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डीएसओ सीतापुर का अनुमोदन न देने का बहाना बनाकर आलोक सिंह नही बनाते है राशनकार्ड

भूखे मरने की कगार शहर व ग्रामीण की अधिक आबादी

 

किसके रहमो करम पर आलोक सिंह खेल रहे भ्रस्टाचार का खेल

 

लहरपुर(सीतापुर)-वाह पूर्ति निरीक्षक वाह आपकी कार्यशैली पर जितने भी सवाल दागे जाए वह कम है क्योंकि आपकी कार्यशैली सदैव आरोपों के कटघरे में रही है आप अपनी कार्यशैली के प्रति लचर रवैया सदैव अपनाए रहे हैं जिस कारण आपको निलंबन जैसी कार्यवाही भी इससे पहले झेलनी पड़ चुकी है अब वही रवैया तहसील लहरपुर में पारंपरिक तरीके से देखा जा रहा है गरीब वंचित शोषित राशन कार्ड संबंधी लाभ न पाने से दर बदर भटकने को मजबूर हैं परंतु आपके कानों में जूं नहीं रेंग रहा ऊपर से आपकी कार्यशैली में अवैध वसूली का कार्य जो आपके गुर्गों के द्वारा किया जा रहा है वो भी आपकी कार्यशैली को दर्शाता है आपके गुर्गों में सचिन जो आपका पर्सनल ड्राइवर कहलाता है जो कंप्यूटर ऑपरेटर का काम देखता है अब वह किन लोगों का काम करेगा ये उस गुर्गे पर निर्भर है वैसे भी आपके गुर्गों की लिस्ट काफी लंबी है जिनमें कई नामों का खुलासा हो रहा है और बाकी के कुछ नाम अभी जानकारी से बाहर है सूत्रों की माने तो एक सचिन दो सानू नम्बर तीन अतीक जैसे गुर्गे फिलहाल सक्रिय होकर अवैध वसूली गोरखधंधे का जाल बिछाये हुए है यहां तक पूर्ति निरीक्षक के इन्हीं गुर्गों में अतीक ने तो सीतापुर तक जाल बिछा रखा है इन सब लोगो के लिए ऑफिस में लगी हुई भीड़ कोई मायने नही रखती ऐसे सक्रिय दलाल प्रति राशन कार्ड ₹1000 की वसूली कर गरीबो को लूटने का काम कर फिलहाल व्यवसाय बनाये हुए है जैसे पूर्ति निरीक्षक की तरफ से इन्हीं गुर्गों को ठेका दे दिया गया कर राशन कार्ड बनवाने का ठेका दे दिया गया हो परंतु पूर्ति निरीक्षक के कार्यालय पर नजर दौड़ाई जाए तो सिर्फ फोटो कॉपियों से कार्यालय भरा पड़ा हुआ दिखाई देगा परंतु काम के नाम पर शून्य सूत्रों द्वारा ज्ञात होता है कि इन्हीं गुर्गों के द्वारा की गई अवैध वसूली का बंदरबांट कर मौज मस्ती की जा रही है नगर सहित पूरे क्षेत्र के लिए पूर्ति निरीक्षक अभिशाप बने हुए हैं क्योंकि अब क्षेत्र के लोगों के द्वारा कार्यशैली के प्रति निरंकुशता देखते हुए अफरातफरी का माहौल बना हुआ है और किसी दूसरे पूर्ति निरीक्षक की ओर निगाहें लगाए हुए है वही पूर्ति निरीक्षक डॉ आलोक कुमार सिंह जनता की सुनने के बजाय अपने गुर्गों पर ध्यान केंद्रित करना अधिक समझते है जो पूर्ति निरीक्षक की इनकम का स्रोत बने हुए है वही ऑफिस में देर तक ताला लटकना पूर्ति निरीक्षक की खूबियों में शुमार है क्योंकि बाबूजी 12:00 बजे के पहले ऑफिस में दस्तक नहीं देते इतना सब कुछ देखते हुए भी तहसील स्तर पर काबिज उच्चाअधिकारी मौन धारण किए हुए है वो भी तब जब विधानसभा चुनाव सर पर है!

कुछ राशनकार्ड बनने को लेकर सम्पूर्ण कागज दिए गए किंतु आलोक सिंह ने जिलापूर्तिअधिकारी द्वारा अनुमोदन न दिए जाने के कई बहाने किये लेकिन जब इस संबंध में जिला पूर्ति अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मेरे द्वारा कार्ड के अनुमोदन दिए गए थे।

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