राजधानी लखनऊ के अमीना बाद स्थित झण्डावाले पार्क से है जहाँ शोषण व उत्पीड़न के खिलाफ पटरी दुकानदारों ने प्रदर्शन किया। इन लोगों का आरोप है कि पक्के दुकानदार अपनी दुकान के सामने पटरी दुकानदारों की जगह को कब्जा कर लेते हैं तो मजबूरी में पटरी दुकानदारों का आगे बढ़कर दुकान लगानी पड़ता है। जिसकी बजह से जाम की स्थिति उत्पन्न होती है तो उन्हें स्थानीय पुलिस का कोपभाजन बनना पड़ता है। बता दें कि नगर निगम द्वारा आवंटित स्थानों पर अमीनाबाद में स्थायी दुकानवारों द्वारा अतिक्रमण कर लिया जाता है। ऐसे में वर्षों से दुकाने लगा रहे पटरी दुकानदारों की आये दिन स्थाई दुकानदारो के साथ नोक झोंक होती रहती है। कई बार यह मामला नगर निगम के संज्ञान में लाने के बावजूद भी नगर निगम के जिम्मेदार आला अफसर अपने कानों में तेल डाले हुए हैं। विगत वर्ष कोई सुनवाई ना होने की वजह से राजू राजपूत नाम के एक पटरी दुकानदार ने आत्मदाह कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी। पटरी दुकानदारों का आरोप है कि स्थानी दुकानदारों की मनमानी के चलते यहाँ के पटरी दुकानदार भुखमरी की कगार पर पहुँच गये है। स्थायी दुकानदारों की मनमानी का जब पटरी दुकानदार विरोध करते हैं तो स्थानीय पुलिस प्रशासन बिना कुछ समझे बूझे स्थायी दुकानदारों व बड़े व्यवसायियों के पाले में खड़ी हो जाती है।
