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यूक्रेन से जालौन पहुंची छाया:मां से मिलकर हुई भावुक, बताया- ईस्टर्न सिटी में पहुंची है रूस की सेना, हर आवाज पर लगता था हमले का डर

 

 

रोहितसोनी जिला संवाददाता जालौन उरई

 

 

जालौन के कई छात्र यूक्रेन में फंसे हैं। ऑपरेशन गंगा के तहत यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र छात्राओं को निकाला जा रहा है। इसके तहत यूक्रेन में फंसी जालौन की छात्रा छाया यादव सकुशल अपने घर जालौन पहुंची। छाया के घर पहुंचने पर परिजनों में खुशी की लहर देखने को मिली। मां से मिलकर छाया भी भावुक हो गई। परिजनों ने छाया की आरती और माला पहनाकर स्वागत किया।

 

रोमानिया से दिल्ली लाया गया

 

चरण सिंह यादव की पुत्री छाया यादव ने बताया कि वह यूक्रेन में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। इसे ऑपरेशन गंगा के तहत उसे रोमानिया से दिल्ली लाया गया है। इसके बाद वह दिल्ली से जालौन अपने भाई और परिजनों के साथ आई है। छाया ने वहां के हालात के बारे में अपना दर्द बयां करते हुए बताया। उन्होंने कहा कि अभी भी 25 हजार से अधिक भारतीय छात्र छात्राएं यूक्रेन में फंसे हुए हैं। कई छात्र छात्राओं को पोलैंड, हंगरी और रोमानिया बॉर्डर पर लाया गया है। पहले भारतीय दूतावास द्वारा उन्हें किसी प्रकार की कोई भी मदद नहीं की जा रही थी, लेकिन जब हालात बिगड़ने लगे तब भारत सरकार द्वारा रोमानिया, हंगरी और पोलैंड बॉर्डर पर मदद के लिए भारतीय एंबेसी के अधिकारी पहुंचे हैं। छाया ने बताया कि वहां पर यह हालत है कि सायरन बजते ही सभी छात्र छात्राएं रूम से निकलकर मेट्रो स्टेशन पर बने बंकर में छुप जाते थे। इतना ही नहीं वहां की कंडीशन बहुत ज्यादा बिगड़ रही है, कोई भी वहां का आईडिया नहीं लगा सकता है।

 

हर आवाज से डर लगता था

 

उन्होंने कहा कि वहां अगर कोई आवाज आती थी तो दिमाग में यही चलता था कि हमला हो गया है। छाया ने बताया कि अभी सारे स्टूडेंट नहीं रेस्क्यू हुए हैं जो ऑपरेशन चलाया जा रहा है वह वेस्टर्न पार्ट से शुरू हुआ है, जहां मिलिट्री नहीं पहुंची है, मैन खतरा ईस्टर्न सिटी है, जहां मिलिट्री पहुंच गई है। जहां मिलिट्री पहुंच गई है वहां पर कोई भी छात्र-छात्राएं निकल नहीं पा रहा है। 7 दिन हो गये हैं आज तक वहां ऐसी कंडीशन है के छात्र-छात्राएं बंकर में छिपे हुए है। जितना राशन बचा है उसी से काम चला रहे हैं, वहां पर सर्दी ज्यादा पड़ती है इसीलिए वहां की स्थिति खराब है।

 

रोमानिया और हंगरी बॉर्डर पर फंसे थे

 

छाया ने बताया कि भारतीय दूतावास द्वारा मदद मिलने के कारण ही वह भारत वापस आ सकी हैं।छाया ने बताया जब उसने बॉर्डर क्रॉस किया था उस टाइम पर इंडियन एंबेसी से केवल एक लेडी वहां पर थी और हजारों स्टूडेंट बॉर्डर पर पहुंच चुके थे, यह स्थिति रोमानिया बॉर्डर की थी, कई छात्र-छात्राये रोमानिया हंगरी और पोलैंड बॉर्डर पर फंसे हुए हैं। बॉर्डर क्रॉस करने के लिए अफ्रीकी देशों के छात्र-छात्राओं से विवाद भी हो रहा है, छाया ने बताया कि बॉर्डर सुबह और रात में खोला जाता है। उसने बताया कि भारत आने पर वह बहुत खुश है, साथ ही वह भारत सरकार से अपील करती हैं कि ईस्टर्न सिटी में जो भी छात्र छात्राएं फंसे हुए हैं, उन्हें जल्द से जल्द निकाला जाए क्योंकि उन्हें यह पता नहीं है कि अगले पल क्या हो सकता है। वहीं उन्होंने बताया कि वह अभी यूक्रेन जाने के बारे में कोई विचार नहीं करेगी। जब वहां के हालात सामान होंगे, तब कहीं जाकर इस पर विचार करेगी। वहीं उन्होंने कहा कि वह भारत सरकार का आभार जताना चाहती हैं कि भारत सरकार की मदद से वह वापस अपने देश आई हैं, यदि भारत सरकार मदद न करती तो उन्हें उम्मीद नहीं थी कि वह सुरक्षित अपने देश पहुंच पायेगी।

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