नई दिल्ली, । लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की शीर्ष अदालत की निगरानी में सीबीआइ जांच कराने के लिए दो वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है। पत्र में कथित रूप से घटना में शामिल मंत्रियों को दंडित करने की भी मांग की गई है। वकील शिव कुमार त्रिपाठी और सीएस पांडा के पत्र में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में किसानों की हत्या की गंभीरता को देखते हुए, यह आवश्यक है।इस अदालत को इस इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। वकीलों ने दावा किया कि हाल के दौर में हिंसा देश में राजनीतिक संस्कृति बन गई है। लखीमपुर खीरी में किसानों के विरोध के दौरान हुई हिंसा में रविवार को चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए। वकीलों ने कहा कि उप्र के इस हिंसाग्रस्त जिले में कानून के शासन की रक्षा करने की आवश्यकता है।पत्र में कहा गया है कि यह घटना उप्र सरकार और संबंधित नौकरशाहों के साथ-साथ गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कानून तोड़ने वाली पुलिस मशीनरी के खिलाफ निर्देश देने की मांग करती है ताकि हिंसा के चलन को रोका जा सके।वकीलों ने कहा कि उनके आवेदन को जनहित याचिका के रूप में माना जा सकता है, ताकि दोषियों को न्याय के दायरे में लाया जा सके। पत्र में इस घटना में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने के साथ ही शीर्ष अदालत की निगरानी में उच्च स्तरीय न्यायिक जांच समिति गठित करने की भी मांग की गई है।बता दें कि रविवार को हुई इस घटना में आठ लोगों की मौत हो गई। वहीं कई अन्य घायल हो गए। किसानों की हत्या के आरोप में गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्र ‘मोनू’ समेत 14 के खिलाफ किसानों की ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया है। वहीं, मारे गए सभी आठ लोगों के स्वजन को राज्य सरकार की ओर से 45-45 लाख रुपये व एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की गई है। वहीं सभी घायलों को दस-दस लाख रुपये दिए जाएंगे।