आलोक कुमार ब्लॉक संवादाता असोहा उन्नाव
देश के 5 राज्यों में चुनावी बिगुल बज गया है और इन 5 राज्यों यूपी समेत पंजाब उत्तराखंड गोवा मणिपुर में इस लोकतांत्रिक पर्व में लगभग 18.5 करोड़ उत्साहित मतदाता जो कि 8.5
करोड़ महिला मतदाता और 25 .1लाख मतदाता पहली बार वोट यानी अपने अपने क्षेत्र में मतदान करेंगे जैसे ही इन राज्यों में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हुई तो देश के विभिन्न दलों द्वारा अपना प्रचार प्रसार अनेक सोशल माध्यमों से प्रारंभ तो पहले ही था जिसमें जितना जोर या उधार का जोर लेकर राजनीतिक रणनीति बनाकर जनता जनार्दन के बीच ज्यादा से ज्यादा अपना प्रचार प्रसार और वादों को पहुंचाने का कार्य तेजी से होने लगा है उधर गांव कस्बों और शहरों में जो वोट के ठेकेदार हैं वह भी सक्रिय हो गए हैं वह भी अपने दल या प्रत्याशी को जिताने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं और जो प्रत्याशी या भावी प्रत्याशी है वह चुनावी समर के मैदान में ताल ठोक कर अपनी अपनी प्रशंसा एवं विपक्षी की घोर निंदा करने में लगे हुए हैं सभी दल चाहे वह राष्ट्रीय हो या क्षेत्रीय सभी जनता जनार्दन को यह विश्वास दिला रहे हैं कि मेरे राज्य में ही आप सुरक्षित हैं ठीक है कि सभी नेता जनता जनार्दन की सुरक्षा की बहुत चिंता करते हैं और होनी भी चाहिए क्योंकि लोकतांत्रिक व्यवस्था का पहला लाभ यही होता है कि जनता जनार्दन उस व्यक्ति या दल को अपना मतदान करें जिससे उसे सुरक्षा मिलने की आशा हो हां यह जरूर है कि सभी दल सुरक्षा देने की गारंटी अवश्य देते हैं किंतु अपने दल में जिताऊ प्रत्याशी ही मैदान में उतारते हैं चाहे वह हिस्ट्रीशीटर ही क्यों ना हो इसमें कोई पीछे नहीं है चाहे वह क्षेत्रीय दल हो या राष्ट्रीय स्तर का दल हो यह देश का बहुत बड़ा दुर्भाग्य है किंतु इस बार चुनाव आयोग की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है क्योंकि इस बार इस विधानसभा के चुनाव में जो भी प्रत्याशी होगा जिस दल का होगा उसका आपराधिक रिकॉर्ड तीन बार विभिन्न समाचार माध्यमों से अपने-अपने क्षेत्रीय जनता जनार्दन के मध्य विज्ञापित कराना होगा अब कहना उचित होगा कि जनता जनार्दन को सावधानीपूर्वक विचार विमर्श अपने बड़ों या अपने शुभचिंतकों से सलाह मशवरा करके अपने एवं अपने प्रदेश व राष्ट्रहित को देखकर ही मतदान करें हमारे देश के चुनाव आयोग द्वारा जनता जनार्दन को जन जागरूकता हेतु अनेक सराहनीय कदम उठाए गए हैं अब पहले वाला समय नहीं रहा जब हम अपने हाईस्कूल का रिजल्ट देखने के लिए समाचार पत्र को पहले से बुक करते थे अब तो सभी कुछ ऑनलाइन है मतदाता हो या प्रत्याशी जो कि प्रत्याशियों का द्वारा जन सेवा का दम भरा जाता है और उनका जीवन सार्वजनिक जीवन होता है उनके विषय में जानने का हक उस क्षेत्र के सभी नागरिकों को होता है ,इस समय देश के हर नौजवान के हाथ में स्मार्टफोन है और अपने क्षेत्र ही नहीं संपूर्ण देश के प्रत्याशियों के विषय में सर्च कर सकता है और स्वयं एवं परिवार आस-पड़ोस जानने वालों को प्रत्याशी के कृत्यों को बता सकता है जागरूकता ला सकता है चुनाव आयोग द्वारा गली रोड चौराहे या अन्य किसी भी सार्वजनिक स्थानों पर लगे राजनीतिक पोस्टरों को चुनाव आचार संहिता लगने के साथ-साथ हटवाया जा रहा है और आयोग के आदेश का पालन अधिकारी कर्मचारी पूरी तन्मयता के साथ भी कर रहे हैं इसके लिए वह प्रशंसा के पात्र हैं,,,,
