो पर कई आदेश बंदी के लिए जारी किए गए परंतु मामला इसके उलट ही दिखाई पड़ रहा है हल्की फुल्की कच्ची ईंटों को तोड़ ,तहसील प्रशासन की कार्यवाही चुप्पी में बदल जाती है, और यह इशारा करती नजर आ रही है कागजी खानापूर्ति का?तो आम जनमानस में इसकी बाते भी आम हो गयी हैं, की भट्ठो के मालिक काफी कद्दावर माने जाते हैं जिसके दम पर बिना एनओसी ईंट भट्ठो को चलाने से रोक पाना संम्भव नहीं है,लोगों का मानना है बिना खनन परमिट के खनन कराने के काफी समाचार सामने आए परंतु कार्यवाही शून्य रही।जो कार्यवाही हुई उसके बाद मामला फिर रफादफा,तो इसे क्या समझा जाए।ईंट भट्ठा मालिक प्रशासनिक व राजनीतिक क्षेत्रों में अपना बड़ा रसूख रखते हैं या फिर उनके तरकस में जो भ्रष्टाचार नाम का ब्रम्हास्त्र है उसके जरिए प्रदूषण विभाग व तहसील प्रशासन की कार्यवाही पंगु बन जाती है,ऐसा नहीं है तो अभी तक बिना एनओसी ईंट भट्ठे कैसे चल रहे हैं,जो सबसे बड़ा सवाल है,क्या इसी भ्रष्टाचार के दृष्टिगत इनपर कार्यवाही हो पाना असंभव लग रहा है, देखने वाला यह है इसपर क्या लखनऊ से कोई कार्यवाही होगी क्योंकि जनता में यह भी बातें हो रही हैं शासन स्तर से टीम बनाकर जांच हो तो संभव है सच्चाई उजागर होगी,वह टीम सही-गलत का फैसला आसानी से करेगी, इसमें कितनी सच्चाई है।क्या यह होगा यह तो पता आगे ही चलेगा परंतु जिस तरह से बातें हो रही हैं, उससे जांच होनी चाहिए और बिना एनओसी ईंट भट्ठे अगर कार्यवाही के बिना संचालित रहे तो यह कहा जा सकता है प्रदूषण विभाग व तहसील प्रशासन की मिलीभगत कुछ न कुछ तो है।…आगे

About Author@kd

Check Also

पुलिस व गौ तस्करों में हुई मुठभेड़, गौ वध हत्यारे के पैर में पुलिस की लगी गोली, साथी अंधेरे का फायदा उठाकर मौके से फरार 

    पुलिस ने मौके से एक बाइक, एक अवैध तमंचा, कारतूस, जानवर काटने के …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!