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कप्तान साहब जरा एक नजर लहरपुर कोतवाली पर भी डाल दीजिए

 

अंधेर नगरी चौपट राजा..

आचार्य संहिता की आड़ में जनता का बजा दिया बाजा….

लहरपुर सीतापुर… लहरपुर कोतवाली बनने के बाद इंस्पेक्टर के रूप में कई कोतवाल आए जिनमें से कई लोगों के ऐतिहासिक व सराहनीय कार्य भी रहे लेकिन इतना मीठा और भ्रष्ट कोतवाल आज तक के इतिहास में कभी नहीं आया बात यदि लायन आर्डर मेंटेन रखने की करें तो क्षेत्र में लायन आर्डर अंतिम सांसे लेता नजर आ रहा है अपराधी दिनभर बेखौफ होकर कोतवाली परिसर में संबंधित अधिकारियों से मिलकर सौदेबाजी कर न्याय शब्द की खिल्ली उड़ा रहे हैं जगह-जगह कोतवाली परिसर में छोटे-छोटे स्टाल के रुप में अलग-अलग क्षेत्र वा बीट प्रभारियों की दुकानें सजी हुई है एक तरफ पीड़ित का प्रार्थना पत्र कोतवाल तक पहुंचता है फिर उसके बाद शुरू हो जाता है सेटिंग और गेटिंग का खेल… कुछ दलाल पहले से ही वहां उपस्थित होकर पुलिस से कार्य करवाने के नाम पर गरीब पीड़ित लोगों का शोषण करते हैं फिर इसके बाद विपक्षियों से मिलकर उस संबंध में पुलिसिया कार्यवाही से बचाने के नाम पर लंबी-लंबी डील कर अवैध धन का बंदरबांट करते नजर आते हैं कोतवाल मनीष कुमार सिंह की कार्यशैली इतनी शिथिल व भ्रष्टाचार की चासनी में डूबी हुई है कि अधिकांश कार्य कोतवाली के बीट के दरोगा व सिपाही ही चला रहे हैं दिनभर बीट वाला सिपाही अपने क्षेत्र में वसूली का धंधा चलाता है और शाम को कोतवाल और वीर दरोगा मिलकर आपस में मलाई बांट लेते हैं कबाड़ के नाम पर गाड़ी लोडिंग और निकलवाई के नाम पर ₹20000 प्रति कबाड़ी से वसूला जा रहा है जिसके साक्ष्य भी मौजूद हैं कबाड़ी उसे सेटिंग सेटिंग कराने में कोतवाली में तैनात अपराध निरीक्षक की भूमिका प्रमुख मानी जाती है कई कबाड़ी ओं में अपना नाम न छापने की शर्त पर इस संवाददाता को बताया कि हम लोग बहुत परेशान हो चुके हैं पहले पुलिस खुद उत्पीड़न करती है अन्य कई प्रकार की टीम भेजकर मेरा उत्पीड़न करवाती है बिना सुविधा शुल्क के कोई सुनवाई नहीं हो रही है एक कबाड़ी में यहां तक बताया कि कोतवाली प्रभारी निरीक्षक मनीष कुमार सिंह उनसे ₹110000 का एक जनरेटर ले गए थे जिसका भुगतान अभी तक नहीं किया जनरेटर ले जाते समय मनीष कुमार सिंह ने जिले के एक बड़े भाजपा नेता को देने की बात कह कर के जबरन ले गए थे कबाड़ मंडी को छोड़िए मास मंडी की तरफ से यदि चले जाएं तो वहां भी पुलिस मांस के छोटे छोटे दुकानदारों से अवैध वसूली कर उन्हें दुकान संचालित करने का परमिट देती है अपराधी खुलेआम कोतवाली में आकर अपनी दिल खुद कर लेते हैं जिसके चलते पीड़ित पक्ष और सम्मानित आम जनमानस कोतवाली में घुसने से परहेज करने लगा है कोतवाली प्रभारी मनीष कुमार सिंह ने अवैध वसूली के लिए कोतवाली क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक नवयुवकों की एक टीम तैयार कर रखी है जो समाज में संचालित विभिन्न प्रकार के सट्टा ,स्मैक लकड़ी व्यापार आदि से प्रतिमाह लाखों रुपए वसूल कर उन तक पहुंच जाते हैं क्षेत्र में अवैध बच्चों से खनन के नाम पर भी प्रति भट्ठे से कोतवाली को एक निश्चित धनराशि पहुंचाई जाती है जो जिसके चलते शाम ढलते ही एक दर्जन से अधिक जेसीबी मशीनें क्षेत्र में खुलेआम खनन करती नजर आती है आचार संहिता लग जाने के बाद प्रशासन खुद को सब कुछ मान बैठा है जिसकी आड़ में वह आम जनमानस के दर्द पीड़ा को न समझते हुए दोनों हाथ से धन उगाही में जुटा हुआ है

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