चुनाव आयोग द्वारा उत्तर प्रदेश उत्तराखंड एवं पंजाब में प्रत्याशियों द्वारा इस विधानसभा चुनाव के अंतर्गत खर्च की सीमा निर्धारित की है जो चालिस लाख रुपए रुपए है जिसका विवरण लिखित में चुनाव आयोग लेगा गोवा और मणिपुर जैसे राज्यों में चुनावी खर्च की सीमा 28 लाख रखी गई है किंतु एक मुद्दा जिस पर इस समय अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है वह मुद्दा यह है कि किसी भी दल कोई भी दल हो क्षेत्रीय हो या राष्ट्रीय हो वह सभी फ्री की दवा जनता जनार्दन को पिला रहे हैं इस रेस में कोई भी पीछे नहीं है चुनाव आयोग की लाख पाबंदियों के बावजूद सत्ता हो या विपक्ष जनता को फ्री में देने का वादा करने से पीछे नहीं है कोई ना कोई मार्ग निकाल लेते हैं जनता को एक से बढ़कर एक वस्तु या धन का लालच दे रहे हैं इस फ्री वाले कांसेप्ट को जनता भी बहुत ध्यान से देख रही है कोई दल धन देने का वादा कर रहा है कोई बिजली फ्री देगा कोई सिलेंडर फ्री देगा कोई जमीन फ्री देगा कोई बस का सफर फ्री देगा कोई राशन फ्री देगा कोई स्कूटी फ्री देगा कोई स्मार्टफोन फ्री देगा कोई लैपटॉप फ्री देगा कोई साड़ी देगा तो कोई फ्री में कबमल देगा ऐसे अनेक प्रकार से जनता को लालच दिया जा रहा है जो कि खुलेआम है हद तो तब हो जाती है जब कर्ज भी फ्री में देंगे इससे बड़ा देश का दुर्भाग्य क्या हो सकता है जब सब कुछ फ्री में ही देना है तो बंद कर दो कारखाने दुकाने ऑफिस बाजारे क्या जरूरत है सब साधनों की क्योंकि इन सब जगहों पर या तो कर्म द्वारा कुछ मिलता है या धन द्वारा और धन मेहनत से ही आता है तो क्या समझा जाए कि सभी दल जनता जनार्दन को मेहनत नाम के शब्द को भुलवाने का प्रयास कर रहे हैं सभी दलों की तमन्ना है कि देश के युवा मेहनतकश की जगह फ्री के चक्कर में पड़ जाए और आशा लगाए बैठे रहे कि फला सरकार यह देगी फला सरकार यह देगी सरकार का कर्तव्य यह जरूर होता है कि हमारे देश का नागरिक किसी कष्ट में हो या आपात स्थिति में हो और वह उस वस्तु को पाने का पात्र अधिकारी हो और उस वस्तु को पा जाने से उसका जीवन बचता हो उसका सामाजिक आर्थिक किसी भी प्रकार से उन्नति प्राप्त कर सकता हूं वह तमाम व्यवस्थाएं सरकार को फ्री में देने से परहेज नहीं करना चाहिए किंतु हो क्या रहा है अपात्र को फ्री में दिया जा रहा है जो उसके किसी भी कार्य में ना आ रहा है ना ही उसके जीवन स्तर में उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर रहा है जो व्यक्ति शराब पीकर जमीन बेच देता है उसे सरकार फ्री में जमीन देती है जो व्यक्ति अपने घर पर पांच सौ रुपए किलो रुपए का मटन खा सकता है किंतु ₹100 का एलइडी बल्ब नहीं लगाता है 100 वाट का बल्ब जो ज्यादा लाइट खाता है उसे लगाता है और उसे समय से बंद भी नहीं करता जब बिजली बिल आता है तब समय से जमा भी नहीं करता सरकारें उसका बिल माफ कर देती हैं एक लाख के ऊपर की बाइक को लेकर ₹50 की साड़ी व कंबल लेने जो जाते हैं उस कबमल साड़ी को क्या उनका जीवन स्तर का है या उन्हें फ्री में देकर अपाहिज बनाया जाता है फ्री का लैपटॉप उसे दिया जाता है जिससे उसकी कोई आवश्यकता नहीं है वह उसका दुरुपयोग करता है उसमें वह भोजपुरी संगीत वीडियो देखता है सरकारे खुश उठ गया आंकड़ों में जीवन स्तर और उस लैपटॉप को बेचकर एक 2 वर्ष बाद फिर से बेरोजगार हो जाता है कहां बढा उसका जीवन स्तर कहने का तात्पर्य है कि पात्र को सरकारे फ्री में दे उसकी सहायता करें जैसे कोई लेपटॉप खरीद कर एक छोटी दुकान फोटोकापी या फोटो बनाने का कार्य करना चाह रहा है सरकार उसको सहायता दे तो वह नौजवान अपनी अधिक ऊर्जा से अपना व्यवसाय करेगा और देश का एक बेरोजगार कम