मछरेहटा / सीतापुर । सरकार एक ओर तो हरित प्राधिकरण का गठन कर धरती की हरियाली को बचाने का हर संभव प्रयास कर रही है वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार के दलदल मे आकंठ डूबे अधिकारी और कर्मचारी रिश्वतखोरी और कमीशनबाजी के चक्कर मे पडे़ हुए हैं । आए दिन किसी न किसी विभाग के काले कारनामे और घोटाले अखबारों की सुर्खियां बनते रहते हैं । धरती पर वातावरण को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से सम्पूर्ण विश्व मे अक्सर बड़े बड़े सम्मेलन आयोजित होते रहते है और इसकी हरियाली को बचाने के लिए अनेक योजनाएं व उपाय भी सरकारी स्तर पर किए जाते है लेकिन जब अपना ही सिक्का खोटा हो तो आखिर दोष किसको दिया जाए ।
एक तरफ तो सरकार ने हरे-भरे प्रतिबंधित पेड़ो की लिस्ट जारी कर दी और इनको काटने पर सजा का प्रावधान किया है और दूसरी तरफ वनविभाग और पुलिस विभाग से सांठगांठ करके लकड़कट्टो द्वारा बेखौफ होकर हरियाली पर आरा भी चलाया जाता है तो आखिर दोष किसको दिया जाए । यदि कटान से संबंधित घटना के बारे मे वन या पुलिस विभाग से संपर्क किया जाता है तो सीधा और सपाट उत्तर यही होता है कि उन्हे जानकारी नही है । मजेदार बात यह है कि जिम्मेदार अधिकारी बिना जांच पड़ताल किए प्रतिबंधित पेड़ो के कटान का परमिट कैसे जारी कर देते हैं और दस का परमिट होने पर बीस पेड़ कैसे कट जाते हैं । सूत्रों के मुताबिक लकड़कट्टो के द्वारा कमीशन के रूप मे अच्छी खासी रकम संबंधित थाने और वन विभाग को पहुंचाई जाती है और फिर धड़ल्ले से काम जारी रहता है । बीते बुधवार और गुरुवार की रात को मछरेहटा थाने से लगभग दो किलोमीटर दूर हीरापुर गांव मे बिना परमिट के हरे-भरे आम के कयी पेड़ कट गये लेकिन दिखावे के लिए वनविभाग और पुलिस अनजान बने रहे । कुल मिलाकर कमीशनखोरी का यह घटिया खेल अपने चरम पर है और इलाके मे हरे-भरे पेड़ो का कटान जारी है जिसे रोक पाने मे पुलिस और वन विभाग पूरी तरह नाकाम दिखाई देता है । विभाग के उच्च अधिकारियो से आशा है कि अभी दो दिन पहले ही मछरेहटा थाने के अंतर्गत ग्राम हीरापुर मे हुए अवैध लकड़ी कटान का संज्ञान लेते हुए आवश्यक कार्रवाई करेंगे ।
