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गुरुवार को गुप्तेश्वर मंदिर पर कविता पाठ करते कवि

 

 

 

कोंच- बागीश्वरी साहित्यिक परिषद के तत्वावधान में एक कवि गोष्टी का आयोजन गुप्तेश्वर मंदिर पर किया गया।

कवि गोष्टी में कविता पाठ करते हुए कवि भास्कर सिंह मणिक ने अपनी कविता में कहा कि “आस्था के दीप जलाओ तो जानू दिल की कालिख हटाओ तो जानू अपनो की चाहत तो सब किया करते है गेरो को अपना बनाओ तो जानू” कवि सन्तोष तिवारी ने अपनी कविता सुनाते हुए कहा कि “तू खुद ही सब कुछ से मानव अपने अंदर उम्मीद जगा जो रास्ते अबतक है जगजाहिर उनसे हटकर तू मार्ग बना” कवि नन्दराम भाबुक ने कहा कि “रूप है अनन्त शंभू शीश पर है गज पधारे कंठ पे भुजग सोहे जटा पर जूट प्यारी है” राजेन्द्र सिंह रसिक ने अपनी कविता में कहा कि “तेरी मेहनत उनकी रहमत एक दिन रंग लाएगी याद कर उस रब को बंदे याद ही संग जाएगी” युवा कवि सुनील कान्त तिवारी ने कहा कि “जख्म थे पाव में लेकिन उम्र भर चलती रही है मुश्किलों के दौर में भी जिंदगी भी हँसती रही” कवि गोष्टी में आशाराम मिश्रा, राजेंश गोस्वामी, मोहनदास नगाइच राजकुमार हिंगवासिया, ने भी कविता पाठ कर बहाबाई बरोटी इस मौके पर कृष्ण कुमार,नन्द कुमार मंयक मोहन,संतोष राठौर प्रमोद अग्रवाल, रामविहारी रामकृष्ण लक्ष्मी नारायण, चन्द्रशेखर नगाइच सहित कई साहित्य कार्य और कवि मौजूद रहे।

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