होगा राशन उनको मिल रहा है जो सार्वजनिक खाद्यान्न वितरण दुकानों से राशन लेकर उसी दिन ओने पौने दामों पर राशन को बेच देते हैं क्योंकि वह फ्री में मिला इसलिए वह उसकी कीमत ही नहीं जानते राशन पात्रो को मिलना चाहिए जिसे उसकी आवश्यकता हो वह पात्र हो उसके पास खाने को ना हो तो उसे कुछ नियत समय तक राशन सरकारें उपलब्ध कराएं जब तक उसको उचित रोजगार न मिले किंतु नहीं उसके घर में चार लोग कमा रहे हैं उसे भी राशन फ्री में मिल रहा है वह उसके किस काम का वह तो उसका दुरुपयोग ही करेगा फ्री में फोन लैपटॉप स्कूटी आज विभिन्न दलों द्वारा घोषणा की जा रही है कि हम देंगे हम देंगे किंतु यह भी बताने का कष्ट करें दल की जो भी फ्री में यह सब पाएगा वहीं का करेगा क्या फोन का रिचार्ज स्कूटी में पेट्रोल भरवा एगा कहां से जब यह सब फ्री में दे ही रहे हो तो रिचार्ज और पेट्रोल भी फ्री में दे दो तो बड़ी कृपा हो जाए जब फ्री की आदत डाल ही रहे हो तो पूरी तरह से डाल दो सबको बना बनाया खाना और एक खिलाने वाला लगा दो तब देखे कैसे जीवन स्तर मजबूत होता है वह जनता जनार्दन नित नई ऊंचाइयों पर पहुंच जाएगा किंतु उनका क्या जो लोन लेने से डरते हैं अपनी कमाई से ही गुजारा करते हैं उनको क्या दिया और वह जो जो 2 वर्ष पहले या 2 वर्ष बाद उस क्लास में होंगे जहां उनको फोन या लैपटॉप मिलना है उन्हें क्या उन्हें क्या मिलेगा और संविधान के अनुसार समानता के अधिकार का क्या किसी को मिला किसी को ना मिला उसका क्या जो मेहनत के बल पर कमा कर के अपने बिजली के बिल को समय से जमा करता है उसकी इमानदारी को क्या जो जीवन की को सादगी पूर्ण प्रतीत कर अपनी मेहनत के बल पर अपना पेट काटकर अपने खून पसीने की कमाई से एक छोटा सा मकान बना लिया वह प्री का मकान पाने की लिस्ट से बाहर हो गया उसको क्या मिला उसे भी लगता है कि हम काम ना करते मेहनत ना करते तो मुझे भी फ्री का बिना मेहनत के मकान मिल जाता इन सब फ्री के धोखो से जनता जनार्दन के मध्य क्या संदेश देना चाहते हैं सभी दल कब समझेंगे लोग जो जनता जनार्दन के जीवन को स्तर को ऊपर उठा सके वह कदम कब और कौन सी सरकारी उठाएगी कब सरकारें देश में शिक्षा को फ्री में देंगे कब सरकारें देश में स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं देंगी कब मेहनतकश लोगों को रोजगार सहायक वस्तुओं को फ्री में देंगी अब आप कहेंगे कि देश में सरकारी विद्यालयों में तो शिक्षा निशुल्क फीस पड़ती है तो वह बहुत कम है कमजोर वर्ग के छात्रों को वजीफा भी देती हैं सरकारें किंतु हम शिक्षा को फ्री में तब मानेंगे जब देश के कमजोर पिछड़े दलित का बेटा एक प्रकार के विद्यालय एक प्रकार के पाठ्यक्रम सभी को हिंदी अंग्रेजी मीडियम का फर्क मिटाकर फ्री में शिक्षा दें सरकारें वह है और उसका सभी मानेंगे जो जीवन स्तर में सुधार होगा और उसका होगा उपयोग अब रही स्वास्थ्य सेवाओं को तो देश में कोई भी नागरिक एक न्यूनतम सीमा बनाई जाए कि उसके ऊपर का चिकित्सा खर्चा आने पर सरकारे फ्री में देंगी स्वास्थ्य सेवाएं हम चाहते हैं कि हर उस मेहनत कश इंसान को सरकारें फ्री में फोन लैपटॉप स्कूटी आज फ्री में दें जो अपनी बेरोजगारी उन वस्तुओं को पाने के बाद रोजगार में बदले ना कि उसे जो फ्री में मिले फोन लैपटॉप स्कूटी का दुरुपयोग कर जीवन भर सोशल मीडिया पर लिखे कि मैं बेरोजगार मैं बेरोजगार कब खत्म होगी उसकी बेरोजगारी सरकारों को तय करना होगा कि फ्री में दी जा रही कोई भी वस्तु तभी सार्थक होगी जब उसका उपयोग लोग अपने जीवन स्तर को बेहतर बनाने में उपयोग करें