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गुर्दे की बीमारी में स्टेरायड का असर बताने वाला बायो मार्कर खोजा

 

खबरदृष्टिकोण: संवाददाता रघुनाथ सिंह लखनऊ।

 

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के डॉक्टरों ने बच्चों में होने वाली गुर्दे की बीमारी (नेफ्रोटिक सिंड्रोम) के इलाज के लिए ऐसे बायो मार्कर की खोज की है जिसके जरिए स्टेरॉइड थेरेपी देने से पहले ही यह बता पाना संभव होगा कि वह उनमें कितनी कारगर होगी नेफ्रोटिक सिंड्रोम में इलाज दो जाने वाली स्टेरॉयड थेरेपी में अक्सर देखा गया है कि 10 से 20 फ़ीसदी तक बच्चों का शरीर स्टेरॉयड को rs5 नहीं करता इसके बावजूद उन्हें लगातार स्टेरॉयड दी जाती है इससे उन्हें तरह-तरह की दूसरी परेशानियां खड़ी हो जाती हैं मगर अब ऐसा नहीं होगा एसजीपीजीआई में नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रोफेसर नारायण प्रसाद और उनकी टीम प्रोफेसर विकास अग्रवाल डॉ अखिलेश कुमार डॉ सौरभ चतुर्वेदी डॉ हर्षित सिंह ने दुनिया में पहली बार इसके लिए खास बायो मार्कर का पता लगाया है इसे आस्ट्रेलिया सरकार ने 8 वर्ष के लिए सेंट भी दे दिया है यह 16 अगस्त 2021 से लागू है इस शोध को नेचर जर्नल फार्माकोजेनॉमिक्स में हाल ही में प्रकाशित किया गया है

*प्रोफ़ेसर नारायण प्रसाद ने बताया ऐसे काम करेगा यह बायो मार्कर*

प्रोफेसर नारायण प्रसाद ने बताया रक्त में पाया जाने वाला लिंफोसाइट्स एक तरह का यून सेल्फ है इस पर एफ्लक्स प्रोटीन होता है यह एक बायो मार्कर है इसे बायो लॉजिकल पंप भी कहते हैं जब शरीर में कोई भी स्टेरॉयड एयरटेल से प्रवेश करने लगता है तो यह वही लॉजिकल पंप उसे बाहर निकाल देता है लिंफोसाइट के ऊपर जैसे ही कोई दवा या स्टेरॉयड दी जाती है तो 20 फ़ीसदी तक बच्चे विश्वास नहीं करते बावजूद डॉक्टर उन्हें बार-बार स्टेरॉयड देते रहते हैं इससे उसमें स्ट्राइड की ट्रैप सिटी हो जाती है और सब बच्चे का विकास रुक जाता है उनके चेहरे में सूजन शुगर हड्डियों में कमजोरी हो सकती है इससे बचाने के लिए खोज की गई दरअसल लिंफोसाइट के ऊपर का बायोलॉजिकल पंप लक्ष पंप पर ग्लाइकोप्रोटीन पीजीपी और मल्टीड्रग रजिस्ट्रेट ऐसोर्टेड प्रोटीन होते हैं इनका काम यह है कि जैसे ही कोई एस्टेरॉयड या टॉक्सिक शरीर में घुसने लगता है उसे यह अंदर जाने से रोक देते हैं यदि पीजीपी और एमआरपी 1 का मान 7.13 फीस दी 9.62 फीस दी आता है तो लिंफोसाइट्स यह भविष्यवाणी करते हैं कि 90 फ़ीसदी तक स्टेरॉयड काम नहीं करेगी इससे बचने के लिए बच्चे को पहले ही एक दवा कैल्सी ने यूरिन दे दी जाती है यह दवा वायलेंस कल पंप को चुप करा कर स्टेरॉयड को प्रवेश होने देती है ताकि बच्चों का इस तरह की समस्या ना हो

 

यह शोध पीजीआई के साथ-साथ पूरे देश को गौरवान्वित करने वाला है इस शोध से बच्चों में स्ट्राइड की वजह से होने वाली गंभीरता को रोकने में मदद मिलेगी तो फिर समय साथ और उनकी टीम को मेरी बधाई

 

*प्रोफेसर डॉक्टर आरके धीमान* निदेशक एसजीपीजीआई

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